वृक्ष: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('thumb|पीपल का वृक्ष|200px '''वृक्ष''' प्रकृति की...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - "अतिश्योक्ति" to "अतिशयोक्ति")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Peepal22.jpg|thumb|पीपल का वृक्ष|200px]]
[[चित्र:Peepal22.jpg|thumb|पीपल का वृक्ष|200px]]
'''वृक्ष''' प्रकृति की अनमोल धरोहर व [[पर्यावरण]] के संरक्षक हैं। सृष्टि के प्रारंभिक क्षणों से [[पृथ्वी]] मानव की सहचरी रही है। इसी के सौरभमय रमणीय नैनाभिराम वातावरण में मानव ने स्वार्गिक आनंद का अनुभव किया है।  
'''वृक्ष''' प्रकृति की अनमोल धरोहर व [[पर्यावरण]] के संरक्षक हैं। सृष्टि के प्रारंभिक क्षणों से [[पृथ्वी]] मानव की सहचरी रही है। इसी के सौरभमय रमणीय नैनाभिराम वातावरण में मानव ने स्वार्गिक आनंद का अनुभव किया है।<ref name="vv">{{cite web |url=http://dainiksushma.jagranjunction.com/2012/07/13/trees-our-life/|title=वृक्ष हमारे जीवन दाता|accessmonthday=3 मार्च|accessyear=2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jagranjunction|language=हिन्दी}}</ref>
 
==श्रद्धा और आस्था==
==श्रद्धा और आस्था==
प्रकृति के प्रति मनुष्य के मन में एक अटूट श्रद्धा और आस्था रही है। निस्संदेह प्रकृति के अनमोल उपहारों में से ये हरे भरे तथा सुखद छाया और शीतलता प्रदान करने वाले वृक्ष किसके मन में आस्था के अंकुर उत्पन्न नहीं कर देते। अतः प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, जिनमें वृक्षों का स्थान प्रकृति के उपहारों में से सर्वोपरि है।
प्रकृति के प्रति मनुष्य के मन में एक अटूट श्रद्धा और आस्था रही है। निस्संदेह प्रकृति के अनमोल उपहारों में से ये हरे भरे तथा सुखद छाया और शीतलता प्रदान करने वाले वृक्ष किसके मन में आस्था के अंकुर उत्पन्न नहीं कर देते। अतः प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, जिनमें वृक्षों का स्थान प्रकृति के उपहारों में से सर्वोपरि है।
==मानव का आश्रयदाता==
==मानव का आश्रयदाता==
वृक्ष मानव के चिरंतर साथी हैं, कभी वो वृक्षों की छाया में बैठकर अपनी थकान मिटाता है, तो कभी इनके मधुर [[फल]] खाकर अपनी भूख शांत करता है। तभी तो वृक्षों को मनुष्य का आश्रयदाता माना जाता है। इस धरती पर प्राकृतिक शोभा को बढ़ने वाले ये वृक्ष ही हैं, धरती की गोद में यदि ये हरे भरे वृक्ष ना होते तो यह सारी पृथ्वी मरघट के सामान डरावनी और भयानक सी प्रतीत होती। [[वर्षा]] के हेतु ये वृक्ष ही हैं, इन वृषों से ही धरती की हरियाली जीवंत है।
वृक्ष मानव के चिरंतर साथी हैं, कभी वो वृक्षों की छाया में बैठकर अपनी थकान मिटाता है, तो कभी इनके मधुर [[फल]] खाकर अपनी भूख शांत करता है। तभी तो वृक्षों को मनुष्य का आश्रयदाता माना जाता है। इस धरती पर प्राकृतिक शोभा को बढ़ने वाले ये वृक्ष ही हैं, धरती की गोद में यदि ये हरे भरे वृक्ष ना होते तो यह सारी पृथ्वी मरघट के सामान डरावनी और भयानक सी प्रतीत होती। [[वर्षा]] के हेतु ये वृक्ष ही हैं, इन वृषों से ही धरती की हरियाली जीवंत है।<ref name="vv"/>
[[चित्र:Flower-of-Sita-Ashok.jpg|thumb|अशोक का वृक्ष|200px|left]]
[[चित्र:Flower-of-Sita-Ashok.jpg|thumb|अशोक का वृक्ष|200px|left]]
==महत्व ==  
==महत्व ==  
वृक्षों के प्रति मानव मन में अनादी काल से ही अगाध श्रद्धा का बोध रहा है, इन्हीं की छाया में बैठकर हमारे ऋषि-मुनियों ने बड़े-बड़े [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना की थी। यही वृक्ष उनकी साधना की तपस्थली भी थे। यही कारण है की [[ऋषि]] [[मुनि|मुनियों]] की परंपरा से ही मानव के मन में वृक्षों के प्रति श्रद्धा का अटूट भाव रहा है। आज भी देवी [[देवता|देवताओं]] की पूजा इन वृक्षों के पत्तों एवं [[पुष्प|पुष्पों]] से की जाती है। सभी जानते हैं की परंपरा से देवी देवताओं के देवालय इन वृक्षों से सुशोभित होते रहे हैं। परंपरागत मान्यताओं के आधार पर इन वृक्षों में निवास करके देवताओं ने इनके महत्व को बहुत अधिक उच्च कोटि का दर्शा दिया है। यह कहना अतिश्योक्ति न होगी की वृक्ष तो शायद हमारे बिना भी रह सकते हैं लेकिन हम बिना वृक्षों के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
वृक्षों के प्रति मानव मन में अनादी काल से ही अगाध श्रद्धा का बोध रहा है, इन्हीं की छाया में बैठकर हमारे ऋषि-मुनियों ने बड़े-बड़े [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना की थी। यही वृक्ष उनकी साधना की तपस्थली भी थे। यही कारण है की [[ऋषि]] [[मुनि|मुनियों]] की परंपरा से ही मानव के मन में वृक्षों के प्रति श्रद्धा का अटूट भाव रहा है। आज भी देवी [[देवता|देवताओं]] की पूजा इन वृक्षों के पत्तों एवं [[पुष्प|पुष्पों]] से की जाती है। सभी जानते हैं की परंपरा से देवी देवताओं के देवालय इन वृक्षों से सुशोभित होते रहे हैं। परंपरागत मान्यताओं के आधार पर इन वृक्षों में निवास करके देवताओं ने इनके महत्व को बहुत अधिक उच्च कोटि का दर्शा दिया है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी की वृक्ष तो शायद हमारे बिना भी रह सकते हैं लेकिन हम बिना वृक्षों के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।<ref name="vv"/>
<blockquote><poem>
<blockquote><poem>
वृक्ष अमर हैं, धरती है इनकी माता,
वृक्ष अमर हैं, धरती है इनकी माता,

Latest revision as of 07:56, 6 February 2021

thumb|पीपल का वृक्ष|200px वृक्ष प्रकृति की अनमोल धरोहर व पर्यावरण के संरक्षक हैं। सृष्टि के प्रारंभिक क्षणों से पृथ्वी मानव की सहचरी रही है। इसी के सौरभमय रमणीय नैनाभिराम वातावरण में मानव ने स्वार्गिक आनंद का अनुभव किया है।[1]

श्रद्धा और आस्था

प्रकृति के प्रति मनुष्य के मन में एक अटूट श्रद्धा और आस्था रही है। निस्संदेह प्रकृति के अनमोल उपहारों में से ये हरे भरे तथा सुखद छाया और शीतलता प्रदान करने वाले वृक्ष किसके मन में आस्था के अंकुर उत्पन्न नहीं कर देते। अतः प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, जिनमें वृक्षों का स्थान प्रकृति के उपहारों में से सर्वोपरि है।

मानव का आश्रयदाता

वृक्ष मानव के चिरंतर साथी हैं, कभी वो वृक्षों की छाया में बैठकर अपनी थकान मिटाता है, तो कभी इनके मधुर फल खाकर अपनी भूख शांत करता है। तभी तो वृक्षों को मनुष्य का आश्रयदाता माना जाता है। इस धरती पर प्राकृतिक शोभा को बढ़ने वाले ये वृक्ष ही हैं, धरती की गोद में यदि ये हरे भरे वृक्ष ना होते तो यह सारी पृथ्वी मरघट के सामान डरावनी और भयानक सी प्रतीत होती। वर्षा के हेतु ये वृक्ष ही हैं, इन वृषों से ही धरती की हरियाली जीवंत है।[1] thumb|अशोक का वृक्ष|200px|left

महत्व

वृक्षों के प्रति मानव मन में अनादी काल से ही अगाध श्रद्धा का बोध रहा है, इन्हीं की छाया में बैठकर हमारे ऋषि-मुनियों ने बड़े-बड़े ग्रंथों की रचना की थी। यही वृक्ष उनकी साधना की तपस्थली भी थे। यही कारण है की ऋषि मुनियों की परंपरा से ही मानव के मन में वृक्षों के प्रति श्रद्धा का अटूट भाव रहा है। आज भी देवी देवताओं की पूजा इन वृक्षों के पत्तों एवं पुष्पों से की जाती है। सभी जानते हैं की परंपरा से देवी देवताओं के देवालय इन वृक्षों से सुशोभित होते रहे हैं। परंपरागत मान्यताओं के आधार पर इन वृक्षों में निवास करके देवताओं ने इनके महत्व को बहुत अधिक उच्च कोटि का दर्शा दिया है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी की वृक्ष तो शायद हमारे बिना भी रह सकते हैं लेकिन हम बिना वृक्षों के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।[1]

वृक्ष अमर हैं, धरती है इनकी माता,
ममतामयी माता की रक्षा सदा ही करते,
वर्षा में इसको कभी न कटने देते,
अशुद्ध हवाओं के ज़हर को पी करके,
मानव को नव जीवन देते, तभी तो
वृक्ष हमारे सच्चे जीवन दाता,
रखते सदा सुख दुःख में सच्चा नाता,
शीतल छाया मधुर फल-फूल लुटाते,
बदले में केवल मानव मन मोह लेते


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 वृक्ष हमारे जीवन दाता (हिन्दी) jagranjunction। अभिगमन तिथि: 3 मार्च, 2016।

संबंधित लेख