मधुपुरी

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मधुपुरी नगरी का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। इस नगरी को मधु नामक दैत्य ने बसाया था। बाद में उसके पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने युद्ध में पराजित कर उसका वध कर दिया और 'मधुपुरी' के स्थान पर उन्होंने नई मथुरा नगरी बसाई।

  • वाल्मीकि रामायण में मथुरा को 'मधुपुरी' या 'मधु दानव का नगर' कहा गया है तथा यहाँ लवणासुर की राजधानी बताई गई है।[1]
  • लवणासुर, जिसको शत्रुघ्न ने युद्ध में हराकर मारा था, मधुदानव का पुत्र था।[2]
  • इससे मधुपुरी या मथुरा का रामायण काल में बसाया जाना सूचित होता है।
  • रामायण में इस नगरी की समृद्धि का वर्णन है।[3]
  • मधुपुरी नगरी को लवणासुर ने भी बहुत सजाया संवारा था।[4]
  • प्राचीनकाल से अब तक इस नगरी का अस्तित्व अखण्डित रूप से चला आ रहा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. `एवं भवतु काकुत्स्थ क्रियतां मम शासनम्, राज्ये त्वामभिषेक्ष्यामि मधोस्तु नगरे शुभे। नगरं यमुनाजुष्टं तथा जनपदाञ्शुभान् यो हि वंश समुत्पाद्य पार्थिवस्य निवेशने` उत्तर. 62,16-18.
  2. `तं पुत्रं दुर्विनीतं तु दृष्ट्वा कोधसमन्वित:, मधु: स शोकमापेदे न चैनं किंचिदब्रवीत्`-उत्तर. 61,18।
  3. `अर्ध चंद्रप्रतीकाशा यमुनातीरशोभिता, शोभिता गृह-मुख्यैश्च चत्वरापणवीथिकै:, चातुर्वर्ण्य समायुक्ता नानावाणिज्यशोभिता` उत्तर. 70,11।
  4. यच्चतेनपुरा शुभ्रं लवणेन कृतं महत्, तच्छोभयति शुत्रध्नो नानावर्णोपशोभिताम्। आरामैश्व विहारैश्च शोभमानं समन्तत: शोभितां शोभनीयैश्च तथान्यैर्दैवमानुषै:` उत्तर. 70-12-13। उत्तर0 70,5 (`इयं मधुपुरी रम्या मधुरा देव-निर्मिता) में इस नगरी को मथुरा नाम से अभिहित किया गया है।

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