ज्येष्ठ: Difference between revisions

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*ज्येष्ठ [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[दशमी]] को [[गंगा दशहरा]]
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*ज्येष्ठ शुक्ल [[एकादशी]] को निर्जला एकादशी
*ज्येष्ठ शुक्ल [[एकादशी]] को निर्जला एकादशी


इन त्योहारों से  ऋषियों ने संदेश दिया कि [[गंगा नदी]] का पूजन करें और जल के महत्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि [[वर्ष]] में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्व समझें।  ईश्वर की पूजा करें।  
इन त्योहारों से  ऋषियों ने संदेश दिया कि [[गंगा नदी]] का पूजन करें और जल के महत्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि [[वर्ष]] में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्व समझें।  ईश्वर की पूजा करें।  


गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] और [[यमुना नदी]]  गंगा नदी से बडी और विस्तार में [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है।
गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] और [[यमुना नदी]]  गंगा नदी से बडी और विस्तार में [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है।


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Revision as of 05:04, 14 January 2011

ज्येष्ठ हिंदू पंचांग का तीसरा मास है। ज्येष्ठ या जेठ माह गर्मी का माह है। इस महीने में बहुत गर्मी पडती है। फाल्गुन माह में होली के त्योहार के बाद से ही गर्मियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं। चैत्र और बैशाख माह में अपनी गर्मी दिखाते हुए ज्येष्ठ माह में वह अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ गर्मी का माह है। इस माह जल का महत्व बढ जाता है। इस माह जल की पूजा की जाती है और जल को बचाने का प्रयास किया जाता है। प्राचीन समय में ऋषि मुनियों ने पानी से जुड़े दो त्योहारों का विधान इस माह में किया है-

इन त्योहारों से ऋषियों ने संदेश दिया कि गंगा नदी का पूजन करें और जल के महत्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि वर्ष में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्व समझें। ईश्वर की पूजा करें।

गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि नर्मदा और यमुना नदी गंगा नदी से बडी और विस्तार में ब्रह्मपुत्र बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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