धर्मारण्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:48, 11 June 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''धर्मारण्य''' का उल्लेख महाभारत, [[वनपर्व महाभारत|वन...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

धर्मारण्य का उल्लेख महाभारत, वनपर्व[1] में हुआ है। महाभारत के अनुसार ही ऋषि कण्व का आश्रम धर्मारण्य में स्थित था। *धर्मारण्य गुजरात के प्राचीन नगर सिद्धपुर के परिवर्ती क्षेत्र (श्रीस्थल) का नाम है।

  • महाभारत, वनपर्व के अनुसार धर्मारण्य का उल्लेख तीर्थरूप में हुआ है-

'धर्मारण्यं हि तन् पुण्यमाद्यं च भरतर्पभ, यत्र प्रविष्टमात्रो वै सर्वपापै: प्रमुच्यते'।

  • प्राचीन समय में धर्मारण्य प्रदेश सरस्वती नदी द्वारा सिंचित था।
  • महाभारत, वनपर्व[2] में धर्मारण्य में कण्वाश्रम की स्थिति बताई गयी है-

'कण्वाश्रम ततो गच्छेच्छ्रीजुष्ट लोक पूजितम्'।

  • उपर्युक्त उल्लेख में धर्मारण्य को श्रीजुष्टम् प्रदेश कहा गया है, जिससे इसके नाम 'श्रीस्थल' की पुष्टि होती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 464 |

  1. महाभारत, वनपर्व 82, 46
  2. महाभारत, वनपर्व 82, 45

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः