Difference between revisions of "विशेषण"
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− | [[संज्ञा]] अथवा [[सर्वनाम]] शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। <br /> | + | [[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]] अथवा [[सर्वनाम]] शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। <br /> |
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जैसे - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।<br /> | जैसे - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।<br /> | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
+ | *विशेषण [[सार्थक शब्द (व्याकरण)|सार्थक शब्दों]] के आठ भेदों में एक भेद है। | ||
+ | *[[व्याकरण (व्यावहारिक)|व्याकरण]] में विशेषण एक [[विकारी शब्द]] है। | ||
==विशेष्य== | ==विशेष्य== | ||
जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। <br /> | जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। <br /> | ||
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==गुणवाचक विशेषण== | ==गुणवाचक विशेषण== | ||
*जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे- | *जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे- | ||
− | + | {| class="bharattable" style="text-align:center" | |
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!क्रम | !क्रम | ||
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|2- | |2- | ||
|रंग | |रंग | ||
− | |लाल, हरा, पीला, | + | |लाल, हरा, पीला, सफ़ेद, काला, चमकीला, फीका आदि। |
|- | |- | ||
|3- | |3- | ||
|दशा | |दशा | ||
− | |पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, | + | |पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, ग़रीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि। |
|- | |- | ||
|4- | |4- | ||
Line 61: | Line 61: | ||
|उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि। | |उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि। | ||
|} | |} | ||
− | |||
==परिमाणवाचक विशेषण== | ==परिमाणवाचक विशेषण== | ||
*जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप-तोल का ज्ञान हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। | *जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप-तोल का ज्ञान हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। | ||
Line 74: | Line 73: | ||
(ग) थोड़ा-सा दूध गरम कर दो। | (ग) थोड़ा-सा दूध गरम कर दो। | ||
==संख्यावाचक विशेषण== | ==संख्यावाचक विशेषण== | ||
− | जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदि। | + | *जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे - एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदि। |
− | संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं- | + | *संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं-<br /> |
− | + | ||
− | निश्चित संख्यावाचक के निम्नलिखित चार भेद हैं- | + | '''निश्चित संख्यावाचक विशेषण''' <br /> |
− | (क) गणवाचक- जिन शब्दों के द्वारा गिनती का बोध हो। जैसे- | + | |
− | (1) एक लड़का स्कूल जा रहा है। | + | जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो। जैसे - दो पुस्तकें मेरे लिए ले आना।<br /> |
− | (2) पच्चीस रुपये दीजिए। | + | |
− | (3) कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे। | + | '''निश्चित संख्यावाचक के निम्नलिखित चार भेद हैं''' -<br /> |
− | (4) चार आम लाओ। | + | |
− | (ख) क्रमवाचक- जिन शब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध हो। जैसे- | + | (क) '''गणवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा गिनती का बोध हो। जैसे- |
− | (1) पहला लड़का यहाँ आए। | + | |
− | (2) दूसरा लड़का वहाँ बैठे। | + | (1) एक लड़का स्कूल जा रहा है।<br /> |
− | (3) राम कक्षा में प्रथम रहा। | + | (2) पच्चीस रुपये दीजिए।<br /> |
− | (4) श्याम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है। | + | (3) कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे।<br /> |
− | (ग) आवृत्तिवाचक- जिन शब्दों के द्वारा केवल आवृत्ति का बोध हो। जैसे- | + | (4) चार आम लाओ।<br /> |
