कुशस्थली, द्वारका: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 24: Line 24:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{गुजरात के पर्यटन स्थल}}
{{गुजरात के ऐतिहासिक स्थान}}{{गुजरात के पर्यटन स्थल}}
[[Category:गुजरात]][[Category:गुजरात के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:गुजरात_के_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:गुजरात]][[Category:गुजरात के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:गुजरात_के_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:गुजरात_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:धार्मिक_स्थल कोश]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:गुजरात_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:धार्मिक_स्थल कोश]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 14:01, 28 December 2014

कुशस्थली प्रसिद्ध नगरी द्वारका का प्राचीन नाम है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा रैवतक के समुद्र में कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण ही इस नगरी का नाम 'कुशस्थली' हुआ था। बाद में त्रिविक्रम भगवान ने 'कुश' नामक दानव का वध भी यहीं किया था। त्रिविक्रम का मंदिर द्वारका में रणछोड़जी के मंदिर के निकट है।

'आनर्तस्यापि रेवतनामा पुत्रोजज्ञे योऽसावानर्तविषयं बुभुजे पुरीं च कुशस्थलीमध्युवास।'[3]

अर्थात् "आनर्त के रैवत नामक पुत्र हुआ, जिसने कुशस्थली नामक पुरी में रह कर आनर्त पर राज्य किया।

  • विष्णुपुराण[4] से सूचित होता है कि प्राचीन 'कुशावती' के स्थान पर ही श्रीकृष्ण ने द्वारका बसाई थी-

'कुशस्थली या तव भूप रम्या पुरी पुराभूदमरावतीव, सा द्वारका संप्रति तत्र चास्ते स केशवांशो बलदेवनामा'।

  • कुशावती का अन्य नाम 'कुशावर्त' भी था। एक प्राचीन किंवदंती में द्वारका का संबंध 'पुण्यजनों' से बताया गया है। ये 'पुण्यजन' वैदिक 'पणिक' या 'पणि' हो सकते हैं। अनेक विद्वानों का मत है कि पणिक या पणि प्राचीन ग्रीस के फिनीशियनों का ही भारतीय नाम था। ये लोग अपने को कुश की संतान मानते थे।[5] इस प्रकार कुशस्थली या कुशावर्त नाम बहुत प्राचीन सिद्ध होता है।
  • पुराणों के वंशवृत्त में शार्यातों के मूल पुरुष शर्याति की राजधानी भी कुशस्थली बताई गई है।
  • महाभारत[6] के अनुसार कुशस्थली रैवतक पर्वत से घिरी हुई थी-

'कुशस्थली पुरी रम्या रैवतेनोपशोभितम्।'

  • जरासंध के आक्रमण से बचने के लिए श्रीकृष्ण मथुरा से कुशस्थली आ गए थे और यहीं उन्होंने नई नगरी द्वारका बसाई थी। पुरी की रक्षा के लिए उन्होंने अभेद्य दुर्ग की रचना की थी, जहां रहकर स्त्रियां भी युद्ध कर सकती थीं-

'तथैव दुर्गसंस्कारं देवैरपि दुरासदम्, स्त्रियोऽपियस्यां युध्येयु: किमु वृष्णिमहारथा:'।[7]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बलराम की पत्नी रेवती के पिता
  2. हरिवंश पुराण 1,11,4
  3. विष्णुपुराण 4,1,64
  4. विष्णुपुराण 4,1,91
  5. वेडल-मेकर्स आव सिविलीजेशन, पृ. 80
  6. महाभारत सभापर्व 14,50
  7. महाभारत, सभापर्व 14,51

संबंधित लेख