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'''रंग''' [शुद्ध: '''रङ्ग'''] अथवा '''वर्ण''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:- ''Color अथवा Colour'') का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं। | '''रंग''' [शुद्ध: '''रङ्ग'''] अथवा '''वर्ण''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:- ''Color अथवा Colour'') का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं। | ||
मानवी गुणधर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, [[प्रकाश]] स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं। | मानवी गुणधर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, [[प्रकाश]] स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं। | ||
==रंग क्या है== | |||
रंग क्या है? इस विषय पर वैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों की जिज्ञासा बहुत समय से रही है, परंतु इसका व्यवस्थित अध्ययन सर्वप्रथम [[न्यूटन के नियम|न्यूटन]] ने किया। यह बहुत काल से ज्ञात था कि सफ़ेद प्रकाश काँच के प्रिज़्म से देखने पर रंगीन दिखाई देता है। न्यूटन ने इस पर तत्कालीन वैज्ञानिक यथार्थता के साथ प्रयोग किया। | रंग क्या है? इस विषय पर वैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों की जिज्ञासा बहुत समय से रही है, परंतु इसका व्यवस्थित अध्ययन सर्वप्रथम [[न्यूटन के नियम|न्यूटन]] ने किया। यह बहुत काल से ज्ञात था कि सफ़ेद प्रकाश काँच के प्रिज़्म से देखने पर रंगीन दिखाई देता है। न्यूटन ने इस पर तत्कालीन वैज्ञानिक यथार्थता के साथ प्रयोग किया। | ||
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==मुख्य स्रोत== | ==मुख्य स्रोत== | ||
रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या [[अंग्रेज़ी भाषा]] में '''VIBGYOR''' और [[हिन्दी]] में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है। इसे "बैं नी आ ह पी ना ला" भी कहते हैं (यहाँ 'आ' आसमानी के लिए है) जो इस प्रकार हैं:- | रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या [[अंग्रेज़ी भाषा]] में '''VIBGYOR''' और [[हिन्दी]] में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है। इसे "बैं नी आ ह पी ना ला" भी कहते हैं (यहाँ 'आ' आसमानी के लिए है) जो इस प्रकार हैं:- | ||
<center><span style="color: violet">'''बैंगनी (violet)'''</span>, <span style="color: indigo">'''जामुनी (indigo)'''</span>, <span style="color: blue">'''नीला (blue)'''</span>, <span style="color: green">'''हरा (green)'''</span>, <span style="color: yellow">'''पीला (yellow)'''</span>, <span style="color:orange">'''नारंगी (orange)'''</span>, <span style="color: red">'''लाल (red)'''</span></center> | <center><span style="color: violet">'''बैंगनी (violet)'''</span>, <span style="color: indigo">'''जामुनी (indigo)'''</span>, <span style="color: blue">'''नीला (blue)'''</span>, <span style="color: green">'''हरा (green)'''</span>, <span style="color: yellow">'''पीला (yellow)'''</span>, <span style="color:orange">'''नारंगी (orange)'''</span>, <span style="color: red">'''लाल (red)'''</span></center> | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
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रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में [[भारत]] का विशेष योगदान रहा है। [[मुग़ल काल]] में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। यहाँ तक कि कई नये-नये रंगों का आविष्कार भी हुआ। इससे ऐसा आभास होता है कि रंगों के उपलब्ध कठिन पारिभाषिक नामों के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं में उनके सुगम नाम भी विद्यमान रहे होंगे। | रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में [[भारत]] का विशेष योगदान रहा है। [[मुग़ल काल]] में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। यहाँ तक कि कई नये-नये रंगों का आविष्कार भी हुआ। इससे ऐसा आभास होता है कि रंगों के उपलब्ध कठिन पारिभाषिक नामों के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं में उनके सुगम नाम भी विद्यमान रहे होंगे। | ||
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*'''अरस्तु''' ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगों में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीज़ों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरुष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक प्रभावी रहा। | *'''अरस्तु''' ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगों में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीज़ों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरुष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक प्रभावी रहा। | ||
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रंगों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- | रंगों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- | ||
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==रंगों का महत्त्व== | ==रंगों का महत्त्व== | ||
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रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमज़ोर आँखें रंगों की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है। | रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमज़ोर आँखें रंगों की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है। | ||
"प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती [[इन्द्रधनुष]] की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता | "प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती [[इन्द्रधनुष]] की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। | ||
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हम हमेशा से देखते आए हैं कि देवी-देवताओं के चित्र में उनके मुख मंडल के पीछे एक आभामंडल बना होता है। यह आभा मंडल हर जीवित व्यक्ति, पेड़-पौधे आदी में निहित होता हैं। इस आभामंडल को किरलियन फ़ोटोग्राफी से देखा भी जा सकता हैं। यह आभामंडल शरीर से 2" से 4" इंच की दूरी पर दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि हमारा शरीर रंगों से भरा है। हमारे शरीर पर रंगों का प्रभाव बहुत ही सूक्ष्म प्रक्रिया से होता हैं। सबसे उपयोगी [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का [[प्रकाश]] है। इसके अतिरिक्त हमारा रंगों से भरा आहार, घर या कमरों के रंग, कपड़े के रंग आदि भी शरीर की ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। इलाज की एक पद्धति 'रंग चिक्तिसा' भी रंग पर आधारित है। मनोरोग संबंधी मामलों में भी इस चिकित्सा पद्धति का अनुकूल प्रभाव देखा गया है। सूर्य की किरणों से हमें सात रंग मिलते हैं। इन्हीं सात रंगों के मिश्रण से लाखों रंग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न रंगों के मिश्रण से दस लाख तक रंग बनाए जा सकते हैं लेकिन सूक्ष्मता से 378 रंग ही देखे जा सकते हैं। हर रंग की गर्म और ठंडी तासीर होती है। हरे, नीले, बैंगनी और इनसे मिलते-जुलते रंगों का प्रभाव वातावरण में ठंडक का एहसास कराता है। वहीं दूसरी ओर पीले, लाल व इनके मिश्रण से बने रंग वातावरण में गर्मी का आभास देते हैं। इन्हीं रंगों की सहायता से वस्तु स्थिति तथा प्रभावों को भ्रामक भी बनाया जा सकता है। | हम हमेशा से देखते आए हैं कि देवी-देवताओं के चित्र में उनके मुख मंडल के पीछे एक आभामंडल बना होता है। यह आभा मंडल हर जीवित व्यक्ति, पेड़-पौधे आदी में निहित होता हैं। इस आभामंडल को किरलियन फ़ोटोग्राफी से देखा भी जा सकता हैं। यह आभामंडल शरीर से 2" से 4" इंच की दूरी पर दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि हमारा शरीर रंगों से भरा है। हमारे शरीर पर रंगों का प्रभाव बहुत ही सूक्ष्म प्रक्रिया से होता हैं। सबसे उपयोगी [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का [[प्रकाश]] है। इसके अतिरिक्त हमारा रंगों से भरा आहार, घर या कमरों के रंग, कपड़े के रंग आदि भी शरीर की ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। इलाज की एक पद्धति 'रंग चिक्तिसा' भी रंग पर आधारित है। मनोरोग संबंधी मामलों में भी इस चिकित्सा पद्धति का अनुकूल प्रभाव देखा गया है। सूर्य की किरणों से हमें सात रंग मिलते हैं। इन्हीं सात रंगों के मिश्रण से लाखों रंग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न रंगों के मिश्रण से दस लाख तक रंग बनाए जा सकते हैं लेकिन सूक्ष्मता से 378 रंग ही देखे जा सकते हैं। हर रंग की गर्म और ठंडी तासीर होती है। हरे, नीले, बैंगनी और इनसे मिलते-जुलते रंगों का प्रभाव वातावरण में ठंडक का एहसास कराता है। वहीं दूसरी ओर पीले, लाल व इनके मिश्रण से बने रंग वातावरण में गर्मी का आभास देते हैं। इन्हीं रंगों की सहायता से वस्तु स्थिति तथा प्रभावों को भ्रामक भी बनाया जा सकता है। | ||
