अहमद नदीम क़ासमी
अहमद नदीम क़ासमी
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पूरा नाम | अहमद नदीम क़ासमी |
अन्य नाम | नदीम (उपनाम) |
जन्म | 20 नवम्बर, 1916 |
जन्म भूमि | रंगा, तहसील ख़ोशाब, सरगोधा (अब पाकिस्तान में) |
मृत्यु | 10 जुलाई, 2006 |
मृत्यु स्थान | लाहौर |
कर्म-क्षेत्र | उर्दू शायर |
शिक्षा | एम.ए., पंजाब यूनीवर्सिटी |
प्रसिद्धि | शायर |
अन्य जानकारी | अहमद नदीम क़ासमी ने पाकिस्तान की स्थापना के बाद फ़िल्म 'आग़ोश', 'दो रास्ते' और 'लोरी' के संवाद लिखे, जिनकी नुमाइश भी अमल में आई। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
अहमद नदीम क़ासमी (अंग्रेज़ी: Ahmad Nadeem Qasmi, जन्म- 20 नवम्बर, 1916; मृत्यु- 10 जुलाई, 2006) प्रसिद्ध शायर थे। वह एक सफल सम्पादक के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने ‘फ़नून’ के नाम से एक अदबी रिसाला जारी किया था, जिसे आजीवन पूरी लगन के साथ निकालते रहे। अहमद नदीम क़ासमी की प्रसिद्ध कृतियों में प्रमुख हैं- 'धड़कनें' (1962) जो बाद में 'रिमझिम' के नाम से प्रकाशित हुई और फिर इसी नाम से जानी गई। जलाल-ओ-जमाल, शोल-ए-गुल, दश्ते-वफ़ा, मुहीत (सभी कवितासंग्रह) आदि।
परिचय
अहमद नदीम क़ासमी की पैदाइश 20 नवंबर, 1916 ई. को रंगा, तहसील ख़ोशाब सरगोधा में हुई थी। उनका अहमद शाह नाम रखा गया। आरम्भिक शिक्षा पैतृक गांव में हुई। सन 1935 में पंजाब यूनीवर्सिटी से एम.ए. किया। 1936 में रिफॉर्म्स कमिशनर लाहौर के दफ़्तर में मुहर्रिर की हैसियत से व्यवहारिक जीवन आरम्भ किया। 1941 तक कई सरकारी विभागों में छोटी-छोटी नौकरियां करने के बाद दिल्ली में उनकी मुलाक़ात मंटो से हुई।[1]
मंटो उस ज़माने में कई फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिख रहे थे। अहमद नदीम क़ासमी ने उन फिल्मों के लिए गाने लिखे, लेकिन बदकिस्मती से कोई भी फ़िल्म रीलीज़ न हो सकी। पाकिस्तान की स्थापना के बाद अलबत्ता उन्होंने फ़िल्म 'आग़ोश', 'दो रास्ते' और 'लोरी' के संवाद लिखे, जिनकी नुमाइश भी अमल में आई।
कार्य
- सन 1942 में अहमद नदीम क़ासमी दिल्ली से वापस आ गये और इम्तियाज़ अली ताज के इदारे दारुल इशाअत पंजाब, लाहौर में ‘तहज़ीब-ए-निसवां’ और ‘फूल’ का सम्पादन किया।
- क़याम-ए-पाकिस्तान के बाद पेशावर रेडियो में बतौर स्क्रिप्ट राईटर अपनी सेवाएं दीं, लेकिन वहां से भी जल्द अलग हो गये।
- 1947 में सवेरा के सम्पादक मंडल में शामिल हो गये।
- 1949 में अंजुमन तरक़्क़ी-पसंद मुसन्निफ़ीन (जनवादी लेखक संघ) पाकिस्तान के सेक्रेटरी जनरल चुने गये। अंजुमन की सत्ता विरोधी सरगर्मीयों के कारण क़ैद किये गये और सात महीने जेल में गुज़ारे।
- 1963 में अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘फ़नून’ जारी किया।
- 1974 से 2006 तक मजलिस तरक़्क़ी अदब लाहौर के डायरेक्टर रहे।[1]
कृतियाँ
कहानी संग्रह : चौपाल, बगोले, तुलूअ-ओ-ग़ुरूब, गिर्दाब, सैलाब, आँचल, आबले,आस-पास, दर-ओ-दीवार, सन्नाटा, बाज़ार-ए-हयात, बर्ग-ए-हिना, घर से घर तक, नीला पत्थर, कपास का फूल, कोह पैमा, पतझड़।
शेअरी मज्मुए : रिमझिम, जलाल व जमाल, शोला-ए-गुल, दश्त-ए-वफ़ा, मुहीत, दवाम, तहज़ीब व फ़न, धड़कनें, लौह ख़ाक, अर्ज़-ओ-समा, अनवर जमाल।
आलोचना : अदब और तालीम के रिश्ते, पस अलफ़ाज़, मअनी की तलाश।
मृत्यु
अहमद नदीम क़ासमी का 10 जुलाई, 2006 को लाहौर में इंतिक़ाल हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अहमद नदीम क़ासमी का परिचय (हिंदी) rekhta.org। अभिगमन तिथि: 05 दिसम्बर, 2021।
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