− | (1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है। | + | |
− | (2) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है। | + | (ख) '''क्रमवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध हो। जैसे- |
− | (घ) समुदायवाचक- जिन शब्दों के द्वारा केवल सामूहिक संख्या का बोध हो। जैसे- | + | |
− | (1) तुम तीनों को जाना पड़ेगा। | + | (1) पहला लड़का यहाँ आए।<br /> |
− | (2) यहाँ से चारों चले जाओ। | + | (2) दूसरा लड़का वहाँ बैठे।<br /> |
− | + | (3) राम कक्षा में प्रथम रहा।<br /> | |
− | + | (4) श्याम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है।<br /> | |
− | जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं। | + | |
− | विशेष-क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं। | + | (ग) '''आवृत्तिवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा केवल आवृत्ति का बोध हो। जैसे-<br /> |
− | + | (1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।<br /> | |
− | + | (2) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।<br /> | |
− | विशेषण की अवस्थाएँ | + | |
− | विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम- | + | (घ) '''समुदायवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा केवल सामूहिक संख्या का बोध हो। जैसे-<br /> |
− | + | (1) तुम तीनों को जाना पड़ेगा।<br /> | |
− | + | (2) यहाँ से चारों चले जाओ।<br /> | |
− | + | ||
− | + | ==अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण== | |
− | मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे- | + | *जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो। जैसे-कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं। |
− | + | ==संकेतवाचक विशेषण== | |
− | जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे- | + | *जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं।<br /> |
− | + | '''विशेष''' - क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।<br /> | |
− | उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे- | + | ==परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में अंतर== |
− | विशेष-केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं। | + | *जिन वस्तुओं की नाप-तोल की जा सके उनके वाचक शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-‘कुछ दूध लाओ’। इसमें ‘कुछ’ शब्द तोल के लिए आया है। इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है। |
− | अवस्थाओं के रूप | + | *जिन वस्तुओं की गिनती की जा सके उनके वाचक शब्द संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-कुछ बच्चे इधर आओ। यहाँ पर ‘कुछ’ बच्चों की गिनती के लिए आया है। इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है। परिमाणवाचक विशेषणों के बाद द्रव्य अथवा पदार्थवाचक संज्ञाएँ आएँगी जबकि संख्यावाचक विशेषणों के बाद जातिवाचक संज्ञाएँ आती हैं। |
− | + | ||
− | मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था | + | ==सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर== |
− | अच्छी अधिक अच्छी सबसे अच्छी | + | जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है। |
− | चतुर अधिक चतुर सबसे अधिक चतुर | + | ==विशेषण की अवस्थाएँ== |
− | बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे अधिक बुद्धिमान | + | विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज़्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज़्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं- |
− | बलवान अधिक बलवान सबसे अधिक बलवान | + | #मूलावस्था |
+ | #उत्तरावस्था | ||
+ | #उत्तमावस्था<br /> | ||
+ | '''मूलावस्था'''<br /> | ||
+ | मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे- | ||
+ | #सावित्री सुंदर लड़की है। | ||
+ | #सुरेश अच्छा लड़का है। | ||
+ | #सूर्य तेजस्वी है।<br /> | ||
+ | '''उत्तरावस्था'''<br /> | ||
+ | जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे- | ||
+ | #रवीन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है। | ||
+ | #सविता रमा की अपेक्षा अधिक सुन्दर है।<br /> | ||
+ | '''उत्तमावस्था'''<br /> | ||
+ | उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे- | ||
+ | #[[पंजाब]] में अधिकतम अन्न होता है। | ||
+ | #संदीप निकृष्टतम बालक है।<br /> | ||
+ | '''विशेष''' - केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं। | ||
+ | ==अवस्थाओं के रूप== | ||
+ | *अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे- | ||
+ | |||
+ | {| class="bharattable" style="text-align:center" | ||
+ | |- | ||
+ | !मूलावस्था | ||
+ | !उत्तरावस्था | ||
+ | !उत्तमावस्था | ||
+ | |- | ||
+ | |अच्छी | ||
+ | |अधिक अच्छी | ||
+ | |सबसे अच्छी | ||
+ | |- | ||
+ | |चतुर | ||
+ | |अधिक चतुर | ||
+ | |सबसे अधिक चतुर | ||
+ | |- | ||
+ | |बुद्धिमान | ||
+ | |अधिक बुद्धिमान | ||
+ | |सबसे अधिक बुद्धिमान | ||
+ | |- | ||
+ | |बलवान | ||
+ | |अधिक बलवान | ||
+ | |सबसे अधिक बलवान | ||
+ | |} | ||
+ | |||
इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं। | इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं। | ||
− | + | *तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे- | |
− | + | ||
− | {| class=" | + | {| class="bharattable" style="text-align:center" |
|- | |- | ||
!मूलावस्था | !मूलावस्था | ||
Line 172: | Line 213: | ||
|मधुतरतम | |मधुतरतम | ||
|} | |} | ||
− | + | ||
==विशेषणों की रचना== | ==विशेषणों की रचना== | ||
− | *कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना [[संज्ञा]], [[सर्वनाम]] एवं [[क्रिया]] शब्दों से की जाती है- | + | *कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना [[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]], [[सर्वनाम]] एवं [[क्रिया]] शब्दों से की जाती है- |
− | + | {| | |
− | + | |-valign="top" | |
− | {| class=" | + | | |
+ | {| class="bharattable-purple" border="1" | ||
+ | |-valign="top" | ||
+ | | | ||
+ | {| | ||
+ | |+(1) संज्ञा से विशेषण बनाना | ||
|- | |- | ||
!प्रत्यय | !प्रत्यय | ||
Line 183: | Line 229: | ||
!विशेषण | !विशेषण | ||
|- | |- | ||
− | |क | + | | rowspan="8"|क |
|अंश | |अंश | ||
|आंशिक | |आंशिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|धर्म | |धर्म | ||
|धार्मिक | |धार्मिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|अलंकार | |अलंकार | ||
|आलंकारिक | |आलंकारिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|नीति | |नीति | ||
|नैतिक | |नैतिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
| अर्थ | | अर्थ | ||
|आर्थिक | |आर्थिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|दिन | |दिन | ||
|दैनिक | |दैनिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|इतिहास | |इतिहास | ||
|ऐतिहासिक | |ऐतिहासिक | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|देव | |देव | ||
|दैविक | |दैविक | ||
|- | |- | ||
− | | इत | + | | rowspan="6"|इत |
|अंक | |अंक | ||
|अंकित | |अंकित | ||
|- | |- | ||
− | |||
|कुसुम | |कुसुम | ||
|कुसुमित | |कुसुमित | ||
|- | |- | ||
− | |||
|सुरभि | |सुरभि | ||
|सुरभित | |सुरभित | ||
− | |- | + | |- |
− | |||
|ध्वनि | |ध्वनि | ||
|ध्वनित | |ध्वनित | ||
|- | |- | ||
− | |||
|क्षुधा | |क्षुधा | ||
|क्षुधित | |क्षुधित | ||
|- | |- | ||
− | |||
|तरंग | |तरंग | ||
|तरंगित | |तरंगित | ||
|- | |- | ||
− | |इल | + | | rowspan="4"|इल |
|जटा | |जटा | ||
|जटिल | |जटिल | ||
|- | |- | ||
− | |||
|पंक | |पंक | ||
|पंकिल | |पंकिल | ||
− | |- | + | |- |
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|फेन | |फेन | ||
|फेनिल | |फेनिल | ||
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|उर्मि | |उर्मि | ||
− | |उर्मिल | + | |उर्मिल |
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|स्वर्ण | |स्वर्ण | ||
|स्वर्णिम | |स्वर्णिम | ||
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− | |||
|रक्त | |रक्त | ||
− | |रक्तिम | + | |रक्तिम |
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− | |ई | + | | rowspan="2"|ई |
|रोग | |रोग | ||
|रोगी | |रोगी | ||
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|भोग | |भोग | ||
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|कुल | |कुल | ||
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+ | !प्रत्यय | ||
