उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर: Difference between revisions
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'''उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर''' [[मध्य प्रदेश]] में [[दतिया ज़िला|दतिया ज़िले]] के | {{सूचना बक्सा पर्यटन | ||
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|भौगोलिक स्थिति=मन्दिर दतिया मुख्यालय से 17 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। | |||
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'''उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर''' [[मध्य प्रदेश]] में [[दतिया ज़िला|दतिया ज़िले]] के उनाव में स्थित है। यह मन्दिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है। साथ ही यह अपने साथ कई किवदंतियों को समेटे हुए है। मन्दिर के बारे में मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति यदि पहुँज नदी में [[स्नान]] करने के बाद बालाजी मन्दिर में [[सूर्य देव]] की प्रतिमा पर [[जल]] चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। | |||
*माना जाता है कि यहाँ आने वाले नि:संतान दंपत्तियों को संतान का सुख मिलता है। | *माना जाता है कि यहाँ आने वाले नि:संतान दंपत्तियों को संतान का सुख मिलता है। | ||
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*लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर में संतान की चाहत रखने वाले श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। भगवान के दर्शन मात्र से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है। | *लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर में संतान की चाहत रखने वाले श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। भगवान के दर्शन मात्र से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है। | ||
*[[दतिया]] और [[झांसी]] सडक मार्ग के पहुँज नदी के किनारे पर आकर्षक और सुरभ्य पहाड़ियों में स्थित इस सूर्य मन्दिर पर सूर्योदय की पहली किरण सीधे मन्दिर के गर्भागृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती है। इस प्राचीन मन्दिर में प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/money-and-life/Mp-Devotee-Pray-Sun-Temple-1929712.html?utm_source=RHS |title=भगवान के दर्शन मात्र से गोद भर जाती है|accessmonthday=03 जुलाई|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | *[[दतिया]] और [[झांसी]] सडक मार्ग के पहुँज नदी के किनारे पर आकर्षक और सुरभ्य पहाड़ियों में स्थित इस सूर्य मन्दिर पर सूर्योदय की पहली किरण सीधे मन्दिर के गर्भागृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती है। इस प्राचीन मन्दिर में प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/money-and-life/Mp-Devotee-Pray-Sun-Temple-1929712.html?utm_source=RHS |title=भगवान के दर्शन मात्र से गोद भर जाती है|accessmonthday=03 जुलाई|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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Latest revision as of 10:21, 3 July 2013
उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर
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विवरण | 'उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर' मध्य प्रदेश के उनाव में स्थित है, जो प्रागैतिहासिक काल का माना जाता है। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | दतिया |
भौगोलिक स्थिति | मन्दिर दतिया मुख्यालय से 17 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, दतिया, पीताम्बरा पीठ
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अन्य जानकारी | मान्यता है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति यदि पहुँज नदी में स्नान करने के बाद मन्दिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर जल चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। |
उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर मध्य प्रदेश में दतिया ज़िले के उनाव में स्थित है। यह मन्दिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है। साथ ही यह अपने साथ कई किवदंतियों को समेटे हुए है। मन्दिर के बारे में मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति यदि पहुँज नदी में स्नान करने के बाद बालाजी मन्दिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर जल चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
- माना जाता है कि यहाँ आने वाले नि:संतान दंपत्तियों को संतान का सुख मिलता है।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थान होने की वजह से दूर-दूर से लोग यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
- मन्दिर के निकट ही एक पवित्र जलकुण्ड है। कहा जाता है कि इस जल से स्नान करने पर तमाम दु:ख-दर्द मिट जाते हैं।
- इस स्थान को "बालाजी धाम" के नाम से भी जाना जाता है। यह दतिया मुख्यालय से 17 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
- यह विश्वास किया जाता है कि उनाव बालाजी मन्दिर प्रागैतिहासिक काल का है।
- लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर में संतान की चाहत रखने वाले श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। भगवान के दर्शन मात्र से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है।
- दतिया और झांसी सडक मार्ग के पहुँज नदी के किनारे पर आकर्षक और सुरभ्य पहाड़ियों में स्थित इस सूर्य मन्दिर पर सूर्योदय की पहली किरण सीधे मन्दिर के गर्भागृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती है। इस प्राचीन मन्दिर में प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है।[1]
- यहाँ आषाढ़ शुक्ल एकादशी को रथयात्रा का आयोजन किया जाता है तथा प्रत्येक रविवार को मेला लगता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भगवान के दर्शन मात्र से गोद भर जाती है (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 जुलाई, 2013।