अहमदनगर: Difference between revisions

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====मलिक अम्बर की नीति====
====मलिक अम्बर की नीति====
अहमदनगर की स्वतंत्रता बनाये रखने में मलिक अम्बर का योगदान था। यह अबीसीनियाई दास था, जो बाद में अपनी योग्यता के बल पर अहमदनगर का प्रमुख वज़ीर बना। इसने युद्ध की छापामार पद्धति को अपनाया तथा भूमि व्यवस्था में ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर [[रैयतवाड़ी व्यवस्था]] (जब्त प्रणाली) को लागू किया।  
अहमदनगर की स्वतंत्रता बनाये रखने में मलिक अम्बर का योगदान था। यह अबीसीनियाई दास था, जो बाद में अपनी योग्यता के बल पर अहमदनगर का प्रमुख वज़ीर बना। इसने युद्ध की छापामार पद्धति को अपनाया तथा भूमि व्यवस्था में ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर [[रैयतवाड़ी व्यवस्था]] (जब्त प्रणाली) को लागू किया।  
 
[[निज़ामशाही वंश]] के शासक [[बुरहान निज़ामशाह द्वितीय]] के शासन काल का प्रसिद्ध लेखक 'शाह ताहिर' हुआ। वह [[फ़ारसी भाषा]] का उत्कृष्ट विद्वान् था। उसने 'फ़तहनामा', 'इन्सा-ए-ताहिर', 'तोहफा-ए-शाही' एवं 'रिशाल-ए-पाल' नामक ग्रंथो की रचना की। अहमदनगर के निज़ामशाही राज्य में 'सैय्यद अली तबतबाई' सर्वश्रेष्ठ इतिहासकार हुआ। उसने ‘बुरहान-ए-मासीर’ नाम से निज़ामशाही वंश के सुल्तानो का [[इतिहास]] लिखा। इस पुस्तक को 'तबतबाई' ने तत्कालीन सुल्तान 'बुरहान निजामशाह द्वितीय' को समर्पित किया।
[[निज़ामशाही वंश]] के शासक [[बुरहान निज़ामशाह द्वितीय]] के शासन काल का प्रसिद्ध लेखक 'शाह ताहिर' हुआ। वह [[फ़ारसी भाषा]] का उत्कृष्ट विद्वान था। उसने 'फ़तहनामा', 'इन्सा-ए-ताहिर', 'तोहफा-ए-शाही' एवं 'रिशाल-ए-पाल' नामक ग्रंथो की रचना की। अहमदनगर के निज़ामशाही राज्य में 'सैय्यद अली तबतबाई' सर्वश्रेष्ठ इतिहासकार हुआ। उसने ‘बुरहान-ए-मासीर’ नाम से निज़ामशाही वंश के सुल्तानो का [[इतिहास]] लिखा। इस पुस्तक को 'तबतबाई' ने तत्कालीन सुल्तान 'बुरहान निजामशाह द्वितीय' को समर्पित किया।
==स्थापत्य कला==
==स्थापत्य कला==
निज़ामशाही स्थापत्य कला के अन्तर्गत इमारतों में मेहराब एवं गुम्बद का निर्माण, पत्थर, चूने व गारे से किया गया है। यहाँ के महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्यों में [[अहमद निज़ामशाह]] द्वारा निर्मित ‘अहमदनगर का दुर्ग’ एवं ‘कासिम ख़ाँ का महल’ प्रसिद्ध हैं। अहमदनगर शहर में स्थित ‘बाग़-ए-रौजा’ में अहमद निज़ामशाह का मक़बरा स्थित है। अहमद निज़ामशाह ने सलावत ख़ाँ गुजराती की सलाह पर एक महल व उद्यान ‘बाग़-ए-बहिस्ता’ का निर्माण करवाया। [[हुसैन निज़ामशाह द्वितीय]] ने 'हुसैनाबाद' नामक शहर की स्थापना की थी।
निज़ामशाही स्थापत्य कला के अन्तर्गत इमारतों में मेहराब एवं गुम्बद का निर्माण, पत्थर, चूने व गारे से किया गया है। यहाँ के महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्यों में [[अहमद निज़ामशाह]] द्वारा निर्मित ‘अहमदनगर का दुर्ग’ एवं ‘कासिम ख़ाँ का महल’ प्रसिद्ध हैं। अहमदनगर शहर में स्थित ‘बाग़-ए-रौजा’ में अहमद निज़ामशाह का मक़बरा स्थित है। अहमद निज़ामशाह ने सलावत ख़ाँ गुजराती की सलाह पर एक महल व उद्यान ‘बाग़-ए-बहिस्ता’ का निर्माण करवाया। [[हुसैन निज़ामशाह द्वितीय]] ने 'हुसैनाबाद' नामक शहर की स्थापना की थी।
==यातायात और परिवहन==
==यातायात और परिवहन==
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;वायु मार्ग
;वायु मार्ग
औरंगाबाद अहमदनगर का निकटतम हवाई अड्डा है। यह देश के अनेक शहरों से विविध हवाई सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है।
औरंगाबाद अहमदनगर का निकटतम हवाई अड्डा है। यह देश के अनेक शहरों से विविध हवाई सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है।
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==उद्योग और व्यापार==
==उद्योग और व्यापार==
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अहमदनगर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में मुग़ल महल, बाग़ व अहमद निज़ामशाह का क़िला है, जहाँ [[1940]] में [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित नेहरु]] नज़रबंद रहे। पर्यटकों के देखने के लिए यहां अनेक विरासतें हैं। अहमदनगर के अनेक क़िले, मंदिर आदि सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।  
अहमदनगर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में मुग़ल महल, बाग़ व अहमद निज़ामशाह का क़िला है, जहाँ [[1940]] में [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित नेहरु]] नज़रबंद रहे। पर्यटकों के देखने के लिए यहां अनेक विरासतें हैं। अहमदनगर के अनेक क़िले, मंदिर आदि सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।  
====कोपर गाँव====
====कोपर गाँव====
यह [[अहमदनगर ज़िला|अहमदनगर ज़िले]] में स्थित एक तालुका है। [[गोदावरी नदी]] पार कर लेने के बाद जो सीधा मार्ग जाता है, वह [[शिरडी के सांई बाबा|शिरडी]] जाकर ही समाप्त होता है। करीब आठ मील चल लेने के बाद नीमगाँव पहुँचने पर वहाँ से शिरडी के दर्शन होने लगते है। [[साईं बाबा]] ने शिरडी में [[अवतार]] लेकर उसे उतना ही पावन बना दिया जितना पावन दामोजी ने [[पंढरपुर]] के निकट मंगलवेढा को, [[समर्थ रामदास]] ने सज्जनगढ को, दत्तावतार नरसिंह सरस्वती ने वाडी को पावन बनाया था।
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Latest revision as of 14:37, 6 July 2017

