सुल्तानपुर पर्यटन: Difference between revisions

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सुल्तानपुर स्थित विजेथा [[ हनुमान|भगवान हनुमान]] को समर्पित मंदिर है। माना जाता है कि इस जगह पर हनुमान ने कलनेमी दानव का वध किया था। [[लक्ष्मण]] के प्राण बचाने के लिए जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए गए थे, तो [[रावण]] द्वारा भेजे गए कलनेमी दानव ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया था। उस समय हनुमान जी ने कलनेमी दानव का वध किया था।
सुल्तानपुर स्थित विजेथा [[ हनुमान|भगवान हनुमान]] को समर्पित मंदिर है। माना जाता है कि इस जगह पर हनुमान ने कलनेमी दानव का वध किया था। [[लक्ष्मण]] के प्राण बचाने के लिए जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए गए थे, तो [[रावण]] द्वारा भेजे गए कलनेमी दानव ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया था। उस समय हनुमान जी ने कलनेमी दानव का वध किया था।
==कोटव==
==कोटव==
यह एक धार्मिक स्थल है। कोटव को कोटव धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर [[विष्णु|भगवान विष्णु]] को समर्पित है। मंदिर में [[शिव|भगवान शिव]] की सफेद संगमरमर से बनी खूबसूरत प्रतिमा स्थित है। यहां मंदिर के समीप पर ही एक खूबसूरत सरोवर स्थित है। प्रत्येक [[वर्ष]] [[अक्टूबर]] और [[अप्रैल]] [[माह]] में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान काफ़ी संख्या में भक्त इस सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं।  
यह एक धार्मिक स्थल है। कोटव को कोटव धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर [[विष्णु|भगवान विष्णु]] को समर्पित है। मंदिर में [[शिव|भगवान शिव]] की सफेद संगमरमर से बनी ख़ूबसूरत प्रतिमा स्थित है। यहां मंदिर के समीप पर ही एक ख़ूबसूरत सरोवर स्थित है। प्रत्येक [[वर्ष]] [[अक्टूबर]] और [[अप्रैल]] [[माह]] में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान काफ़ी संख्या में भक्त इस सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं।  
==लोहरामऊ==
==लोहरामऊ==
यह जगह सुल्तानपुर शहर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोहरमऊ यहां के प्रमुख स्थलों में से है। इस जगह पर देवी [[दुर्गा]] का विशाल मंदिर स्थित है।
यह जगह सुल्तानपुर शहर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोहरमऊ यहां के प्रमुख स्थलों में से है। इस जगह पर देवी [[दुर्गा]] का विशाल मंदिर स्थित है।

Latest revision as of 14:29, 2 September 2013

सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर पर्यटन सुल्तानपुर ज़िला

यह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले में स्थित है।

धूपप

सुल्तानपुर ज़िले स्थित धूपप यहां के प्रमुख स्थलों में से है। माना जाता है कि यह वहीं स्थान है जहां भगवान श्री राम ने महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार गोमती नदी में स्नान किया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति दशहरे के दिन यहां स्नान करता है उसके सभी पाप गोमती नदी में धूल जाते हैं। यहां एक विशाल मंदिर भी है। काफ़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा के लिए आते हैं।

सुंदर लाल मेमोरियल हॉल

सुंदर लाल मेमोरियल हॉल सुल्तानपुर ज़िले के क्राइस्ट चर्च के दक्षिणी दिशा की ओर स्थित है। इसका निर्माण महारानी विक्टोरिया की याद में उनकी पहली जयन्ती पर करवाया गया था। वर्तमान समय में इसे विक्टोरिया मंज़िल के नाम से जाना जाता है। लेकिन अब इस जगह पर म्युनसिपल बोर्ड का कार्यालय है।

विजेथा

सुल्तानपुर स्थित विजेथा भगवान हनुमान को समर्पित मंदिर है। माना जाता है कि इस जगह पर हनुमान ने कलनेमी दानव का वध किया था। लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए गए थे, तो रावण द्वारा भेजे गए कलनेमी दानव ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया था। उस समय हनुमान जी ने कलनेमी दानव का वध किया था।

कोटव

यह एक धार्मिक स्थल है। कोटव को कोटव धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर में भगवान शिव की सफेद संगमरमर से बनी ख़ूबसूरत प्रतिमा स्थित है। यहां मंदिर के समीप पर ही एक ख़ूबसूरत सरोवर स्थित है। प्रत्येक वर्ष अक्टूबर और अप्रैल माह में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान काफ़ी संख्या में भक्त इस सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं।

लोहरामऊ

यह जगह सुल्तानपुर शहर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोहरमऊ यहां के प्रमुख स्थलों में से है। इस जगह पर देवी दुर्गा का विशाल मंदिर स्थित है।

कोइरीपुर

यहां पर श्री हनुमानजी, भगवान राम और सीता, भगवान शंकर के काफ़ी मंदिर है। इन मंदिरों का निर्माण स्थानीय लोगों ने मिलकर करवाया था। पूर्णिमा पर बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में काफ़ी संख्या में लोग सम्मिलित होते हैं। नगर पंचायत कोइरीपुर या यूँ कहे की मंदिरों का नगर, इस नगर के चारो तरफ मंदिर और तालाब है, जो इस टाउन एरिया को विशेष की श्रेणी में लाते है। नगर के पूर्व दिशा में माँ जालपा का मंदिर और पश्चिम में बजरंगबली का मंदिर है और उत्तर दिशा में श्री राम जानकी जी का मंदिर स्थित है। यहाँ पर हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्म के लोग बड़े ही "भाईचारे" से रहते है और एक दूसरे के उत्सवों में हर्षोल्लास के साथ शामिल भी होते है।

सतथिन शरीफ

प्रत्येक वर्ष यहां दस दिन के उर्स का आयोजन किया जाता है। शाह अब्दुल लातिफ और उनके समकालीन बाबा मदारी शाह उस समय के प्रसिद्ध फ़कीर थे। यहां गोमती नदी के तट पर शाह अब्दुल लातिफ की समाधि स्थित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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