चौंसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:10, 2 June 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - " मां " to " माँ ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चौंसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर
विवरण 'चौंसठ योगिनी मंदिर' जबलपुर स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। मंदिर का स्थापत्य बड़ा ही आकर्षक है। यहाँ देवी दुर्गा की 64 अनुषंगिकों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला जबलपुर
निर्माणकर्ता कलचुरी वंश के शासक
संबंधित लेख कलचुरी वंश, जबलपुर, धुआँधार प्रपात, मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश का इतिहास
अन्य जानकारी वर्तमान में मंदिर के अंदर भगवान शिवमां पार्वती की नंदी पर वैवाहिक वेशभूषा में बैठे हुए पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के चारों तरफ़ करीब दस फुट ऊंची गोलाई में चारदीवारी बनाई गई है, जो पत्थरों की बनी है

चौंसठ योगिनी मंदिर जबलपुर, मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह मंदिर जबलपुर की ऐतिहासिक संपन्नता में एक और अध्याय जोड़ता है। प्रसिद्ध संगमरमर चट्टान के पास स्थित इस मंदिर में देवी दुर्गा की 64 अनुषंगिकों की प्रतिमा है। इस मंदिर की विषेशता इसके बीच में स्थापित भागवान शिव की प्रतिमा है, जो कि देवियों की प्रतिमा से घिरी हुई है। इस मंदिर का निर्माण सन 1000 के आसपास कलचुरी वंश के शासकों ने करवाया था।[1]

इतिहास

जबलपुर का 'चौंसठ योगिनी मंदिर' सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाटधुआंधार जलप्रपात के नजदीक एक ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थापित है। पहाड़ी के शिखर पर होने के कारण यहां से काफ़ी बड़े भू-भाग व बलखाती नर्मदा नदी को निहारा जा सकता है। चौंसठ योगिनी मंदिर को दसवीं शताब्दी में कलचुरी साम्राज्य के शासकों ने मां दुर्गा के रूप में स्थापित किया था। लोगों का मानना है कि यह स्थली महर्षि भृगु की जन्मस्थली है, जहां उनके प्रताप से प्रभावित होकर तत्कालीन कलचुरी साम्राज्य के शासकों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया।

स्थापत्य

वर्तमान में मंदिर के अंदर भगवान शिवमां पार्वती की नंदी पर वैवाहिक वेशभूषा में बैठे हुए पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के चारों तरफ़ करीब दस फुट ऊंची गोलाई में चारदीवारी बनाई गई है, जो पत्थरों की बनी है तथा मंदिर में प्रवेश के लिए केवल एक तंग द्वार बनाया गया है। चारदीवारी के अंदर खुला प्रांगण है, जिसके बीचों-बीच करीब डेढ़-दो फुट ऊंचा और करीब 80-100 फुट लंबा एक चबूतरा बनाया गया है। चारदीवारी के साथ दक्षिणी भाग में मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर का एक कक्ष जो सबसे पीछे है, उसमें शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। इसके आगे एक बड़ा-सा बरामदा है, जो खुला है। बरामदे के सामने चबूतरे पर शिवलिंग की स्थापना की गई है, जहां पर भक्तजन पूजा-पाठ करवाते हैं।

मंदिर की चारदीवारी जो गोल है, उसके ऊपर मंदिर के अंदर के भाग पर चौंसठ योगिनियों की विभिन्न मुद्राओं में पत्थर को तराश कर मूर्तियां स्थापित की गई हैं। लोगों का मानना है कि ये सभी चौंसठ योगिनी बहनें थीं तथा तपस्विनियां थीं, जिन्हें महाराक्षसों ने मौत के घाट उतारा था। राक्षसों का संहार करने के लिए यहां स्वयं दुर्गा को आना पड़ा था। इसलिए यहां पर सर्वप्रथम माँ दुर्गा की प्रतिमा कलचुरी के शासकों द्वारा स्थापित कर दुर्गा मंदिर बनाया गया था तथा उन सभी चौंसठ योगिनियों की मूर्तियों का निर्माण भी मंदिर प्रांगण की चारदीवारी पर किया गया। कालांतर में माँ दुर्गा की मूर्ति की जगह भगवान शिव व माँ पार्वती की मूर्ति स्थापित की गई है, ऐसा प्रतीत होता है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चौंसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर (हिंदी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 29 April, 2016।
  2. ऐतिहासिक जबलपुर का चौंसठ योगिनी मंदिर (हिंदी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 28 April, 2016।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः