कुमारदेवी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
'''कुमारदेवी''' सुविख्यात [[लिच्छवी वंश]] की राजकुमारी थी। वह [[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त प्रथम]] की पत्नी और समुद्रगुप्त की माता थी। कुमारदेवी संसार की ऐसी प्रथम महारानी थी, जिसके नाम से सिक्के प्रचलित किए गए थे।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80|title=कुमारदेवी|accessmonthday=26 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
'''कुमारदेवी''' सुविख्यात [[लिच्छवी वंश]] की राजकुमारी थी। वह [[गुप्त साम्राज्य]] के सम्राट [[चन्द्रगुप्त प्रथम]] की पत्नी और [[समुद्रगुप्त]] की माता थी। कुमारदेवी संसार की ऐसी प्रथम महारानी थी, जिसके नाम से सिक्के प्रचलित किए गए थे। [[सारनाथ]] में 'धर्मचक्रजिनविहार' का निर्माण कुमारदेवी ने करवाया था।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80|title=कुमारदेवी|accessmonthday=26 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
*कुमारदेवी [[कान्यकुब्ज]] और [[वाराणसी]] के [[गहड़वाल वंश|गहड़वाल]] सम्राट गोविंदचंद्र (1114-1154) की रानी थी।
*उसके [[पिता]] देवरक्षित पीठि ([[गया]]) के चिक्कोर वंशी शासक और [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[पाल साम्राज्य|पाल]] सम्राटों के सामंत थे।
*शंकरदेवी कुमारदेवी की माता थी, जो एक अन्य पाल सामंत मथनदेव की पुत्री थी।
*मथनदेव [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट वंशी]] [[अंग जनपद|अंग]] के शासक थे। उनकी बहन पालराज [[रामपाल]] की [[माता]] थी।
*गोविंदचंद्र और कुमारदेवी के [[विवाह]] से गहड़वाल और [[पाल वंश]] में कूटनीतिक मित्रता स्थापित हुई और यह गबड़वाल शक्ति के लिए अन्य दिशाओं में विस्तार में सहायक सिद्ध हुई।
*महत्वपुर्ण बात यह भी थी कि गोविंदचंद्र स्वयं पौराणिक धर्मोपासक [[हिन्दू]] था, जबकि कुमारदेवी [[बौद्ध]] थी।
*कुमारदेवी को अपने [[धर्म]] पालन में न केवल पूरी स्वतंत्रता प्राप्त थी, अपीतु उसकी रक्षा और प्रचारादि के लिए दानादि देने की सुविधा भी उपलब्ध थीं। उसने मूल धर्मचक्र का एक नए विहार में पुन: स्थापन कराया था।


*कुमारदेवी [[कान्यकुब्ज]] और [[वाराणसी]] के [[गहड़वाल वंश|गहड़वाल]] सम्राट गोविंदचंद्र (1114-1154) की रानी थी। उसके [[पिता]] देवरक्षित पीठि ([[गया]]) के चिक्कोर वंशी शासक और [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[पाल साम्राज्य|पाल]] सम्राटों के सामंत थे।
*शंकरदेवी कुमारदेवी की माता थी, जो एक अन्य पाल सामंत मथनदेव की पुत्री थी। मथनदेव [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट वंशी]] [[अंग जनपद|अंग]] के शासक थे। मथनदेव की बहन पालराज [[रामपाल]] की माता थी।
*गोविंदचंद्र और कुमारदेवी के [[विवाह]] से गहड़वाल और [[पाल वंश]] में कूटनीतिक मित्रता स्थापित हुई और यह गबड़वाल शक्ति के अन्य दिशाओं में विस्तार में सहायक सिद्ध हुई।
*महत्वपुर्ण बात यह है कि गोविंदचंद्र स्वयं पौराणिक धर्मोपासक [[हिन्दू]] था, जबकि कुमारदेवी [[बौद्ध]] थी।
*कुमारदेवी को अपने [[धर्म]] पालन में न केवल पूरी स्वतंत्रता ही प्राप्त थी, अपीतु उसकी रक्षा और प्रचारादि के लिए दानादि देने की सुविधा भी उपलब्ध थीं। उसने मूल धर्मचक्र का एक नए विहार में पुन: स्थापन कराया था।
*[[सारनाथ]] में 'धर्मचक्रजिनविहार' का निर्माण कुमारदेवी ने करवाया था।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 13: Line 15:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{गुप्त काल}}
{{गुप्त काल}}
[[Category:गुप्त काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:गुप्त काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 12:30, 25 October 2017

कुमारदेवी सुविख्यात लिच्छवी वंश की राजकुमारी थी। वह गुप्त साम्राज्य के सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम की पत्नी और समुद्रगुप्त की माता थी। कुमारदेवी संसार की ऐसी प्रथम महारानी थी, जिसके नाम से सिक्के प्रचलित किए गए थे। सारनाथ में 'धर्मचक्रजिनविहार' का निर्माण कुमारदेवी ने करवाया था।[1]

  • कुमारदेवी कान्यकुब्ज और वाराणसी के गहड़वाल सम्राट गोविंदचंद्र (1114-1154) की रानी थी।
  • उसके पिता देवरक्षित पीठि (गया) के चिक्कोर वंशी शासक और बंगाल के पाल सम्राटों के सामंत थे।
  • शंकरदेवी कुमारदेवी की माता थी, जो एक अन्य पाल सामंत मथनदेव की पुत्री थी।
  • मथनदेव राष्ट्रकूट वंशी अंग के शासक थे। उनकी बहन पालराज रामपाल की माता थी।
  • गोविंदचंद्र और कुमारदेवी के विवाह से गहड़वाल और पाल वंश में कूटनीतिक मित्रता स्थापित हुई और यह गबड़वाल शक्ति के लिए अन्य दिशाओं में विस्तार में सहायक सिद्ध हुई।
  • महत्वपुर्ण बात यह भी थी कि गोविंदचंद्र स्वयं पौराणिक धर्मोपासक हिन्दू था, जबकि कुमारदेवी बौद्ध थी।
  • कुमारदेवी को अपने धर्म पालन में न केवल पूरी स्वतंत्रता प्राप्त थी, अपीतु उसकी रक्षा और प्रचारादि के लिए दानादि देने की सुविधा भी उपलब्ध थीं। उसने मूल धर्मचक्र का एक नए विहार में पुन: स्थापन कराया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुमारदेवी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 26 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख