रहल: Difference between revisions

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*रहल प्राय: लकड़ी की बनी हुई होती है।  
*रहल प्राय: लकड़ी की बनी हुई होती है।  
*पहले रहल घर-घर में पायी जाती थी।  
*पहले रहल घर-घर में पायी जाती थी।  
*यह भाँति भाँति की नक्काशी की हुई मिलती है।  
*यह भाँति-भाँति की नक्काशी की हुई मिलती है।  
*आजकल प्राय: यह उपलब्ध नहीं होती किंतु तलाश करने पर आज भी कहीं कहीं दिख जाती है।
*आजकल प्राय: यह उपलब्ध नहीं होती किंतु तलाश करने पर आज भी कहीं कहीं दिख जाती है।



Revision as of 15:10, 29 July 2011

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  • भारत में 'रहल' प्राचीन समय से प्रयोग किया जाता रहा है। इसे सरल भाषा में 'पुस्तकाधार' भी कहा जाता है। कहीं कहीं पर रहल को 'रेहल' अथवा 'रिहन' भी कहा जाता है।
  • मुख्यत: इसका प्रयोग धार्मिक पुस्तकों के पठन पाठन के लिए किया जाता है। रामायण, महाभारत, गीता, पुराण, कुरान आदि पुस्तकों का अध्ययन करते समय इसका प्रयोग सुविधा के लिए किया जाता है।
  • इस पर रख कर पढ़ने से पुस्तक सुरक्षित रहती है, क्योंकि भारी वा बड़ी पुस्तकों को हाथ में लेकर पढ़ने से असुविधा रहती है और पुस्तक के फटने का भी भय रहता है।
  • रहल की बनावट अंग्रेज़ी भाषा के X की भाँति होती है।
  • रहल प्राय: लकड़ी की बनी हुई होती है।
  • पहले रहल घर-घर में पायी जाती थी।
  • यह भाँति-भाँति की नक्काशी की हुई मिलती है।
  • आजकल प्राय: यह उपलब्ध नहीं होती किंतु तलाश करने पर आज भी कहीं कहीं दिख जाती है।


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