User:रविन्द्र प्रसाद/2: Difference between revisions
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+[[पानीपत युद्ध प्रथम|पानीपत के प्रथम युद्ध]] में | +[[पानीपत युद्ध प्रथम|पानीपत के प्रथम युद्ध]] में | ||
-उपर्युक्त सभी में | -उपर्युक्त सभी में | ||
||[[बाबर]] ने अपनी कृति 'बाबरनामा' में इस युद्ध को जीतने में मात्र 12000 सैनिकों के उपयोग का ज़िक्र किया है, किन्तु इस विषय पर इतिहासकारों में मतभेद हैं। इस युद्ध में बाबर ने पहली बार प्रसिद्ध 'तुलगमा युद्ध नीति' का प्रयोग किया था। इसी युद्ध में बाबर ने तोपों को सजाने में 'उस्मानी विधि' (रूमी विधि) का प्रयोग किया था। बाबर ने तुलगमा युद्ध पद्धति उजबेकों से ग्रहण की थी।{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पानीपत युद्ध]] | ||[[बाबर]] ने अपनी कृति 'बाबरनामा' में इस युद्ध को जीतने में मात्र 12000 सैनिकों के उपयोग का ज़िक्र किया है, किन्तु इस विषय पर इतिहासकारों में मतभेद हैं। इस युद्ध में बाबर ने पहली बार प्रसिद्ध 'तुलगमा युद्ध नीति' का प्रयोग किया था। इसी युद्ध में बाबर ने तोपों को सजाने में 'उस्मानी विधि' (रूमी विधि) का प्रयोग किया था। बाबर ने तुलगमा युद्ध पद्धति उजबेकों से ग्रहण की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पानीपत युद्ध]] | ||
{30 दिसम्बर, 1530 ई. को [[हुमायूँ]] का राज्याभिषेक कहाँ पर किया गया था? | {30 दिसम्बर, 1530 ई. को [[हुमायूँ]] का राज्याभिषेक कहाँ पर किया गया था? | ||
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-[[काबुल]] | -[[काबुल]] | ||
-[[लाहौर]] | -[[लाहौर]] | ||
||[[चित्र:Tajmahal-10.jpg|right|120px|ताजमहल आगरा]][[मुग़ल काल]] के प्रसिद्ध नगर [[आगरा]] की नींव [[दिल्ली]] के सुल्तान [[ | ||[[चित्र:Tajmahal-10.jpg|right|120px|ताजमहल आगरा]][[मुग़ल काल]] के प्रसिद्ध नगर [[आगरा]] की नींव [[दिल्ली]] के सुल्तान [[सिकन्दर लोदी|सिकंदरशाह लोदी]] ने 1504 ई. में डाली थी। इसने अपने शासनकाल में होने वाले विद्रोहों को भली भांति दबाने के लिए आगरा के स्थान पर एक सैनिक छावनी बनाई थी, जिसके द्वारा उसे [[इटावा]], [[बयाना]], कोल, [[ग्वालियर]] और धौलपुर के विद्रोहों को दबाने में सहायता मिली। 1530 ई. को 23 वर्ष की आयु में [[मुग़ल वंश]] के शासक [[हुमायूँ]] का राज्याभिषेक भी यहीं पर किया गया था। [[बाबर]] ने अपनी मृत्यु से पूर्व ही हुमायूँ को गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आगरा]] | ||
{किस युद्ध को जीतने के बाद [[शेरशाह]] ने [[दिल्ली]] में [[अफ़ग़ान]] सत्ता की स्थापना की? | {किस युद्ध को जीतने के बाद [[शेरशाह]] ने [[दिल्ली]] में [[अफ़ग़ान]] सत्ता की स्थापना की? | ||
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+[[समुद्रगुप्त]] | +[[समुद्रगुप्त]] | ||
-[[स्कन्दगुप्त]] | -[[स्कन्दगुप्त]] | ||
||[[हरिषेण]] के शब्दों में [[समुद्रगुप्त]] का चरित्र इस प्रकार का था- 'उसका मन विद्वानों के सत्संग-सुख का व्यसनी था। उसके जीवन में [[सरस्वती]] और [[लक्ष्मी]] का अविरोध था। वह वैदिक मार्ग का अनुयायी था। उसका काव्य ऐसा था, कि कवियों की बुद्धि विभव का भी उससे विकास होता था, यही कारण है कि उसे 'कविराज' की उपाधि दी गई थी। ऐसा कौन सा ऐसा गुण है, जो उसमें नहीं था। सैकड़ों देशों में विजय प्राप्त करने की उसमें अपूर्व क्षमता थी।{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[समुद्रगुप्त]] | ||[[हरिषेण]] के शब्दों में [[समुद्रगुप्त]] का चरित्र इस प्रकार का था- 'उसका मन विद्वानों के सत्संग-सुख का व्यसनी था। उसके जीवन में [[सरस्वती]] और [[लक्ष्मी]] का अविरोध था। वह वैदिक मार्ग का अनुयायी था। उसका काव्य ऐसा था, कि कवियों की बुद्धि विभव का भी उससे विकास होता था, यही कारण है कि उसे 'कविराज' की उपाधि दी गई थी। ऐसा कौन सा ऐसा गुण है, जो उसमें नहीं था। सैकड़ों देशों में विजय प्राप्त करने की उसमें अपूर्व क्षमता थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[समुद्रगुप्त]] | ||
{इतिहासकार 'स्मिथ' ने [[अकबर]] के किस अभियान को ‘ऐतिहासिक द्रुतगामी आक्रमण’ कहा था? | {इतिहासकार 'स्मिथ' ने [[अकबर]] के किस अभियान को ‘ऐतिहासिक द्रुतगामी आक्रमण’ कहा था? | ||
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-[[विलियम हॉकिंस|हॉकिन्स]] | -[[विलियम हॉकिंस|हॉकिन्स]] | ||
-[[थॉमस रो]] | -[[थॉमस रो]] | ||
||रॉल्फ़ फ़्रिंच के यात्रा विवरणों के आधार पर ही [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] ने [[भारत]] में अपने व्यापार की योजना बनाई थी। रॉल्फ़ फ़्रिंच ने भारतीयों तथा उनके रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से लिखा है। उसने [[आगरा]] एवं [[फ़तेहपुर सीकरी]] को [[लन्दन]] से भी बड़ा बताया। रॉल्फ़ फ़्रिंच ने बाल विवाह तथा [[सती प्रथा]] का भी उल्लेख किया है।{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रॉल्फ़ फ़्रिंच]] | ||रॉल्फ़ फ़्रिंच के यात्रा विवरणों के आधार पर ही [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] ने [[भारत]] में अपने व्यापार की योजना बनाई थी। रॉल्फ़ फ़्रिंच ने भारतीयों तथा उनके रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से लिखा है। उसने [[आगरा]] एवं [[फ़तेहपुर सीकरी]] को [[लन्दन]] से भी बड़ा बताया। रॉल्फ़ फ़्रिंच ने बाल विवाह तथा [[सती प्रथा]] का भी उल्लेख किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रॉल्फ़ फ़्रिंच]] | ||
{[[जहाँगीर]] ने किसके द्वारा [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या करवाई? | {[[जहाँगीर]] ने किसके द्वारा [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या करवाई? | ||
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-[[शाहजहाँ]] | -[[शाहजहाँ]] | ||
-[[औरंगज़ेब]] | -[[औरंगज़ेब]] | ||
||[[चित्र:Jahangir.jpg|right|120px|जहाँगीर]][[मुग़ल]] सम्राट जहाँगीर ने जमानबेग़ को 'महावत ख़ाँ' की उपाधि प्रदान कर डेढ़ हज़ार का मनसब दिया, [[अबुल फ़ज़ल]] के पुत्र [[रहीम|अब्दुर्रहीम]] को दो हज़ार का मनसब प्रदान किया। सम्राट ने अपने कुछ कृपापात्र, जैसे कुतुबुद्दीन कोका को [[बंगाल]] का गर्वनर एवं शरीफ़ ख़ाँ को प्रधानमंत्री पद प्रदान किया। [[जहाँगीर]] के शासनकाल में कुछ विदेशियों का भी आगमन हुआ। इनमें [[कैप्टन हॉकिन्स]] और [[थॉमस रो|सर टामस रो]] प्रमुख थे, जिन्होंने सम्राट जहाँगीर से [[भारत]] में व्यापार करने के लिए अनुमति देने की याचना की।{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||[[चित्र:Jahangir.jpg|right|120px|जहाँगीर]][[मुग़ल]] सम्राट जहाँगीर ने जमानबेग़ को 'महावत ख़ाँ' की उपाधि प्रदान कर डेढ़ हज़ार का मनसब दिया, [[अबुल फ़ज़ल]] के पुत्र [[रहीम|अब्दुर्रहीम]] को दो हज़ार का मनसब प्रदान किया। सम्राट ने अपने कुछ कृपापात्र, जैसे कुतुबुद्दीन कोका को [[बंगाल]] का गर्वनर एवं शरीफ़ ख़ाँ को प्रधानमंत्री पद प्रदान किया। [[जहाँगीर]] के शासनकाल में कुछ विदेशियों का भी आगमन हुआ। इनमें [[कैप्टन हॉकिन्स]] और [[थॉमस रो|सर टामस रो]] प्रमुख थे, जिन्होंने सम्राट जहाँगीर से [[भारत]] में व्यापार करने के लिए अनुमति देने की याचना की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||
