हिंगलाजगढ़: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('*परमार मूर्तिकला के विशिष्ट केन्द्र के रुप में प्रस...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "रुपी" to "रूपी")
 
(8 intermediate revisions by 4 users not shown)
Line 1: Line 1:
*परमार मूर्तिकला के विशिष्ट केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध हिंगलाजगढ़ [[मध्यप्रदेश]] के [[मंदसौर ज़िला|मंदसौर ज़िले]] में अवस्थित है।  
[[चित्र:Hinglajgarh.jpg|thumb|250px|हिंगलाजगढ़, मंदसौर]]
'''हिंगलाजगढ़''' [[मध्यप्रदेश]] के [[मंदसौर ज़िला|मंदसौर ज़िले]] में स्थित परमार [[मूर्तिकला]] के विशिष्ट केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है।  
*इस स्थल से 500 से अधिक परमार कलाकृतियाँ मिली हैं।  
*इस स्थल से 500 से अधिक परमार कलाकृतियाँ मिली हैं।  
*परमार कला पूर्व-मध्यकाल की पूर्ण विकसित मूर्तिकला थी।  
*परमार [[कला]] पूर्व-[[मध्यकाल]] की पूर्ण विकसित मूर्तिकला थी।  
*इसमें कलाकृतियों के शरीर हल्के, भगिमाएँ आकर्षक एवं आभूषण अलंकरणों का सूक्ष्म अंकन विशिष्ट है।  
*इसमें कलाकृतियों के शरीर हल्के, भगिमाएँ आकर्षक एवं [[आभूषण]] अलंकरणों का सूक्ष्म अंकन विशिष्ट है।  
*उत्तर भारत की [[चंदेल वंश|चंदेल]] एवं अन्य मूर्तिकला शैलियों के सदृश परमार शैली में भी विवरणों एवं लक्षणों की शास्त्रीयता स्पष्टतः देखी जा सकती है।  
*[[उत्तर भारत]] की [[चंदेल वंश|चंदेल]] एवं अन्य मूर्तिकला शैलियों के सदृश परमार शैली में भी विवरणों एवं लक्षणों की शास्त्रीयता स्पष्टतः देखी जा सकती है।  
*हिंगलाजगढ़ मुख्यतः शाक्ति पीठ था। अतः शक्ति के विविध रुपी मूर्तिशिल्प, खासकर गौरी मूर्तियाँ बहुसंख्या में मिली हैं।  
*हिंगलाजगढ़ मुख्यतः शाक्ति पीठ था। अतः शक्ति के विविध रूपी मूर्तिशिल्प, ख़ासकर गौरी मूर्तियाँ बहुसंख्या में मिली हैं।  
*यहाँ की मूर्तियों में चेहरा गोल, ठोड़ी में उभार, भौहें, नाक एवं पलकों के अंकन में तीखापन है।  
*यहाँ की मूर्तियों में चेहरा गोल, ठोड़ी में उभार, भौहें, [[नाक]] एवं पलकों के अंकन में तीखापन है।  
*वस्त्राभूषण के उकेरने में स्थानीयता का पुट स्पष्टतः दिखाई देता है।  
*वस्त्राभूषण के उकेरने में स्थानीयता का पुट स्पष्टतः दिखाई देता है।  
*नारी अंकन में [[मालवा]] की नारी ही हिंगलाज के शिल्पी का विषय रही है, परंतु साथ में उसने कालीदास के कुमारसम्भवम् की पार्वती की रुपराशि को भी इसमें समंवित कर सहज मृदुता, लावण्य एवं भव्यता को साकार किया है।  
*नारी अंकन में [[मालवा]] की नारी ही हिंगलाज के शिल्पी का विषय रही है, परंतु साथ में उसने [[कालिदास]] के [[कुमारसम्भव]] की पार्वती की रुपराशि को भी इसमें समंवित कर सहज मृदुता, लावण्य एवं भव्यता को साकार किया है।  
*अलंकृत केश-विन्यास, पारदर्शी वस्त्र और विविध प्रकार के आभूषणों के अंकन में हिंगलाजगढ़ का शिल्पी सिद्धहस्त था।  
*अलंकृत केश-विन्यास, पारदर्शी [[वस्त्र]] और विविध प्रकार के आभूषणों के अंकन में हिंगलाजगढ़ का शिल्पी सिद्धहस्त था।  


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
|शोध=
|शोध=
}}
}}
 
==संबंधित लेख==
[[Category:नया पन्ना]]
{{मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
{{मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
[[Category:मध्य काल]][[Category:मध्य प्रदेश]][[Category:मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:21, 4 April 2018

thumb|250px|हिंगलाजगढ़, मंदसौर हिंगलाजगढ़ मध्यप्रदेश के मंदसौर ज़िले में स्थित परमार मूर्तिकला के विशिष्ट केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है।

  • इस स्थल से 500 से अधिक परमार कलाकृतियाँ मिली हैं।
  • परमार कला पूर्व-मध्यकाल की पूर्ण विकसित मूर्तिकला थी।
  • इसमें कलाकृतियों के शरीर हल्के, भगिमाएँ आकर्षक एवं आभूषण अलंकरणों का सूक्ष्म अंकन विशिष्ट है।
  • उत्तर भारत की चंदेल एवं अन्य मूर्तिकला शैलियों के सदृश परमार शैली में भी विवरणों एवं लक्षणों की शास्त्रीयता स्पष्टतः देखी जा सकती है।
  • हिंगलाजगढ़ मुख्यतः शाक्ति पीठ था। अतः शक्ति के विविध रूपी मूर्तिशिल्प, ख़ासकर गौरी मूर्तियाँ बहुसंख्या में मिली हैं।
  • यहाँ की मूर्तियों में चेहरा गोल, ठोड़ी में उभार, भौहें, नाक एवं पलकों के अंकन में तीखापन है।
  • वस्त्राभूषण के उकेरने में स्थानीयता का पुट स्पष्टतः दिखाई देता है।
  • नारी अंकन में मालवा की नारी ही हिंगलाज के शिल्पी का विषय रही है, परंतु साथ में उसने कालिदास के कुमारसम्भव की पार्वती की रुपराशि को भी इसमें समंवित कर सहज मृदुता, लावण्य एवं भव्यता को साकार किया है।
  • अलंकृत केश-विन्यास, पारदर्शी वस्त्र और विविध प्रकार के आभूषणों के अंकन में हिंगलाजगढ़ का शिल्पी सिद्धहस्त था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख