वाक्य विश्लेषण: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('वाक्य में आए हुए शब्द अथवा वाक्य-खंडों को अलग-अलग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 15: Line 15:
3. अपनी प्रगति करो और दूसरों का हित भी करो तथा स्वार्थ में न हिचको।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/index.php/books/readbooks/4883/24 |title= वाक्य-प्रकरण|accessmonthday= 22 जनवरी|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=हिन्दी }}</ref>
3. अपनी प्रगति करो और दूसरों का हित भी करो तथा स्वार्थ में न हिचको।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/index.php/books/readbooks/4883/24 |title= वाक्य-प्रकरण|accessmonthday= 22 जनवरी|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=हिन्दी }}</ref>


{{seealso|वाक्य|वाक्य परिवर्तन|वाक्य विश्लेषण}}
{{seealso|वाक्य|वाक्य परिवर्तन|वाक्य भेद}}





Latest revision as of 11:40, 22 January 2016

वाक्य में आए हुए शब्द अथवा वाक्य-खंडों को अलग-अलग करके उनका पारस्परिक संबंध बताना वाक्य-विश्लेषण कहलाता है।

साधारण वाक्यों का विश्लेषण

1. हमारा राष्ट्र समृद्धशाली है। 2. हमें नियमित रूप से विद्यालय आना चाहिए। 3. अशोक, सोहन का बड़ा पुत्र, पुस्तकालय में अच्छी पुस्तकें छाँट रहा है।

मिश्रित वाक्य का विश्लेषण

1. जो व्यक्ति जैसा होता है वह दूसरों को भी वैसा ही समझता है। 2. जब-जब धर्म की क्षति होती है तब-तब ईश्वर का अवतार होता है। 3. मालूम होता है कि आज वर्षा होगी। 4. जो संतोषी होते हैं वे सदैव सुखी रहते हैं। 5. दार्शनिक कहते हैं कि जीवन पानी का बुलबुला है।

संयुक्त वाक्य का विश्लेषण

1. तेज वर्षा हो रही थी इसलिए परसों मैं तुम्हारे घर नहीं आ सका। 2. मैं तुम्हारी राह देखता रहा पर तुम नहीं आए। 3. अपनी प्रगति करो और दूसरों का हित भी करो तथा स्वार्थ में न हिचको।[1]

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वाक्य-प्रकरण (हिन्दी) (html) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 22 जनवरी, 2016।

संबंधित लेख