{किस [[सिक्ख]] नेता की [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण न करने पर [[औरंगज़ेब]] ने हत्या करवा दी? | {किस [[सिक्ख]] नेता की [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण न करने पर [[औरंगज़ेब]] ने हत्या करवा दी? | ||
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+[[गुरु तेग बहादुर सिंह]] | +[[गुरु तेग बहादुर सिंह]] | ||
-[[गुरु अंगद]] | -[[गुरु अंगद]] | ||
||गुरु तेग बहादुर ने [[औरंगज़ेब]] से कहा- 'यदि तुम ज़बर्दस्ती लोगों से [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण करवाओगे, तो तुम सच्चे [[मुसलमान]] नहीं हो, क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि, किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाए।' औरंगज़ेब यह सुनकर आगबबूला हो गया। उसने [[दिल्ली]] के चाँदनी चौक पर [[गुरु तेग बहादुर सिंह]] का शीश काटने का हुक्म ज़ारी कर दिया और गुरु जी ने हँसते-हँसते बलिदान दे दिया। | ||गुरु तेग बहादुर ने [[औरंगज़ेब]] से कहा- 'यदि तुम ज़बर्दस्ती लोगों से [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण करवाओगे, तो तुम सच्चे [[मुसलमान]] नहीं हो, क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि, किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाए।' औरंगज़ेब यह सुनकर आगबबूला हो गया। उसने [[दिल्ली]] के चाँदनी चौक पर [[गुरु तेग बहादुर सिंह]] का शीश काटने का हुक्म ज़ारी कर दिया और गुरु जी ने हँसते-हँसते बलिदान दे दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु तेग बहादुर सिंह]] | ||
{[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] ने कब ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी? | {[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] ने कब ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी? | ||
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-[[बाजीराव प्रथम]] | -[[बाजीराव प्रथम]] | ||
+[[बालाजी विश्वनाथ]] | +[[बालाजी विश्वनाथ]] | ||
||'चित्तपावन वंश' का [[ब्राह्मण]] [[बालाजी विश्वनाथ]] अपनी बुद्धि एवं प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध था, इसलिए [[शाहू]] ने उसे अपनी सेना में लिया था। 1669 से 1702 ई. के मध्य बालाजी विश्वनाथ [[पूना]] एवं [[दौलताबाद]] का सूबेदार रहा। 1707 ई. में 'खेड़ा के युद्ध' में उसने शाहू को समर्थन देते हुए [[ताराबाई]] के सेनापति धनाजी जादव को शाहू की ओर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। बाद के समय में बालाजी विश्वनाथ ने राजधानी को भी पूना स्थानांतरित कर लिया था।{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बालाजी विश्वनाथ]] | ||'चित्तपावन वंश' का [[ब्राह्मण]] [[बालाजी विश्वनाथ]] अपनी बुद्धि एवं प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध था, इसलिए [[शाहू]] ने उसे अपनी सेना में लिया था। 1669 से 1702 ई. के मध्य बालाजी विश्वनाथ [[पूना]] एवं [[दौलताबाद]] का सूबेदार रहा। 1707 ई. में 'खेड़ा के युद्ध' में उसने शाहू को समर्थन देते हुए [[ताराबाई]] के सेनापति धनाजी जादव को शाहू की ओर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। बाद के समय में बालाजी विश्वनाथ ने राजधानी को भी पूना स्थानांतरित कर लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बालाजी विश्वनाथ]] | ||
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Revision as of 09:14, 17 August 2011
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