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*रंगीन वर्ण में लाल, पीला, नीला, बैंगनी इत्यादि रंग आते हैं।  
*रंगीन वर्ण में लाल, पीला, नीला, बैंगनी इत्यादि रंग आते हैं।  
*जबकि बदरंग वर्ग में काला, सफ़ेद और कई छवियों के [[सलेटी रंग|स्लेटी रंग]] सम्मिलित हैं।  
*जबकि बदरंग वर्ग में काला, सफ़ेद और कई छवियों के [[सलेटी रंग|स्लेटी रंग]] सम्मिलित हैं।  
स्लेटी रंगों की अनेकानेक छवियाँ हैं। कोई स्लेटी सफ़ेद के निकट होता है तो कोई सफ़ेद से अत्यन्त दूर होकर काले रंग के क़रीब आ जाता है। स्लेटी छवियों को काले और सफ़ेद के बीच एक शृंखला में भी श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। शृंखला को पैमाने का भी रूप दिया जा सकता है, जिसके केन्द्र का रंग काले और सफ़ेद के समान स्तर का स्लेटी होगा। काले रंग को शून्य संख्या देकर छवि को क्रमश: आगे का अंक प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार अधिकतम संख्या अंक सफ़ेद को दिया जाता हैं।
स्लेटी रंगों की अनेकानेक छवियाँ हैं। कोई स्लेटी सफ़ेद के निकट होता है तो कोई सफ़ेद से अत्यन्त दूर होकर काले रंग के क़रीब आ जाता है। स्लेटी छवियों को काले और सफ़ेद के बीच एक श्रृंखला में भी श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। श्रृंखला को पैमाने का भी रूप दिया जा सकता है, जिसके केन्द्र का रंग काले और सफ़ेद के समान स्तर का स्लेटी होगा। काले रंग को शून्य संख्या देकर छवि को क्रमश: आगे का अंक प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार अधिकतम संख्या अंक सफ़ेद को दिया जाता हैं।





Revision as of 10:18, 9 February 2021

रंग विषय सूची
रंगों का नामकरण
विवरण रंग का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं।
उत्पत्ति रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।
मुख्य स्रोत रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है।
VIBGYOR
Violet (बैंगनी), Indigo (जामुनी), Blue (नीला), Green (हरा), Yellow (पीला), Orange (नारंगी), Red (लाल)
रंगों के प्रकार प्राथमिक रंग (लाल, नीला और हरा), द्वितीयक रंग और विरोधी रंग
संबंधित लेख इंद्रधनुष, तरंग दैर्ध्य, वर्ण विक्षेपण, अपवर्तन, होली
अन्य जानकारी विश्व की सभी भाषाओं में रंगों की विभिन्न छवियों को भिन्न नाम प्रदान किए गए हैं। लेकिन फिर भी रंगों को क्रमबद्ध नहीं किया जा सका। अंग्रेज़ी भाषा में किसी एक छवि के अनेकानेक नाम हैं।

रंग अथवा वर्ण का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।

हर सभ्यता ने रंग को अपने लिहाज़ से गढ़ा है लेकिन इत्तेफाक से किसी ने भी ज़्यादा रंगों का नामकरण नहीं किया। ज़्यादातर भाषाओं में रंगों को दो ही तरह से बांटा गया है। पहला सफ़ेद यानी हल्का और दूसरा काला यानी चटक अंदाज़ लिए हुए।

  • अरस्तु ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगों में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीज़ों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरुष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक प्रभावी रहा।
  • 17-18वीं शताब्दी में न्यूटन के सिद्धांत ने इसे सामान्य रंगों में बदल दिया। 1672 में न्यूटन ने रंगों पर अपना पहला पेपर प्रस्तुत किया था जो बहुत विवादों में रहा।
  • गोथे ने न्यूटन के सिद्धांत को पूरी तरह नकारते हुए थ्योरी ऑफ़ कलर्स (Theory Of Colours) नामक किताब लिखी। गोथे के सिद्धांत अरस्तु से मिलते हैं। गोथे ने कहा कि गहरे अंधेरे में से सबसे पहले नीला रंग निकलता है, यह गहरेपन को दर्शाता है। वहीं उगते हुए सूरज में से पीला रंग सबसे पहले निकलता है जो हल्के रंगों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
  • 19 वीं शताब्दी में कलर थेरेपी का प्रभाव कम हुआ लेकिन 20वीं शताब्दी में यह नए स्वरूप में पैदा हुआ। आज के कई डॉक्टर कलर थेरेपी को इलाज का बढ़िया माध्यम मानकर इसका इस्तेमाल करते हैं।
  • रंग विशेषज्ञ मानते हैं कि हमें प्रकृति से सान्निध्य बनाते हुए रंगों को कलर थेरेपी के बजाय ज़िन्दगी के तौर पर अपनाना चाहिए। रंगों को समझने में सबसे बड़ा योगदान उन लोगों ने किया जो विज्ञान, गणित, तत्त्व विज्ञान और धर्मशास्त्र के अनुसार काम करते थे।[1]
  • ऑस्टवाल्ड नामक वैज्ञानिक ने आठ आदर्श रंगों को विशेष क्रम से एक क्रम में संयोजित किया। इस चक्र को ऑस्टवाल्ड वर्ण चक्र कहते हैं। इस चक्र में प्रदर्शित किये गये आठ आदर्श रंगों को निम्न विशेष क्रम में प्रदर्शित किया जा सकता है-