==खाद्य रंग और पोषण== | ==खाद्य रंग और पोषण== | ||
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हमें अपने भोजन में अलग-अलग रंगों वाले [[भारत के फल|फल]] और [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ियों]] को शामिल करना चाहिए। हमारे प्रतिदिन के खाने में फल और सब्ज़ियों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। ये खाद्य पदार्थ उत्कृष्ट हृदय रोग और आघात को रोकने में सहायक हैं। ये खाद्य पदार्थ [[रक्तचाप]], कैंसर, मोतियाबिंद और दृष्टि हानि जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.lifemojo.com/lifestyle/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3-34602943/hi |title=खाद्य रंग और पोषण |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=लाइफ़ मोजो |language=[[हिन्दी]]}}</ref> रंग बिरंगे फलों और सब्ज़ियों से हमारे शरीर को ऐसे बहुत से [[विटामिन]], [[खनिज]] और फाइटोकैमिकल मिलते हैं। जिनसे हमारी अच्छी सेहत और [[ऊर्जा]] का बढ़िया स्तर बना रहता है और बीमारियाँ भी नहीं होती। ये चीज़ें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करते हैं। ये हमारी कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए कैंसर, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियाँ आदि। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की काफ़ी मात्रा होती है जिससे रक्तचाप का बुरा प्रभाव कम होता है, गुर्दे में पथरी होने का जोखिम घट जाता है और इनसे हड्डियों के ह्वास में भी कमी आती है।<ref>{{cite web |url=http://www.healthy-india.org/Hindi/appetizing2.asp |title=आपकी प्लेट में मौजूद इंद्रधनुष |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हेल्थी इंडिया |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | हमें अपने भोजन में अलग-अलग रंगों वाले [[भारत के फल|फल]] और [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ियों]] को शामिल करना चाहिए। हमारे प्रतिदिन के खाने में फल और सब्ज़ियों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। ये खाद्य पदार्थ उत्कृष्ट हृदय रोग और आघात को रोकने में सहायक हैं। ये खाद्य पदार्थ [[रक्तचाप]], कैंसर, मोतियाबिंद और दृष्टि हानि जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.lifemojo.com/lifestyle/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3-34602943/hi |title=खाद्य रंग और पोषण |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=लाइफ़ मोजो |language=[[हिन्दी]]}}</ref> रंग बिरंगे फलों और सब्ज़ियों से हमारे शरीर को ऐसे बहुत से [[विटामिन]], [[खनिज]] और फाइटोकैमिकल मिलते हैं। जिनसे हमारी अच्छी सेहत और [[ऊर्जा]] का बढ़िया स्तर बना रहता है और बीमारियाँ भी नहीं होती। ये चीज़ें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करते हैं। ये हमारी कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए कैंसर, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियाँ आदि। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की काफ़ी मात्रा होती है जिससे रक्तचाप का बुरा प्रभाव कम होता है, गुर्दे में पथरी होने का जोखिम घट जाता है और इनसे हड्डियों के ह्वास में भी कमी आती है।<ref>{{cite web |url=http://www.healthy-india.org/Hindi/appetizing2.asp |title=आपकी प्लेट में मौजूद इंद्रधनुष |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हेल्थी इंडिया |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | ||
Revision as of 06:20, 1 July 2016
नवनीत4
| |
विवरण | रंग का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। |
उत्पत्ति | रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। |
मुख्य स्रोत | रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है। |
VIBGYOR | |
रंगों के प्रकार | प्राथमिक रंग (लाल, नीला और हरा), द्वितीयक रंग और विरोधी रंग |
संबंधित लेख | इंद्रधनुष, तरंग दैर्ध्य, वर्ण विक्षेपण, अपवर्तन, होली |
अन्य जानकारी | विश्व की सभी भाषाओं में रंगों की विभिन्न छवियों को भिन्न नाम प्रदान किए गए हैं। लेकिन फिर भी रंगों को क्रमबद्ध नहीं किया जा सका। अंग्रेज़ी भाषा में किसी एक छवि के अनेकानेक नाम हैं। |