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|ग्राम | |ग्राम | ||
|ग्रामीण | |ग्रामीण | ||
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− | |ईय | + | | rowspan="2"|ईय |
|आत्मा | |आत्मा | ||
|आत्मीय | |आत्मीय | ||
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|जाति | |जाति | ||
|जातीय | |जातीय | ||
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− | |आलु | + | | rowspan="2"|आलु |
|श्रद्धा | |श्रद्धा | ||
|श्रद्धालु | |श्रद्धालु | ||
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− | |||
|ईर्ष्या | |ईर्ष्या | ||
|ईर्ष्यालु | |ईर्ष्यालु | ||
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− | |वी | + | | rowspan="2"|वी |
|मनस | |मनस | ||
|मनस्वी | |मनस्वी | ||
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− | |||
|तपस | |तपस | ||
|तपस्वी | |तपस्वी | ||
|- | |- | ||
− | |मय | + | | rowspan="2"|मय |
|सुख | |सुख | ||
|सुखमय | |सुखमय | ||
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− | |||
|दुख | |दुख | ||
|दुखमय | |दुखमय | ||
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− | |वान | + | | rowspan="2"|वान |
|रूप | |रूप | ||
|रूपवान | |रूपवान | ||
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|गुण | |गुण | ||
|गुणवान | |गुणवान | ||
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− | |वती(स्त्री) | + | | rowspan="2"|वती(स्त्री) |
|गुण | |गुण | ||
|गुणवती | |गुणवती | ||
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− | |||
|पुत्र | |पुत्र | ||
|पुत्रवती | |पुत्रवती | ||
|- | |- | ||
− | |मान | + | |rowspan="2"|मान |
|बुद्धि | |बुद्धि | ||
|बुद्धिमान | |बुद्धिमान | ||
|- | |- | ||
− | |||
|श्री | |श्री | ||
|श्रीमान | |श्रीमान | ||
|- | |- | ||
− | | मती (स्त्री) | + | | rowspan="2"|मती (स्त्री) |
|श्री | |श्री | ||
|श्रीमती | |श्रीमती | ||
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− | |||
|बुद्धि | |बुद्धि | ||
|बुद्धिमती | |बुद्धिमती | ||
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− | |रत | + | | rowspan="2"|रत |
|धर्म | |धर्म | ||
|धर्मरत | |धर्मरत | ||
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|कर्म | |कर्म | ||
|कर्मरत | |कर्मरत | ||
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− | |स्थ | + | | rowspan="2"|स्थ |
|समीप | |समीप | ||
|समीपस्थ | |समीपस्थ | ||
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− | |||
|देह | |देह | ||
|देहस्थ | |देहस्थ | ||
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|धर्म | |धर्म | ||
|धर्मनिष्ठ | |धर्मनिष्ठ | ||
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|कर्मनिष्ठ | |कर्मनिष्ठ | ||
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|अलंकार | |अलंकार | ||
|आलंकारिक | |आलंकारिक | ||
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− | (3) क्रिया से विशेषण बनाना | + | | |
− | + | {| | |
− | + | |+(3) क्रिया से विशेषण बनाना | |
|- | |- | ||
!क्रिया | !क्रिया | ||
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|पालना | |पालना | ||
|पालने वाला | |पालने वाला | ||
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Latest revision as of 09:14, 14 October 2011
sanjna athava sarvanam shabdoan ki visheshata (gun, dosh, sankhya, pariman adi) batane vale shabd ‘visheshan’ kahalate haian.
jaise - b da, kala, lanba, dayalu, bhari, sundar, kayar, tedha-medha, ek, do adi.
- visheshan sarthak shabdoan ke ath bhedoan mean ek bhed hai.
- vyakaran mean visheshan ek vikari shabd hai.
visheshy
jis sanjna athava sarvanam shabd ki visheshata bataee jae vah visheshy kahalata hai.
- yatha- gita sundar hai. isamean ‘sundar’ visheshan hai aur ‘gita’ visheshy hai.
- visheshan shabd visheshy se poorv bhi ate haian aur usake bad bhi.
- poorv mean, jaise-
- tho da-sa jal lao.
- ek mitar kap da le ana.
- bad mean, jaise-
- yah rasta lanba hai.
- khira k dava hai.
visheshan ke bhed
visheshan ke char bhed haian-
- gunavachak.
- parimanavachak.
- sankhyavachak.
- sanketavachak athava sarvanamik.
gunavachak visheshan
- jin visheshan shabdoan se sanjna athava sarvanam shabdoan ke gun-dosh ka bodh ho ve gunavachak visheshan kahalate haian. jaise-
kram | visheshan | sanjna athava sarvanam |
---|---|---|
1- | bhav | achchha, bura, kayar, vir, darapok adi. |
2- | rang | lal, hara, pila, safed, kala, chamakila, phika adi. |
3- | dasha | patala, mota, sookha, gadha, pighala, bhari, gila, garib, amir, rogi, svasth, palatoo adi. |
4- | akar | gol, sudaul, nukila, saman, pola adi. |
5- | samay | agala, pichhala, dopahar, sandhya, savera adi. |
6- | sthan | bhitari, bahari, panjabi, japani, purana, taja, agami adi. |
7- | gun | bhala, bura, sundar, mitha, khatta, dani,sach, jhooth, sidha adi. |
8- | disha | uttari, dakshini, poorvi, pashchimi adi. |
parimanavachak visheshan
- jin visheshan shabdoan se sanjna ya sarvanam ki matra athava nap-tol ka jnan ho ve parimanavachak visheshan kahalate haian.
- parimanavachak visheshan ke do upabhed hai-
- nishchit parimanavachak visheshan- jin visheshan shabdoan se vastu ki nishchit matra ka jnan ho. jaise-
(k) mere soot mean sadhe tin mitar kap da lagega. (kh) das kilo chini le ao. (g) do litar doodh garam karo.
- anishchit parimanavachak visheshan- jin visheshan shabdoan se vastu ki anishchit matra ka jnan ho. jaise-
(k) tho di-si namakin vastu le ao. (kh) kuchh am de do. (g) tho da-sa doodh garam kar do.
sankhyavachak visheshan
- jin visheshan shabdoan se sanjna ya sarvanam ki sankhya ka bodh ho ve sankhyavachak visheshan kahalate haian. jaise - ek, do, dvitiy, duguna, chauguna, paanchoan adi.
- sankhyavachak visheshan ke do upabhed haian-
nishchit sankhyavachak visheshan
jin visheshan shabdoan se nishchit sankhya ka bodh ho. jaise - do pustakean mere lie le ana.
nishchit sankhyavachak ke nimnalikhit char bhed haian -
(k) ganavachak - jin shabdoan ke dvara ginati ka bodh ho. jaise-
(1) ek l daka skool ja raha hai.
(2) pachchis rupaye dijie.
(3) kal mere yahaan do mitr aeange.
(4) char am lao.
(kh) kramavachak - jin shabdoan ke dvara sankhya ke kram ka bodh ho. jaise-
(1) pahala l daka yahaan ae.
(2) doosara l daka vahaan baithe.
(3) ram kaksha mean pratham raha.
(4) shyam dvitiy shreni mean pas hua hai.
(g) avrittivachak - jin shabdoan ke dvara keval avritti ka bodh ho. jaise-
(1) mohan tumase chauguna kam karata hai.
(2) gopal tumase duguna mota hai.
(gh) samudayavachak - jin shabdoan ke dvara keval samoohik sankhya ka bodh ho. jaise-
(1) tum tinoan ko jana p dega.
(2) yahaan se charoan chale jao.
anishchit sankhyavachak visheshan
- jin visheshan shabdoan se nishchit sankhya ka bodh n ho. jaise-kuchh bachche park mean khel rahe haian.
sanketavachak visheshan
- jo sarvanam sanket dvara sanjna ya sarvanam ki visheshata batalate haian ve sanketavachak visheshan kahalate haian.
vishesh - kyoanki sanketavachak visheshan sarvanam shabdoan se banate haian, atah ye sarvanamik visheshan kahalate haian. inhean nirdeshak bhi kahate haian.
parimanavachak aur sankhyavachak visheshan mean aantar
- jin vastuoan ki nap-tol ki ja sake unake vachak shabd parimanavachak visheshan kahalate haian. jaise-‘kuchh doodh lao’. isamean ‘kuchh’ shabd tol ke lie aya hai. isalie yah parimanavachak visheshan hai.
- jin vastuoan ki ginati ki ja sake unake vachak shabd sankhyavachak visheshan kahalate haian. jaise-kuchh bachche idhar ao. yahaan par ‘kuchh’ bachchoan ki ginati ke lie aya hai. isalie yah sankhyavachak visheshan hai. parimanavachak visheshanoan ke bad dravy athava padarthavachak sanjnaean aeangi jabaki sankhyavachak visheshanoan ke bad jativachak sanjnaean ati haian.
sarvanam aur sarvanamik visheshan mean aantar
jis shabd ka prayog sanjna shabd ke sthan par ho use sarvanam kahate haian. jaise-vah muanbee gaya. is vaky mean vah sarvanam hai. jis shabd ka prayog sanjna se poorv athava bad mean visheshan ke roop mean kiya gaya ho use sarvanamik visheshan kahate haian. jaise-vah rath a raha hai. isamean vah shabd rath ka visheshan hai. atah yah sarvanamik visheshan hai.
visheshan ki avasthaean
visheshan shabd kisi sanjna ya sarvanam ki visheshata batalate haian. visheshata bataee jane vali vastuoan ke gun-dosh kam-zyada hote haian. gun-doshoan ke is kam-zyada hone ko tulanatmak dhang se hi jana ja sakata hai. tulana ki drishti se visheshanoan ki nimnalikhit tin avasthaean hoti haian-
- moolavastha
- uttaravastha
- uttamavastha
moolavastha
moolavastha mean visheshan ka tulanatmak roop nahian hota hai. vah keval samany visheshata hi prakat karata hai. jaise-
- savitri suandar l daki hai.
- suresh achchha l daka hai.
- soory tejasvi hai.
uttaravastha
jab do vyaktiyoan ya vastuoan ke gun-doshoan ki tulana ki jati hai tab visheshan uttaravastha mean prayukt hota hai. jaise-
- ravindr chetan se adhik buddhiman hai.
- savita rama ki apeksha adhik sundar hai.
uttamavastha
uttamavastha mean do se adhik vyaktiyoan evan vastuoan ki tulana karake kisi ek ko sabase adhik athava sabase kam bataya gaya hai. jaise-
- panjab mean adhikatam ann hota hai.
- sandip nikrishtatam balak hai.
vishesh - keval gunavachak evan anishchit sankhyavachak tatha nishchit parimanavachak visheshanoan ki hi ye tulanatmak avasthaean hoti haian, any visheshanoan ki nahian.
avasthaoan ke roop
- adhik aur sabase adhik shabdoan ka prayog karake uttaravastha aur uttamavastha ke roop banae ja sakate haian. jaise-
moolavastha | uttaravastha | uttamavastha |
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achchhi | adhik achchhi | sabase achchhi |
chatur | adhik chatur | sabase adhik chatur |
buddhiman | adhik buddhiman | sabase adhik buddhiman |
balavan | adhik balavan | sabase adhik balavan |
isi prakar doosare visheshan shabdoan ke roop bhi banae ja sakate haian.
- tatsam shabdoan mean moolavastha mean visheshan ka mool roop, uttaravastha mean ‘tar’ aur uttamavastha mean ‘tam’ ka prayog hota hai. jaise-
moolavastha | uttaravastha | uttamavastha |
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uchch | uchchatar | uchchatam |
kathor | kathoratar | kathoratam |
guru | gurutar | gurutam |
mahan | mahanatar,mahattar | mahanatam,mahattam |
nyoon | nyoonatar | nyanootam |
laghu | laghutar | laghutam |
tivr | tivratar | tivratam |
vishal | vishalatar | vishalatam |
utkrisht | utkrishtar | utkritatam |
suandar | suandaratar | suandaratam |
madhur | madhuratar | madhutaratam |
visheshanoan ki rachana
- kuchh shabd moolaroop mean hi visheshan hote haian, kintu kuchh visheshan shabdoan ki rachana sanjna, sarvanam evan kriya shabdoan se ki jati hai-
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