पीला

पीला रंग वह रंग है जो कि मानवीय आँख के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यमक, दोनों तरंग दैर्ध्य वालों को प्रभावित करता है। यह वह रंग है, जिसमें लाल एवं हरा रंग बाहुल्य में एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस की आवृति लगभग 5.07 - 5.19 तथा तरंग दैर्ध्य 5780 Å से 5920 Å[2] है।

नारंगी

नारंगी एक पारिभाषित तथा दैनिक जीवन में प्रयुक्त रंग है, जो नारंगी (फल) के छिलके के रंग जैसा दिखता है। यह प्रत्यक्ष वर्णक्रम (स्पॅक्ट्रम) के पीला एवं लाल रंग के बीच में, लगभग 5920 Å से 6200 Å [3] के तरंग दैर्ध्य में मिलता है। इसकी आवृति 4.84 - 5.07 होती है।

लाल

लाल रंग को रक्त रंग भी कहा जाता है, इसका कारण रक्त का रंग लाल होना है। लाल वर्ण प्रकाश की सर्वाधिक लम्बी तरंग दैर्ध्य वाली रोशनी या प्रकाश किरण को कहते हैं। इसका तरंग दैर्ध्य लगभग 6200 Å से 7800 Å [4] तक तथा इसकी आवृति 3.75 - 4.84 होती है। इससे लम्बी तरंग को अधोरक्त कहते हैं, जो कि मानवीय चक्षु (आँख) द्वारा दृश्य नहीं है। thumb|left|250px|आवृति
Frequency

बैंगनी

बैंगनी रंग एक सब्जी़ बैंगन के नाम पर रखा हुआ नाम है। अँग्रेजी़ में इसे वॉय्लेट (voilet) कहते हैं, जो कि इसी नाम के फूल से रखा है। इसकी तरंग दैर्ध्य 3800 Å से 4460 Å [5]होती है। जिसके बाद इंडिगो रंग होता है। यह प्रत्यक्ष वर्णचक्र के ऊपरी छोर पर स्थित होता है। यह वर्णक्रम के नीला एवं हरा रंग के बीच में लगभग 380-450 nm के तरंग दैर्ध्य में मिलता है।

नीला

नीला रंग वह है, जिसे प्रकाश के प्रत्यक्ष वर्णक्रम की 4460 Å से 4640 Å[6] की तरंग दैर्घ्य तथा 6.47 - 6.73 की आवृति द्वारा दृश्य किया जाता है।

आसमानी

आसमानी को नीलमणी भी कहा जाता है। आसमानी रंग द्वितीयक रंग की श्रेणी में आता है। आसमानी रंग को ठंड़ा रंग माना जाता है। आसमान के रंग का होने के कारण इसे आसमानी रंग कहा जाता है।

समुद्री हरा

समुद्री हरा रंग हरे रंग की वह छाया है, जो कि सागर की तलहटी के रंग को दर्शाता है।

धानी

धानी या पत्ती हरा रंग हरे और पीले रंग के मिश्रण से प्राप्त होता है। धान के रंग का होने के कारण इसका नाम धानी पड़ गया।

रंगों के पारिभाषिक नाम

दुनिया भर में जितने भी रंग मिलते हैं, उसे हम मुख्यत: दो वर्गों में बाँट सकते हैं।

  • रंगीन वर्ण में लाल, पीला, नीला, बैंगनी इत्यादि रंग आते हैं।
  • जबकि बदरंग वर्ग में काला, सफ़ेद और कई छवियों के स्लेटी रंग सम्मिलित हैं।

स्लेटी रंगों की अनेकानेक छवियाँ हैं। कोई स्लेटी सफ़ेद के निकट होता है तो कोई सफ़ेद से अत्यन्त दूर होकर काले रंग के क़रीब आ जाता है। स्लेटी छवियों को काले और सफ़ेद के बीच एक श्रृंखला में भी श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। श्रृंखला को पैमाने का भी रूप दिया जा सकता है, जिसके केन्द्र का रंग काले और सफ़ेद के समान स्तर का स्लेटी होगा। काले रंग को शून्य संख्या देकर छवि को क्रमश: आगे का अंक प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार अधिकतम संख्या अंक सफ़ेद को दिया जाता हैं।


अन्य भाषाओं में नाम
भाषा हिन्दी उड़िया उर्दू कन्नड़ कश्मीरी असमिया गुजराती
शब्द वर्ण रंग रंग बण्ण रंग रं बरण बोल रंग
भाषा उड़िया तमिल तेलुगु नेपाली पंजाबी बांग्ला बोडो
शब्द रंग निरम्, चायम् रगु, वन्ने रंग रंग, वर्ण
भाषा मणिपुरी मराठी मलयालम मैथिली संथाली सिंधी अंग्रेज़ी
शब्द रंग, वर्ण निरं, वर्णं रंगु Colour,



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शर्मा, डॉ. अमित कुमार। रंग और होली (एच टी एम एल) BrandBihar.com। अभिगमन तिथि: 22 अक्टूबर, 2010
  2. Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm nanometre
  3. Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm nanometre
  4. Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm nanometre
  5. Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm nanometre
  6. Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm nanometre

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख