शोणितपुर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''शोणितपुर''' प्राचीन किंवदंती के अनुसार महाभारत मे...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 15: Line 15:


*ऊषा की सखी सोते हुए अनिरुद्ध को [[द्वारिका]] से योग क्रिया द्वारा उठाकर शोणितपुर ले आई थी-
*ऊषा की सखी सोते हुए अनिरुद्ध को [[द्वारिका]] से योग क्रिया द्वारा उठाकर शोणितपुर ले आई थी-
<blockquote>'तत्र सुप्तं सुपर्यंके प्राद्युम्निं योगमास्थिता गृहीत्वा शोणितुरं सख्यै प्रियमदर्शयत्।'<ref>श्रीमद्भागवत 10, 62, 23</ref></blockquote>
<blockquote>'तत्र सुप्तं सुपर्यंके प्राद्युम्निं योगमास्थिता गृहीत्वा शोणितपुरं सख्यै प्रियमदर्शयत्।'<ref>श्रीमद्भागवत 10, 62, 23</ref></blockquote>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 07:12, 27 August 2014

शोणितपुर प्राचीन किंवदंती के अनुसार महाभारत में ऊषा-अनिरुद्ध उपाख्यान के संबंध में वर्णित ऊषा के पिता बाणासुर की राजधानी। कहा जाता है कि कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने ऊषा का हरण इसी स्थान पर किया था और यहीं उनका बाणासुर से युद्ध हुआ था।[1]

'तस्माल्लबध्वा वरान् बाणो दुर्लभान् स सुरैरपि, स शोणितपुरे राज्यं चकाराप्रतिमो बली।'

  • इस पुरी का वर्णन उपरोक्त अध्याय में (दाक्षिणात्यपाठ) इस प्रकार है-

'अथासाद्य महाराज तत्पुरीं ददृशुश्च ते, ताम्रप्रकार संवीतां रूप्यद्वारैश्च शोभिताम्, हेमप्रासाद सम्बाधां मुक्तामणिविचित्रिताम उद्यानवनसम्पन्नं नृत्तगीतैश्च शोभिताम्। तोरणैः पक्षिभिः कीर्णा पुष्करिण्या च शोभिताम् तां पुरीं स्वर्गसंकाशां हृष्टपुष्ट जनाकुलाम्।'

'तं शोणितपुरं नीतं श्रुत्वा विद्याविदग्धया।'

'शोणिताख्ये पुरे रम्ये स राज्यमकरोत्पुरा, तस्य शंभोः प्रसादेन किंकरा इव तेऽमराः।'

  • ऊषा की सखी सोते हुए अनिरुद्ध को द्वारिका से योग क्रिया द्वारा उठाकर शोणितपुर ले आई थी-

'तत्र सुप्तं सुपर्यंके प्राद्युम्निं योगमास्थिता गृहीत्वा शोणितपुरं सख्यै प्रियमदर्शयत्।'[5]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 912-13 |
  2. सभापर्व 38
  3. विष्णुपुराण 5, 33, 11
  4. श्रीमद्भागवत 10, 62, 4
  5. श्रीमद्भागवत 10, 62, 23

संबंधित लेख