अंग वीरशैव सिद्धांत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
'''अंग वीरशैव सिद्धांत''' मत के अनुसार परम शिव के दो रूपों की उत्पत्ति लिंग (शिव) और अंग (जीव) के रूप में बतलाई गई है। प्रथम तो उपास्य है और दूसरा उपासक। यह उत्पत्ति शक्ति के क्षोभ मात्र से होती है। इस अंग की शक्ति निवृत्ति उत्पन्न करने वाली भक्ति है। इस अंग के तीन प्रकार बताए गए हैं:- योगांग, भोगांग और त्यागांग। अंग के मलों का निराकरण भक्ति से ही संभव है जिसकी प्राप्ति परम शिव के अनुग्रह से होती है।<ref> (ना. ना. उ.)</ref>  
'''अंग वीरशैव सिद्धांत''' मत के अनुसार परम शिव के दो रूपों की उत्पत्ति लिंग (शिव) और अंग (जीव) के रूप में बतलाई गई है। प्रथम तो उपास्य है और दूसरा उपासक। यह उत्पत्ति शक्ति के क्षोभ मात्र से होती है। इस अंग की शक्ति निवृत्ति उत्पन्न करने वाली भक्ति है। इस अंग के तीन प्रकार बताए गए हैं:- योगांग, भोगांग और त्यागांग। अंग के मलों का निराकरण भक्ति से ही संभव है जिसकी प्राप्ति परम शिव के अनुग्रह से होती है।<ref> (ना. ना. उ.)</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=8 |url=}}</ref>  




Line 5: Line 5:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{शिव2}}{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}{{द्वादश ज्योतिर्लिंग}}{{शिव}}
{{शिव2}}{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}{{शिव}}
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] [[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:हिन्दू देवी-देवता]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] [[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:हिन्दू देवी-देवता]]
[[Category:हिन्दू भगवान अवतार]][[Category:अनिरीक्षित]][[Category:शिव]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:हिन्दू भगवान अवतार]][[Category:अनिरीक्षित]][[Category:शिव]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 11:33, 25 July 2018

अंग वीरशैव सिद्धांत मत के अनुसार परम शिव के दो रूपों की उत्पत्ति लिंग (शिव) और अंग (जीव) के रूप में बतलाई गई है। प्रथम तो उपास्य है और दूसरा उपासक। यह उत्पत्ति शक्ति के क्षोभ मात्र से होती है। इस अंग की शक्ति निवृत्ति उत्पन्न करने वाली भक्ति है। इस अंग के तीन प्रकार बताए गए हैं:- योगांग, भोगांग और त्यागांग। अंग के मलों का निराकरण भक्ति से ही संभव है जिसकी प्राप्ति परम शिव के अनुग्रह से होती है।[1][2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (ना. ना. उ.)
  2. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 8 |

संबंधित लेख