शिलांगी हिन्दी: Difference between revisions

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*यहाँ की जनसंख्या डेढ़ लाख से ऊपर है, जिनमें एक लाख से ऊपर लोग एक प्रकार की अत्यंत सरल [[हिन्दी]] का प्रयोग करते हैं जिसे वहाँ 'बाजार- हिन्दी' नाम से अभिहित करते हैं।  
*यहाँ की जनसंख्या डेढ़ लाख से ऊपर है, जिनमें एक लाख से ऊपर लोग एक प्रकार की अत्यंत सरल [[हिन्दी]] का प्रयोग करते हैं जिसे वहाँ 'बाज़ार- हिन्दी' नाम से अभिहित करते हैं।  
*शिलांग के मूल निवासी [[खासी जाति]] के लोग हैं, जिनकी [[भाषा]] आस्ट्रो- एशियाटिक भाषा परिवार की 'खासी' है। यों यहाँ [[बांग्ला भाषा|बँगला]], [[असमिया भाषा|असमी]], [[हिन्दी]] तथा [[नेपाली भाषा]] भी हैं। यहाँ बाजारों में दैनिक व्यवहार की सर्वाधिक प्रचिलित भाषा यह विशेष प्रकार की सरल हिन्दी ही है। इसमें 'सकना' [[क्रिया]] का मानक हिन्दी की अपेक्षा व्यापक प्रयोग होता है; वह वहाँ सहायक क्रिया के साथ- साथ मूल क्रिया भी हो गई है -  
*शिलांग के मूल निवासी [[खासी जाति]] के लोग हैं, जिनकी [[भाषा]] आस्ट्रो- एशियाटिक भाषा परिवार की 'खासी' है। यों यहाँ [[बांग्ला भाषा|बँगला]], [[असमिया भाषा|असमी]], [[हिन्दी]] तथा [[नेपाली भाषा]] भी हैं। यहाँ बाज़ारों में दैनिक व्यवहार की सर्वाधिक प्रचिलित भाषा यह विशेष प्रकार की सरल हिन्दी ही है। इसमें 'सकना' [[क्रिया]] का मानक हिन्दी की अपेक्षा व्यापक प्रयोग होता है; वह वहाँ सहायक क्रिया के साथ- साथ मूल क्रिया भी हो गई है -  
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Latest revision as of 08:53, 14 October 2011

  • 'शिलंग' जिसे अंग्रेज़ी प्रभाव से 'शिलांग' भी कहा जाता रहा है; 1972 तक असम की राजधानी थी, अब यह मेघालय की राजधानी है।
  • यहाँ की जनसंख्या डेढ़ लाख से ऊपर है, जिनमें एक लाख से ऊपर लोग एक प्रकार की अत्यंत सरल हिन्दी का प्रयोग करते हैं जिसे वहाँ 'बाज़ार- हिन्दी' नाम से अभिहित करते हैं।
  • शिलांग के मूल निवासी खासी जाति के लोग हैं, जिनकी भाषा आस्ट्रो- एशियाटिक भाषा परिवार की 'खासी' है। यों यहाँ बँगला, असमी, हिन्दी तथा नेपाली भाषा भी हैं। यहाँ बाज़ारों में दैनिक व्यवहार की सर्वाधिक प्रचिलित भाषा यह विशेष प्रकार की सरल हिन्दी ही है। इसमें 'सकना' क्रिया का मानक हिन्दी की अपेक्षा व्यापक प्रयोग होता है; वह वहाँ सहायक क्रिया के साथ- साथ मूल क्रिया भी हो गई है -
  1. सकेगा मैं कर लूँगा, मैं कर सकता हूँ,[1]
  2. नहीं सका नहीं कर पाया, नहीं हो पाया[2],
  3. आज नहीं सकेगा [3]
  4. बोलने नहीं सकता, या देने नहीं सकता जैसे प्रयोग भी खूब हैं।
  • 'होना' का भी बहुत व्यापक रूप से प्रयोग होता है। जैसे -
  1. थोड़ा खाना होने से होगा [4]
  2. या नहीं देने से भी होगा [5]
  • क्रिया के काल केवल तीन हैं -
  1. सामान्य वर्तमान,
  2. सामान्य भूत,
  3. सामान्य भविष्यत।
  • इन्हीं से सभी काल- भेदों का काम चल जाता है। इसका शब्द- भंडार बहुत छोटा है, जिसमें हिन्दी के शब्द तो हैं ही, इसके अतिरिक्त
भोजपुरी -

भात - पक्सा चावल, औरत - पत्नी, छोकरा - छोकरी, बेटा - बेटी, बबुनी - बहिन, मा - ईमा,

खासी -

किआद- एक स्थानीय मादक पेय, खुबलेइ, नमस्कार,

असमी -

मद- शराब, लाहे-लाहे- थोड़ा- थोड़ा,

अंग्रेजी -

ब्रेक फास्ट बटर आदि के भी शब्द हैं।

  • इस हिन्दी में बँगला - असमी के प्रभाव से 'अ' वृत्तमुखी बोला जाता है जैसे सरकार का सँरकार। इस हिन्दी में कुछ शब्दों के अर्थों में भी परिवर्तन आ गया है। जैसे खाना और पीना दोनों के लिए 'खाना', 'बसना' के लिए 'बैठना', बस पर चढ़ना के लिए 'उठना'। यह ठीक अर्थों में बोली न होकर तकनीकी दृष्टि से 'पिजिन' [6] है।
  • हिन्दी संस्थान शिलांग की स्थापना 1976 में हुई थी। 1978 में यह केंद्र गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। पुन: इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत शिलांग केंद्र हिन्दी शिक्षकों के लिए नवीकरण (तीन सप्ताह का) पाठ्यक्रम और असम रायफ़ल्स के विद्यालयों के हिन्दी शिक्षकों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हिन्दी का कार्य साधक ज्ञान कराने के लिए 2-3 सप्ताह का हिन्दी शिक्षणपरक कार्यक्रम संचालित करता है। इस केंद्र के कार्य क्षेत्र मेघालय, त्रिपुरा एवं मिज़ोरम राज्य है।प्राय: बोलचाल में ही आती है तथा किसी की मातृबोली नहीं होता।



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टीका टिप्पणी

  1. मैं कर लूँगा, मैं कर सकता हूँ,
  2. नहीं कर पाया, नहीं हो पाया
  3. आज नहीं होगा, आज नहीं कर पाऊँगा
  4. थोड़े खाने से भी काम चल जाएगा
  5. यदि आप पैसे नहीं देंगे, तब भी आपको सामान दूँगा
  6. एक मिश्रित भाषिक रूप

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