गणाधिप: Difference between revisions
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*गणाधिप अरुणवर्ण, एकदन्त, गजमुख, लम्बोदर, अरण-वस्त्र, त्रिपुण्ड्र-तिलक, मूषकवाहन है। | *गणाधिप अरुणवर्ण, एकदन्त, गजमुख, लम्बोदर, अरण-वस्त्र, [[त्रिपुण्ड्र]]-[[तिलक]], मूषकवाहन है। | ||
*गणाधिप देवता माता-पिता दोनों को प्रिय हैं। | *गणाधिप देवता माता-पिता दोनों को प्रिय हैं। | ||
*ऋद्धि-सिद्धि गणाधिप की पत्नियाँ हैं। | *ऋद्धि-सिद्धि गणाधिप की पत्नियाँ हैं। |
Latest revision as of 07:56, 20 December 2012
मुख्य लेख : गणेश
- शिव और पार्वती पुत्र भगवान गणेश का ही नाम गणाधिप है।
- गणाधिप भगवान शंकर के गणों के मुख्य अधिपति हैं। इसलिए गणेशजी को गणाधिप भी कहा जाता है।
- गणाधिप अरुणवर्ण, एकदन्त, गजमुख, लम्बोदर, अरण-वस्त्र, त्रिपुण्ड्र-तिलक, मूषकवाहन है।
- गणाधिप देवता माता-पिता दोनों को प्रिय हैं।
- ऋद्धि-सिद्धि गणाधिप की पत्नियाँ हैं।
- ब्रह्मा जी जब 'देवताओं में कौन प्रथम पूज्य हो' इसका निर्णय करने लगे, तब पृथ्वी-प्रदक्षिणा ही शक्ति का निदर्शन मानी गयी। गणेश जी का मूषक कैसे सबसे आगे दौड़े। उन्होंने देवर्षि के उपदेश से भूमि पर 'राम' नाम लिखा और उसकी प्रदक्षिणा कर ली। पुराणान्तर के अनुसार भगवान शंकर और पार्वती जी की प्रदक्षिणा की। गणाधिप दोनों प्रकार सम्पूर्ण भुवनों की प्रदक्षिणा कर चुके थे। सबसे पहले पहुँचे थे। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें प्रथम पूज्य बनाया। प्रत्येक कर्म में उनकी प्रथम पूजा होती है।
- गणाधिप की प्रथम पूजा न हो तो कर्म के निर्विघ्न पूर्ण होने की आशा कम ही रहती है।
भगवान गणेश के अन्य नाम
अन्य सम्बंधित लेख |
- विघ्नराज
- द्वैमातुर
- विनायक
- एकदन्त
- हेरम्ब
- लम्बोदर
- गजानन
- सुमुख
- कपिल
- गजकर्णक
- विकट
- विघ्ननाशक
- धूम्रकेतु
- गणाध्यक्ष
- भालचन्द्र
- गांगेय
- रक्तवर्ण
- शूर्पकर्ण
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