रंग [शुद्ध: रङ्ग] अथवा वर्ण (अंग्रेज़ी:- Color अथवा Colour) का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। मानवी गुणधर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, प्रकाश स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं।
रंग क्या है
रंग क्या है? इस विषय पर वैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों की जिज्ञासा बहुत समय से रही है, परंतु इसका व्यवस्थित अध्ययन सर्वप्रथम न्यूटन ने किया। यह बहुत काल से ज्ञात था कि सफ़ेद प्रकाश काँच के प्रिज़्म से देखने पर रंगीन दिखाई देता है। न्यूटन ने इस पर तत्कालीन वैज्ञानिक यथार्थता के साथ प्रयोग किया।
- प्रयोग
एक अँधरे कमरे में छोटे से छेद द्वारा सूर्य का प्रकाश आता था। यह प्रकाश के एक प्रिज़्म काँच द्वारा अपवर्तित होकर सफ़ेद पर्दे पर पड़ता था। पर्दे पर सफ़ेद प्रकाश के स्थान पर इंद्रधनुष के सात रंग दिखाई दिए। ये रंग क्रम से लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। जब न्यूटन ने प्रकाश के मार्ग में एक और प्रिज़्म पहले वाले प्रिज़्म से उल्टा रखा, तो इन सातों रंगों का प्रकाश मिलकर पुन: सफ़ेद रंग प्रकाश बन गया।
thumb|left|वर्णक्रम
Spectrum
- निष्कर्ष
इस प्रयोग से न्यूटन ने यह निष्कर्ष निकाला कि सफ़ेद रंग प्रिज़्म द्वारा सात रंगों में विभाजित हो जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो प्रकाश से मिलकर रंग दिखाई देता है, वह वास्तव में सात रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। न्यूटन ने एक गोल चकती को इंद्रधनुष के सात रंगों से उसी अनुपात में रंग दिया जिस अनुपात में वे इंद्रधनुष में है। इस चकती को तेजी से घुमाने पर यह सफ़ेद दिखाई देती थी। इससे यह भी सिद्ध होता है कि सफ़ेद प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है।[1]
इंद्रधनुष
परावर्तन, पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण इन्द्रधनुष है। बरसात के मौसम में जब पानी की बूँदे सूर्य पर पड़ती है तब सूर्य की किरणों का विक्षेपण ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण बनता है। आकाश में संध्या के समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी रंगों का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है।
संज्ञा और क्रिया
हिन्दी भाषा की वर्तनी के अनुसार रंग शब्द का अलग - अलग प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए
आना श्याम मोहे अपने रंग में रँग जाना श्याम
यहाँ रंग संज्ञा और रँग क्रिया को प्रदर्शित कर रहा है।
मुख्य स्रोत
रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है। इसे "बैं नी आ ह पी ना ला" भी कहते हैं (यहाँ 'आ' आसमानी के लिए है) जो इस प्रकार हैं:-
इतिहास
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में भारत का विशेष योगदान रहा है। मुग़ल काल में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। यहाँ तक कि कई नये-नये रंगों का आविष्कार भी हुआ। इससे ऐसा आभास होता है कि रंगों के उपलब्ध कठिन पारिभाषिक नामों के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं में उनके सुगम नाम भी विद्यमान रहे होंगे।
[[चित्र:Rainbow.jpg|thumb|250px|left|इंद्रधनुष
Rainbow]]
वैज्ञानिक पहलू
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
लोहे का एक टुकड़ा जब धीरे-धीरे गरम किया जाता है तब उसमें रंग के निम्न परिवर्तन दिखाई देते हैं। पहले तो वह काला दिखाई पड़ता है, फिर उसका रंग लाल होने लगता है। यदि उसका ताप बढ़ाते जाएँ तो उसका रंग क्रमश: नारंगी, पीला इत्यादि होता हुआ सफ़ेद हो जाता है। जब लोहा कम गरम होता है। तब उसमें से केवल लाल प्रकाश ही निकलता है। जैसे-जैसे लोहा अधिक गरम किया जाता है वैसे-वैसे उसमें से अन्य रंगों का प्रकाश भी निकलने लगता है।
रंगों का नामकरण
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
हर सभ्यता ने रंग को अपने लिहाज़ से गढ़ा है लेकिन इत्तेफाक से किसी ने भी ज़्यादा रंगों का नामकरण नहीं किया। ज़्यादातर भाषाओं में रंगों को दो ही तरह से बांटा गया है। पहला सफ़ेद यानी हल्का और दूसरा काला यानी चटक अंदाज़ लिए हुए।
- अरस्तु ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगों में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीज़ों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरुष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक प्रभावी रहा।
रंगों के प्रकार
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
रंगों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- प्राथमिक रंग या मूल रंग
- द्वितीयक रंग
- विरोधी रंग
रंगों का महत्त्व
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रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमज़ोर आँखें रंगों की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है।
"प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है।
रंगों का प्रभाव
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प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। कुछ रंग हमें शांति का एहसास कराते हैं तो कुछ रंग मातम का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि हमारे जीवन पर रंग का बहुत असर है। हर एक रंग अलग-अलग इंसान को अलग-अलग तरीके से आन्दोलित करता है...[2]
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हम हमेशा से देखते आए हैं कि देवी-देवताओं के चित्र में उनके मुख मंडल के पीछे एक आभामंडल बना होता है। यह आभा मंडल हर जीवित व्यक्ति, पेड़-पौधे आदी में निहित होता हैं। इस आभामंडल को किरलियन फ़ोटोग्राफी से देखा भी जा सकता हैं। यह आभामंडल शरीर से 2" से 4" इंच की दूरी पर दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि हमारा शरीर रंगों से भरा है। हमारे शरीर पर रंगों का प्रभाव बहुत ही सूक्ष्म प्रक्रिया से होता हैं। सबसे उपयोगी सूर्य का प्रकाश है। इसके अतिरिक्त हमारा रंगों से भरा आहार, घर या कमरों के रंग, कपड़े के रंग आदि भी शरीर की ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। इलाज की एक पद्धति 'रंग चिक्तिसा' भी रंग पर आधारित है। मनोरोग संबंधी मामलों में भी इस चिकित्सा पद्धति का अनुकूल प्रभाव देखा गया है। सूर्य की किरणों से हमें सात रंग मिलते हैं। इन्हीं सात रंगों के मिश्रण से लाखों रंग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न रंगों के मिश्रण से दस लाख तक रंग बनाए जा सकते हैं लेकिन सूक्ष्मता से 378 रंग ही देखे जा सकते हैं। हर रंग की गर्म और ठंडी तासीर होती है। हरे, नीले, बैंगनी और इनसे मिलते-जुलते रंगों का प्रभाव वातावरण में ठंडक का एहसास कराता है। वहीं दूसरी ओर पीले, लाल व इनके मिश्रण से बने रंग वातावरण में गर्मी का आभास देते हैं। इन्हीं रंगों की सहायता से वस्तु स्थिति तथा प्रभावों को भ्रामक भी बनाया जा सकता है।
खाद्य रंग और पोषण
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हमें अपने भोजन में अलग-अलग रंगों वाले फल और सब्ज़ियों को शामिल करना चाहिए। हमारे प्रतिदिन के खाने में फल और सब्ज़ियों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। ये खाद्य पदार्थ उत्कृष्ट हृदय रोग और आघात को रोकने में सहायक हैं। ये खाद्य पदार्थ रक्तचाप, कैंसर, मोतियाबिंद और दृष्टि हानि जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।[3] रंग बिरंगे फलों और सब्ज़ियों से हमारे शरीर को ऐसे बहुत से विटामिन, खनिज और फाइटोकैमिकल मिलते हैं। जिनसे हमारी अच्छी सेहत और ऊर्जा का बढ़िया स्तर बना रहता है और बीमारियाँ भी नहीं होती। ये चीज़ें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करते हैं। ये हमारी कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए कैंसर, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियाँ आदि। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की काफ़ी मात्रा होती है जिससे रक्तचाप का बुरा प्रभाव कम होता है, गुर्दे में पथरी होने का जोखिम घट जाता है और इनसे हड्डियों के ह्वास में भी कमी आती है।[4]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश खंड 10
- ↑ देवी, रेखा। आप और आपका शुभ रंग (एच टी एम एल) अंक और आप। अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2010।
- ↑ खाद्य रंग और पोषण (हिन्दी) लाइफ़ मोजो। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2010।
- ↑ आपकी प्लेट में मौजूद इंद्रधनुष (हिन्दी) हेल्थी इंडिया। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2010।
बाहरी कड़ियाँ
- रंगों से सँवारे जीवन
- रंग का अर्थ
- राशियों के मुताबिक चुनें कपड़ों के रंग
- भाग्यशाली रंगों से भरें ज़िंदगी में रंग
- रंग बिरंगा खाएं, शानदार सेहत पाएं
- नीले रंग का कमाल
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