चक्की: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''चक्की''' प्राय: पत्थरों के दो पाटों से मिलकर बनी होती ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''चक्की''' प्राय: पत्थरों के दो पाटों से मिलकर बनी होती है। ये पत्थर वजन में भारी होते हैं, जिन्हें गोल-गोल घुमाकर अनाज आदि पीसा जाता है। जब बिजली नहीं थी तो छोटे कस्बों व गाँव-देहात की महिलाएँ अपने घरों में ही पत्थर के पाटों से बनी इस हाथ की चक्की से | [[चित्र:Quern.jpg|thumb|250px|चक्की]] | ||
'''चक्की''' का प्रयोग काफ़ी पुराने समय से ही अनाज आदि पीसने के लिए किया जाता रहा है। पहले [[भारत]] में अधिकांश घरों में चक्की हुआ करती थी और [[गेंहूँ]] आदि पीसने के लिए इसका प्रयोग भी किया जाता था, किन्तु अब इसका प्रयोग लगभग समाप्त सा हो गया है। चक्की अब सिर्फ़ अतीत की एक वस्तु होकर रह गई है। प्राय: चक्की पत्थरों के दो पाटों से मिलकर बनी होती है। ये पत्थर वजन में भारी होते हैं, जिन्हें गोल-गोल घुमाकर अनाज आदि पीसा जाता है। जब बिजली नहीं थी तो छोटे कस्बों व गाँव-देहात की महिलाएँ अपने घरों में ही पत्थर के पाटों से बनी इस हाथ की चक्की से गेंहूँ और अन्य अनाज आदि पीस लिया करती थीं। हाथ की चक्की को गाँव की [[भाषा]] में कहीं-कहीं 'चाखी' तो कहीं 'जाता' बोला जाता था। | |||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
==संरचना== | ==संरचना== | ||
Line 8: | Line 9: | ||
#शुद्धता के मामले में चक्की का आटा शत-प्रतिशत खरा होता है। | #शुद्धता के मामले में चक्की का आटा शत-प्रतिशत खरा होता है। | ||
#इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी अधिकांश आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। | #इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी अधिकांश आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। | ||
#चक्की का सबसे बड़ा फायदा यह कि फ़सल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज | #चक्की का सबसे बड़ा फायदा यह कि फ़सल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज ख़रीद लेना चाहिए और पूरे साल शुद्ध ताजे आटे की रोटियों का आनन्द लिया जा सकता है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 15: | Line 16: | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भूले बिसरे शब्द}} | {{भूले बिसरे शब्द}}{{घरेलू उपकरण}} | ||
[[Category:भूला-बिसरा भारत]][[Category:घरेलू उपकरण]][[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:भूला-बिसरा भारत]][[Category:घरेलू उपकरण]][[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 07:58, 4 June 2013
thumb|250px|चक्की चक्की का प्रयोग काफ़ी पुराने समय से ही अनाज आदि पीसने के लिए किया जाता रहा है। पहले भारत में अधिकांश घरों में चक्की हुआ करती थी और गेंहूँ आदि पीसने के लिए इसका प्रयोग भी किया जाता था, किन्तु अब इसका प्रयोग लगभग समाप्त सा हो गया है। चक्की अब सिर्फ़ अतीत की एक वस्तु होकर रह गई है। प्राय: चक्की पत्थरों के दो पाटों से मिलकर बनी होती है। ये पत्थर वजन में भारी होते हैं, जिन्हें गोल-गोल घुमाकर अनाज आदि पीसा जाता है। जब बिजली नहीं थी तो छोटे कस्बों व गाँव-देहात की महिलाएँ अपने घरों में ही पत्थर के पाटों से बनी इस हाथ की चक्की से गेंहूँ और अन्य अनाज आदि पीस लिया करती थीं। हाथ की चक्की को गाँव की भाषा में कहीं-कहीं 'चाखी' तो कहीं 'जाता' बोला जाता था।
संरचना
वजन में भारी पत्थरों से बनाई जाने वाली इन चक्कियों के निचले पाट की ऊपरी सतह और ऊपरी पाट की निचली सतह खुरदरी रखी जाती है, जिससे इनके बीच में पीसा जाने वाला अनाज, गेंहू, ज्वार आदि आसानी से पिस सके। चक्की के ऊपर वाले पाट में किनारे कि तरफ़ एक छिद्र होता है, जिसमें मजबूत लकड़ी से बना हुआ एक हत्था लगा रहता है। इसी हत्थे की मदद से चक्की को घुमाया जाता है। पाट में एक दूसरा छिद्र बिल्कुल बीच में होता है, जिसमें से पीसा जाने वाला अनाज डाला जाता है। जब चक्की को घुमाते हैं तो अनाज दोनों पाटों के बीच में घूमते हुए पाटों के वजन से पिसना प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रकार लगातार चक्की को घुमाते हुए अनाज को महीन पीस लिया जाता है। इस प्रकार पीसा गया अनाज शत-प्रतिशत शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
चक्की के लाभ
- चक्की से घर में ही ताजा पिसा आटा प्राप्त किया जा सकता है।
- ताजे पिसे हुए आटे में स्वास्थ्य से जुड़े फायदे तो मिलते ही हैं, इसका स्वाद व सुंगध भी बरकरार रहते हैं।
- शुद्धता के मामले में चक्की का आटा शत-प्रतिशत खरा होता है।
- इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी अधिकांश आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं।
- चक्की का सबसे बड़ा फायदा यह कि फ़सल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज ख़रीद लेना चाहिए और पूरे साल शुद्ध ताजे आटे की रोटियों का आनन्द लिया जा सकता है।
|
|
|
|
|