गणमुक्तिश्वर महादेव का मंदिर: Difference between revisions
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*इस मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है, जो 'नृगकूप' के नाम से प्रसिद्ध है। | *इस मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है, जो 'नृगकूप' के नाम से प्रसिद्ध है। | ||
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*गिरगिट की योनि से मुक्त होने पर उन्होंने [[यज्ञ]] कराया और यज्ञशाला के निकट ही, जिस स्थान पर वे गिरगिट बनकर पड़े रहे, वहां एक कूप बनवाया, जो 'नृगकूप' के नाम से प्रसिद्ध है। | *गिरगिट की योनि से मुक्त होने पर उन्होंने [[यज्ञ]] कराया और यज्ञशाला के निकट ही, जिस स्थान पर वे गिरगिट बनकर पड़े रहे, वहां एक कूप बनवाया, जो 'नृगकूप' के नाम से प्रसिद्ध है। | ||
*उस नृगकूप को आज 'नक्का कुआं' के नाम से जाना जाता है। | *उस नृगकूप को आज 'नक्का कुआं' के नाम से जाना जाता है। |
Latest revision as of 14:03, 20 September 2013
गणमुक्तिश्वर महादेव गढ़मुक्तेश्वर के उत्तरी छोर पर स्थित है।
- यहां भगवान शिव के दर्शन से शापग्रस्त शिवगणों को पिशाच योनि से मुक्ति प्राप्त हुई थी, इसी कारण 'शिववल्लभ तीर्थ' का नाम 'गणमुक्तिश्वर' पड़ गया।
- मुक्तिश्वर महादेव का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है।
- इस मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है, जो 'नृगकूप' के नाम से प्रसिद्ध है।
- इसके विषय में महाभारत में उल्लेख है कि दानवीर महाराज नृग भूलवश किये एक छोटे से अपराध के कारण 'गिरगिट' बन गये थे।
- गिरगिट की योनि से मुक्त होने पर उन्होंने यज्ञ कराया और यज्ञशाला के निकट ही, जिस स्थान पर वे गिरगिट बनकर पड़े रहे, वहां एक कूप बनवाया, जो 'नृगकूप' के नाम से प्रसिद्ध है।
- उस नृगकूप को आज 'नक्का कुआं' के नाम से जाना जाता है।
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