ऋतु करीधल: Difference between revisions
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*'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान' ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लांच करके नया इतिहास रचा। इसरो का अपना रिकॉर्ड एक अभियान में 20 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का रहा है। इसरो ने ये कारनामा [[2016]] में किया था। इस मंगल अभियान में कई महिला वैज्ञानिक जुड़ी हुई थीं। वे रॉकेट छोड़े जाते समय नियंत्रण कक्ष में थीं और पल-पल होने वाली घटना पर नजर रखे हुए थीं। इन्हीं में से एक ऋतु करीधल भी हैं। | *'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान' ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लांच करके नया इतिहास रचा। इसरो का अपना रिकॉर्ड एक अभियान में 20 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का रहा है। इसरो ने ये कारनामा [[2016]] में किया था। इस मंगल अभियान में कई महिला वैज्ञानिक जुड़ी हुई थीं। वे रॉकेट छोड़े जाते समय नियंत्रण कक्ष में थीं और पल-पल होने वाली घटना पर नजर रखे हुए थीं। इन्हीं में से एक ऋतु करीधल भी हैं। | ||
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Latest revision as of 10:14, 9 March 2021
ऋतु करीधल
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पूरा नाम | ऋतु करीधल |
जन्म | 13 अप्रॅल, 1975 |
जन्म भूमि | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | अंतरिक्ष विज्ञान |
प्रसिद्धि | भारतीय वैज्ञानिक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
अन्य जानकारी | ऋतु करीधल 18 साल से इसरो में काम कर रही हैं। मंगल अभियान से वे और उनके सहकर्मी सुर्खियों में आ गए थे। यह अभियान 2012 के अप्रैल में शुरू हुआ और कामयाब रहा। |
अद्यतन | 15:34, 11 जुलाई 2017 (IST)
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ऋतु करीधल (अंग्रेज़ी: Ritu Karidhal, जन्म- 13 अप्रॅल, 1975) भारत की महिला वैज्ञानिक हैं। वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में कार्य करने वाली जानीमानी वैज्ञानिक हैं। वे भारत के मंगलयान मिशन की उप संचालन निदेशक थीं। ऋतु करीधल को 'भारत की रॉकेट वुमेन' कहा जाता है। ऋतु करीधल ने इसरो की कई परियोजनाओं के लिए कार्य किया है और इनमें से कुछ के लिए संचालन निदेशक के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं।
- 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान' ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लांच करके नया इतिहास रचा। इसरो का अपना रिकॉर्ड एक अभियान में 20 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का रहा है। इसरो ने ये कारनामा 2016 में किया था। इस मंगल अभियान में कई महिला वैज्ञानिक जुड़ी हुई थीं। वे रॉकेट छोड़े जाते समय नियंत्रण कक्ष में थीं और पल-पल होने वाली घटना पर नजर रखे हुए थीं। इन्हीं में से एक ऋतु करीधल भी हैं।
- लखनऊ, उत्तर प्रदेश में जन्मी तथा पली-बढ़ी ऋतु करीधल को बचपन में इस पर बहुत ताज्जुब होता था कि चंद्रमा का आकार कैसे घटता बढ़ता रहता है। वह यह भी जानना चाहती थीं कि चंद्रमा के काले धब्बों के पीछे क्या था।
- ऋतु करीधल विज्ञान की छात्रा थीं। वे भौतिकी और गणित से लगाव था, अखबारों में अमरीका के 'नेशनल एयरोनॉटिकल एंड स्पेस एजेंसी' (नासा) और अंतिरक्ष की खबरें खोज कर पढ़ा करती थीं।
[[चित्र:Ritu-Karidhal-TK-Anuradha-Nandni-Harinath.jpg|thumb|250px|left|भारतीय महिला वैज्ञानिक क्रमश: ऋतु करीधल, टी.के. अनुराधा, नंदिनी हरिनाथ]]
- मास्टर्स की डिग्री के बाद उन्होंने इसरो में नौकरी के लिए आवेदन किया और इस तरह अंतरिक्ष वैज्ञानिक बन गईं।
- ऋतु करीधल 18 साल से इसरो में काम कर रही हैं। मंगल अभियान से वे और उनके सहकर्मी सुर्खियों में आ गए थे। यह अभियान 2012 के अप्रैल में शुरू हुआ और कामयाब रहा।
- उन्होंने एक अवसर पर कहा था कि- "कई बार कहा जाता है कि पुरुष मंगल के हैं और महिलाएं शुक्र की। पर मंगल अभियान के बाद कई लोगों ने कहा कि महिलाएं मंगल की हैं।"
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- इन महिलाओं की वजह से भारत ने रचा इतिहास
- पीएसएलवी सी 17: तीन महिला वैज्ञानिको के हाथ जीसैट 12 की कमान
- भारत को अंतरिक्ष में भेजने वाली महिलाएं