आइज़ैक न्यूटन: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:35, 8 January 2020
आइज़ैक न्यूटन
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पूरा नाम | आइज़ैक न्यूटन |
जन्म | 25 दिसम्बर, 1642 |
जन्म भूमि | इंग्लैंड |
मृत्यु | 20 मार्च, 1727 |
मृत्यु स्थान | इंग्लैंड |
कर्म भूमि | इंग्लैंड |
कर्म-क्षेत्र | गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिर्विद एवं दार्शनिक |
खोज | गति के नियम |
नागरिकता | ब्रिटिश |
अन्य जानकारी | न्यूटन की 'फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका', 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है। |
आइज़ैक न्यूटन (अंग्रेज़ी: Isaac Newton, जन्म: 25 दिसम्बर, 1642; मृत्यु: 20 मार्च, 1727) एक महान् गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिर्विद एवं दार्शनिक थे। न्यूटन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कोई भी विद्यार्थी जब विज्ञान की दुनिया में कदम रखता है तो जिस वैज्ञानिक से सबसे पहले वह परिचित होता है वह वैज्ञानिक है- सर आइज़ैक न्यूटन। न्यूटन के सिद्धांतों ने संसार को नए रूप में देखने के परदे खोल दिए और आधुनिक भौतिकी व इंजीनियरिंग की बुनियाद रखी। न्यूटन इंग्लैंड के वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की।
गति के नियम
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
यांत्रिक भौतिकी की शुरुआत न्यूटन के गति के तीन नियमों से होती है। साइकिल से लेकर रॉकेट तक के निर्माण में कहीं न कहीं ये नियम जुड़े रहते हैं। वैज्ञानिक तर्कशास्त्र की आधारशिला उसने चार नियमों द्वारा रखी, जो इस प्रकार हैं :
- किसी प्राकृतिक घटना के पीछे एक और केवल एक पूर्णतः सत्य कारण होता है।
- एक तरह की घटनाओं के लिए एक ही प्रकार के कारण होते हैं।
- वस्तुओं के गुण सार्वत्रिक रूप से हर जगह समान होते हैं।
- किसी घटना से निकाले गए निष्कर्ष तब तक सत्य मानने चाहिए जब तक कोई अन्य घटना उन्हें ग़लत न सिद्ध कर दे।
न्यूटन ने बताया कि चीज़ों के पृथ्वी पर गिरने, चंद्रमा के पृथ्वी के परितः परिक्रमण, और ग्रहों के सूर्ये के परितः परिक्रमण के पीछे एक ही कारक है जो गुरुत्वाकर्षण का सर्वव्याप्त बल है। साथ ही पहली बार द्रव्यमान और भार के बीच अन्तर बताया। प्रकाश के क्षेत्र में काम करते हुए न्यूटन ने बताया कि सफ़ेद प्रकाश दरअसल कई रंगों के प्रकाश का मिश्रण होता है। और साथ ही ये भी बताया कि प्रकाश बहुत सूक्ष्म कणिकाओं का तेज़ प्रवाह होता है। हालांकि हाइगेन्स तथा अन्य वैज्ञानिकों ने कणिका सिद्धांत को नकारते हुए तरंग सिद्धांत पर बल दिया। किंतु आज के परिपेक्ष्य में प्लांक की परिकल्पना तथा प्रकाश विधुत प्रभाव ने न्यूटन सिद्धांत को काफ़ी हद तक सही ठहरा दिया है। दूरदर्शी के रंग दोष को दूर करने के लिए न्यूटन ने परावर्तक दूरदर्शी का आविष्कार किया। गणित की सर्वाधिक उपयोगी शाखा कैलकुलस (Calculus) के बारे में इतिहासकारों का मानना है कि इसका आविष्कार न्यूटन और लाइब्निज़ (Leibniz) दोनों ने अपने अपने तरीके से किया था।हालाँकि इसके असली आविष्कारक के लिए दोनों में कई वर्षों तक विवाद भी चलता रहा। माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई जाने वाली द्विपद प्रमेय भी न्यूटन के दिमाग की उपज है. पाई का मान निकालने के लिए भी न्यूटन ने नया फार्मूला दिया। किसी भी तरह की समीकरण के आंकिक हल के लिए भी न्यूटन ने एक फार्मूला दिया जो न्यूटन राफ्सन फार्मूला के नाम से जाना जाता है। कंप्यूटर की गणनाओं में यह काफ़ी उपयोगी सिद्ध हुआ है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महान वैज्ञानिक सर आइज़क न्यूटन (हिंदी) Science Bloggers' Association of India। अभिगमन तिथि: 13 मार्च, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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