दृष्टान्त अलंकार: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
Line 18: | Line 18: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{व्याकरण}} | |||
[[Category:हिन्दी भाषा]] | |||
[[Category:व्याकरण]] | |||
[[Category:अलंकार]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 12:06, 4 January 2011
- जिस स्थान पर दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्य में बिम्ब- प्रतिबिम्ब भाव होता है, उस स्थान पर दृष्टान्त अलंकार होता है।
- इस अलंकार में उपमेय रूप में कहीं गई बात से मिलती-जुलती बात उपमान रूप में दूसरे वाक्य में होती है।
- उदाहरण
एक म्यान में दो तलवारें, कभी नही रह सकती है। किसी और पर प्रेम नारियाँ, पति का क्या सह सकती है।।
- इस अलंकार में एक म्यान दो तलवारों का रहना वैसे ही असंभव है जैसा कि एक पति का दो नारियों पर अनुरक्त रहना। अतः यहाँ बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव दृष्टिगत हो रहा है।[1]
|
|
|
|
|