User:रविन्द्र प्रसाद/2: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
कात्या सिंह (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 109: | Line 109: | ||
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|कृष्ण तथा अर्जुन]]'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य [[ग्रंथ]] है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। कभी-कभी सिर्फ़ 'भारत' कहा जाने वाला यह काव्य-ग्रंथ [[भारत]] का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। [[महर्षि व्यास]] की प्रार्थना पर भगवान [[गणेश]] [[महाभारत]] [[महाकाव्य]] को लिखने के लिए तैयार हुए थे। गणेश जी ने यह शर्त रखी थी कि एक बार लिखना प्रारम्भ कर देने के बाद वे रुकेंगे नहीं। अतः व्यास ने भी अपनी चतुरता से एक शर्त रखी कि कोई भी [[श्लोक]] लिखने से पहले गणेश को उसका अर्थ समझना होगा। गणेशजी ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब गणेश श्लोक के अर्थ पर विचार कर रहे होते, उतने समय में ही व्यास कुछ और नये श्लोक रच देते। इस प्रकार सम्पूर्ण [[महाभारत]] तीन वर्षों के अन्तराल में लिखी गयी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[महाभारत]] | ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|कृष्ण तथा अर्जुन]]'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य [[ग्रंथ]] है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। कभी-कभी सिर्फ़ 'भारत' कहा जाने वाला यह काव्य-ग्रंथ [[भारत]] का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। [[महर्षि व्यास]] की प्रार्थना पर भगवान [[गणेश]] [[महाभारत]] [[महाकाव्य]] को लिखने के लिए तैयार हुए थे। गणेश जी ने यह शर्त रखी थी कि एक बार लिखना प्रारम्भ कर देने के बाद वे रुकेंगे नहीं। अतः व्यास ने भी अपनी चतुरता से एक शर्त रखी कि कोई भी [[श्लोक]] लिखने से पहले गणेश को उसका अर्थ समझना होगा। गणेशजी ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब गणेश श्लोक के अर्थ पर विचार कर रहे होते, उतने समय में ही व्यास कुछ और नये श्लोक रच देते। इस प्रकार सम्पूर्ण [[महाभारत]] तीन वर्षों के अन्तराल में लिखी गयी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[महाभारत]] | ||
{[[ | {[[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] के नाग कन्या अहिलवती से उत्पन्न पुत्र कौन थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[संकर्षण]] | ||
+[[बर्बरीक]] | |||
-[[युयुत्सु]] | |||
-[[ | -[[भूरिश्रवा]] | ||
||' | ||'बर्बरीक' महान [[पाण्डव]] [[भीम (पांडव)|भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] और नाग कन्या अहिलवती के पुत्र थे। कहीं-कहीं पर मुर दैत्य की पुत्री कामकंटकटा के उदर से भी इनके जन्म होने की बात कही गई है। [[बर्बरीक]] के जन्म से ही बर्बराकार घुंघराले केश थे, अत: इनका नाम बर्बरीक रखा गया था। वह [[दुर्गा]] के उपासक थे। [[श्रीकृष्ण]] की सलाह पर बर्बरीक ने गुप्त क्षेत्र तीर्थस्थल में देवी दुर्गा की आराधना की। उन्होंने आराधना में विघ्न डालने वाले पलासी आदि दैत्यों का संहार किया था। बर्बरीक वीरता में किसी से भी कम नहीं थे। एक बार वह पितामह [[भीम]] से भी भिड़ गये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[बर्बरीक]] | ||
{[[पाण्डव]] [[अर्जुन]] का देहांत किस स्थान पर हुआ? | {[[पाण्डव]] [[अर्जुन]] का देहांत किस स्थान पर हुआ? |
Revision as of 09:56, 30 May 2013
|