आदमी नामा -नज़ीर अकबराबादी: Difference between revisions
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मस्ज़िद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ। | मस्ज़िद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ। | ||
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ। | बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ। | ||
पढ़ते हैं आदमी ही | पढ़ते हैं आदमी ही क़ुरआन और नमाज़ यां। | ||
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ। | और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ। | ||
जो उनको ताड़ता है सो है वह भी आदमी॥ | जो उनको ताड़ता है सो है वह भी आदमी॥ |
Latest revision as of 10:32, 14 May 2013
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दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी |
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