सत्ता का रंग -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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- मुग़ल बादशाह को हराने के बाद [[शेरशाह सूरी]] जब [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा तो कहते हैं कि सबसे पहले वह शाही बाग़ के तालाब में अपना चेहरा देखकर यह परखने गया कि उसका माथा बादशाहों जैसा चौड़ा है या नहीं ! | - मुग़ल बादशाह को हराने के बाद [[शेरशाह सूरी]] जब [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा तो कहते हैं कि सबसे पहले वह शाही बाग़ के तालाब में अपना चेहरा देखकर यह परखने गया कि उसका माथा बादशाहों जैसा चौड़ा है या नहीं ! | ||
जब शेरशाह से पूछा गया "आपके बादशाह बनने पर क्या-क्या किया जाय ?" | जब शेरशाह से पूछा गया "आपके बादशाह बनने पर क्या-क्या किया जाय ?" | ||
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"तुम लोगों को मालूम नहीं है। यह मकान मेरी जानकारी में बना था और इसकी छत उतनी मज़बूत नहीं है जितना कि तुम समझ रहे हो, और अधिक लोग चढ़े तो बोझ ज़्यादा हो जाएगा और छत टूट जाएगी। इसलिए मैंने सीढ़ी खींच ली... न सीढ़ी दिखेगी और न कोई और चढ़ेगा" सरपंच ने समझाया। | "तुम लोगों को मालूम नहीं है। यह मकान मेरी जानकारी में बना था और इसकी छत उतनी मज़बूत नहीं है जितना कि तुम समझ रहे हो, और अधिक लोग चढ़े तो बोझ ज़्यादा हो जाएगा और छत टूट जाएगी। इसलिए मैंने सीढ़ी खींच ली... न सीढ़ी दिखेगी और न कोई और चढ़ेगा" सरपंच ने समझाया। | ||
आपको ऐसा नहीं लगता कि इस गाँव का क़िस्सा असल में जगह-जगह रोज़ाना ही घटता है। कभी भीड़ भरी रेलगाड़ी में तो कभी बस में और सबसे ज़्यादा तो ज़िन्दगी में सफलता प्राप्त करने की दौड़ में। हर कोई जैसे सीढ़ी को छुपा देना चाहता है... | आपको ऐसा नहीं लगता कि इस गाँव का क़िस्सा असल में जगह-जगह रोज़ाना ही घटता है। कभी भीड़ भरी रेलगाड़ी में तो कभी बस में और सबसे ज़्यादा तो ज़िन्दगी में सफलता प्राप्त करने की दौड़ में। हर कोई जैसे सीढ़ी को छुपा देना चाहता है... | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | ||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी |
Latest revision as of 13:23, 21 May 2017
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गिरगिट और ख़रबूज़े में क्या फ़र्क़ है ? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