अहमदनगर
विवरण अहमदनगर अहमदनगर ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है जो सीना नदी के किनारे स्थित है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला अहमदनगर ज़िला
संस्थापक मलिक अहमद निज़ामशाह
निर्माण काल 1490 ई.
भौगोलिक निर्देशांक 19° 4′ 48″ उत्तर, 74° 43′ 48″ पूर्व
मार्ग स्थिति मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के 210 किलोमीटर पूर्व में स्थित है।
क्षेत्रफल 39.30 वर्ग किमी
ऊँचाई 649 मीटर
जनसंख्या 3,50,905[1]
घनत्व 8,900 प्रति वर्ग किमी
हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद में है।
रेलवे स्टेशन अहमदनगर रेलवे स्टेशन
बस अड्डा महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से जुड़ा है।
यातायात बस, टॅक्सी, कार आदि
भाषा मराठी, अंग्रेज़ी
क्या देखें मुग़ल महल, बाग़ व अहमद निज़ामशाह का क़िला
चित्र:Map-icon.gif गूगल मानचित्र
पिन कोड 414001
एस.टी.डी. कोड 0241
वाहन पंजीयन कोड MH 16,17
अन्य जानकारी यहाँ मुख्यतः सूती वस्त्र और चर्म-परिशोधन का उद्योग होता है। यह एक व्यावसायिक केन्द्र भी है।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

अहमदनगर, अहमदनगर ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है, यह महाराष्ट्र राज्य, सीना नदी के किनारे, मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के 210 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। प्राचीन यादव काल में 'भीमार' नाम से जाने जाते इस नगर पर 1490 में अहमदनगर राजवंश के संस्थापक मलिक अहमद निज़ामशाह ने अपना अधिकार स्थापित किया। बाद में यह मुग़लों, मराठों और अंग्रेज़ों द्वारा शासित हुआ।

इतिहास

अहमदनगर निज़ामशाही सुल्तानों की राजधानी थी, जिन्होंने 1490 ई. में दक्खिन में बहमनी सल्तनत की एक नयी शाखा की स्थापना की। अहमदनगर की स्थापना इस वंश के पहले सुल्तान अहमद निज़ामशाह ने की। अहमदनगर का इतिहास, वहाँ की शहज़ादी और बीजापुर के अली आदिलशाह की विधवा चाँदबीबी द्वारा 1595-1596 में अकबर के पुत्र युवराज मुराद का वीरतापूर्ण प्रतिरोध तथा मलिक अम्बर की सैनिक एवं प्रशासनिक कुशलता के कारण अधिक रोचक एवं महत्वपुर्ण है। अकबर ने जब इस पर हमला किया तो, चाँदबीबी ने उसकी सेनाओं का डट कर मुकाबिला किया, परन्तु अंत में अकबर की विजय हुई। 1637 ई. में बादशाह शाहजहाँ ने अहमदनगर को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया और उसके बाद इस नगर का महत्त्व घट गया। यह अब भी एक बड़ा नगर है और इसी नाम के ज़िले का मुख्यालय है। thumb|250px|left|अहमदनगर क़िला

मलिक अम्बर की नीति

अहमदनगर की स्वतंत्रता बनाये रखने में मलिक अम्बर का योगदान था। यह अबीसीनियाई दास था, जो बाद में अपनी योग्यता के बल पर अहमदनगर का प्रमुख वज़ीर बना। इसने युद्ध की छापामार पद्धति को अपनाया तथा भूमि व्यवस्था में ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर रैयतवाड़ी व्यवस्था (जब्त प्रणाली) को लागू किया। निज़ामशाही वंश के शासक बुरहान निज़ामशाह द्वितीय के शासन काल का प्रसिद्ध लेखक 'शाह ताहिर' हुआ। वह फ़ारसी भाषा का उत्कृष्ट विद्वान् था। उसने 'फ़तहनामा', 'इन्सा-ए-ताहिर', 'तोहफा-ए-शाही' एवं 'रिशाल-ए-पाल' नामक ग्रंथो की रचना की। अहमदनगर के निज़ामशाही राज्य में 'सैय्यद अली तबतबाई' सर्वश्रेष्ठ इतिहासकार हुआ। उसने ‘बुरहान-ए-मासीर’ नाम से निज़ामशाही वंश के सुल्तानो का इतिहास लिखा। इस पुस्तक को 'तबतबाई' ने तत्कालीन सुल्तान 'बुरहान निजामशाह द्वितीय' को समर्पित किया।

स्थापत्य कला

निज़ामशाही स्थापत्य कला के अन्तर्गत इमारतों में मेहराब एवं गुम्बद का निर्माण, पत्थर, चूने व गारे से किया गया है। यहाँ के महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्यों में अहमद निज़ामशाह द्वारा निर्मित ‘अहमदनगर का दुर्ग’ एवं ‘कासिम ख़ाँ का महल’ प्रसिद्ध हैं। अहमदनगर शहर में स्थित ‘बाग़-ए-रौजा’ में अहमद निज़ामशाह का मक़बरा स्थित है। अहमद निज़ामशाह ने सलावत ख़ाँ गुजराती की सलाह पर एक महल व उद्यान ‘बाग़-ए-बहिस्ता’ का निर्माण करवाया। हुसैन निज़ामशाह द्वितीय ने 'हुसैनाबाद' नामक शहर की स्थापना की थी।

यातायात और परिवहन

thumb|left|सालाबत खान का मक़बरा, अहमदनगर मुंबई, पुणे (भूतपूर्व पूना) और शोलापुर से सड़क व रेलमार्ग से जुड़ा है।

वायु मार्ग

औरंगाबाद अहमदनगर का निकटतम हवाई अड्डा है। यह देश के अनेक शहरों से विविध हवाई सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

अहमदनगर देश और राज्य के अनेक शहरों से ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

अहमदनगर सड़क मार्ग द्वारा महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की बसें अहमदनगर के लिए चलती रहती हैं।

कृषि और खनिज

आसपास के क्षेत्रों का मुख्य पेशा कृषि है, लेकिन वर्षा की स्थिति अत्यन्त अविश्वसनीय होने के कारण खाद्यान्न की कमी एक चिरस्थायी समस्या है। बाजरा, गेहूँ और कपास इस क्षेत्र की प्रमुख शुष्क फ़सलें हैं, जबकि गन्ना सबसे महत्त्वपूर्ण सिचिंत फ़सल है। उद्योगों में चीनी प्रसंस्करण तथा कपास ओटाई व गांठ बनाने का काम प्रमुख है।

उद्योग और व्यापार

यहाँ मुख्यतः सूती वस्त्र और चर्म-परिशोधन का उद्योग होता है। यह एक व्यावसायिक केन्द्र भी है।

शिक्षण संस्थान

इस नगर में पुणे विश्वविद्यालय से संबद्ध तीन महाविद्यालय हैं।

जनसंख्या

2011 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 3,50,905 है।[2]

पर्यटन

thumb|300px|अहमदनगर रेलवे स्टेशन अहमदनगर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में मुग़ल महल, बाग़ व अहमद निज़ामशाह का क़िला है, जहाँ 1940 में पंडित नेहरु नज़रबंद रहे। पर्यटकों के देखने के लिए यहां अनेक विरासतें हैं। अहमदनगर के अनेक क़िले, मंदिर आदि सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

कोपर गाँव

यह अहमदनगर ज़िले में स्थित एक तालुका है। गोदावरी नदी पार कर लेने के बाद जो सीधा मार्ग जाता है, वह शिरडी जाकर ही समाप्त होता है। क़रीब आठ मील चल लेने के बाद नीमगाँव पहुँचने पर वहाँ से शिरडी के दर्शन होने लगते है। साईं बाबा ने शिरडी में अवतार लेकर उसे उतना ही पावन बना दिया जितना पावन दामोजी ने पंढरपुर के निकट मंगलवेढा को, समर्थ रामदास ने सज्जनगढ को, दत्तावतार नरसिंह सरस्वती ने वाडी को पावन बनाया था।


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