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'''नेमावार''' [[देवास]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक [[ग्राम]] और [[ऐतिहासिक स्थान]] है। 11वीं शती में [[अरब]] पर्यटक [[अलबेरूनी]] ने इस स्थान को [[भारत]] के उत्तर दक्षिण के व्यापार मार्ग पर स्थित बताया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=507|url=}}</ref>
'''नेमावार''' [[देवास]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक [[ग्राम]] और [[ऐतिहासिक स्थान]] है। 11वीं शती में [[अरब]] पर्यटक [[अलबेरूनी]] ने इस स्थान को [[भारत]] के उत्तर दक्षिण के व्यापार मार्ग पर स्थित बताया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=507|url=}}</ref>


*नेमावार ग्राम में 'सिद्धेश्वर महादेव' का प्रसिद्ध मंदिर है, जो [[नर्मदा नदी]] के उत्तरी तट पर रमणीक दृश्यों के बीच स्थित है।
*नेमावार ग्राम में '[[सिद्धनाथ महादेव मंदिर|सिद्धनाथ महादेव]]' का प्रसिद्ध मंदिर है, जो [[नर्मदा नदी]] के उत्तरी तट पर रमणीक दृश्यों के बीच स्थित है।
*इस मंदिर का सुंदर शिखर [[भिलसा|भीलसा ज़िले]] में स्थित [[उदयपुर मध्य प्रदेश|उदयपुर]] के 'नीलकंठेश्वर मंदिर' की ही भांति है।
*इस मंदिर का सुंदर शिखर [[भिलसा|भीलसा ज़िले]] में स्थित [[उदयपुर मध्य प्रदेश|उदयपुर]] के 'नीलकंठेश्वर मंदिर' की ही भांति है।
*यह मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता है।
*यह मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Latest revision as of 12:34, 27 October 2014

नेमावार देवास, मध्य प्रदेश में स्थित एक ग्राम और ऐतिहासिक स्थान है। 11वीं शती में अरब पर्यटक अलबेरूनी ने इस स्थान को भारत के उत्तर दक्षिण के व्यापार मार्ग पर स्थित बताया था।[1]

  • नेमावार ग्राम में 'सिद्धनाथ महादेव' का प्रसिद्ध मंदिर है, जो नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर रमणीक दृश्यों के बीच स्थित है।
  • इस मंदिर का सुंदर शिखर भीलसा ज़िले में स्थित उदयपुर के 'नीलकंठेश्वर मंदिर' की ही भांति है।
  • यह मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • होशंगाबाद के बाद नेमावार में नर्मदा नदी विश्राम करती है।
  • नेमावार नर्मदा की यात्रा का बीच का पड़ाव है, इसलिए इसे 'नाभि स्थान' भी कहते हैं।
  • यहाँ से भडूच और अमरकंटक दोनों ही समान दूरी पर हैं।
  • पुराणों में इस स्थान का 'रेवाखंड' नाम से कई जगह महिमामंडन किया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 507 |

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