बहाई सम्प्रदाय: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:43, 21 March 2014
बहाई सम्प्रदाय 'बहाउल्लाह' (जन्म- 1817 ई.; मृत्यु- 1892 ई.) के द्वारा प्रवर्तित है। बहाउल्लाह का जन्म फ़ारस (ईरान) में हुआ था, परन्तु शाह के आदेश से उसे देश से निर्वासित कर दिया गया। इस सम्प्रदाय के निम्नलिखित मुख्य सिद्धान्त हैं-
- ईश्वर अज्ञेय है, वह केवल अपने पैगम्बरों द्वारा अपने को व्यक्त करता है।
- इलहाम किसी एक युग तक सीमित नहीं है, वह हर युग में होता रहता है।
- हर हज़ार वर्ष के बाद पैगम्बरों का जन्म होता रहता है।
- वर्तमान युग के लिए ईश्वरीय आदेश है कि समस्त मानवजाति को एक मज़हब तथा एक विश्व व्यवस्था के अंतर्गत संगठित कर दो।
इस सम्प्रदाय का सबसे पहला मुखिया उसका संस्थापक बहाउल्लाह था। उसके बाद यह पद उसके वंशजों को उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त होता रहा। कट्टर मुसलमान 'बहाई सम्प्रदाय' को नास्तिकों का सम्प्रदाय मानते हैं, फिर भी भारत तथा पाकिस्तान सहित 40 देशों में इस सम्प्रदाय के अनुयायी मिलते हैं। इस सम्प्रदाय की ओर से अंग्रेज़ों में 'दि बहाई वर्ल्ड' नाम का एक पत्र भी प्रकाशित होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 278।
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