राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस: Difference between revisions

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Revision as of 07:46, 25 April 2015

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस
विवरण 'राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस' भारत में प्रत्येक वर्ष 24 अप्रॅल को मनाया जाता है।
शुरुआत वर्ष 2010
तिथि 24 अप्रैल
संबंधित लेख पंचायती राज, राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह
अद्यतन‎

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (अंग्रेज़ी: National Panchayati Raj Day) प्रत्येक वर्ष 24 अप्रॅल को मनाया जाता है।

पंचायती राज व्यवस्था

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तहसील, तालुका और ज़िला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था अस्तित्व में रही है, भले ही इसे विभिन्न नाम से विभिन्न काल में जाना जाता रहा हो। पंचायती राज व्यवस्था को कमोबेश मुग़ल काल तथा ब्रिटिश काल में भी जारी रखा गया। ब्रिटिश शासन काल में 1882 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। ब्रिटिश शासकों ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की स्थिति पर जाँच करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफ़ारिश करने के लिए 1882 तथा 1907 में शाही आयोग का गठन किया। इस आयोग ने स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया, जिसके कारण 1920 में संयुक्त प्रान्त, असम, बंगाल, बिहार, मद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए क़ानून बनाये गये। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी संघर्षरत लोगों के नेताओं द्वारा सदैव पंचायती राज की स्थापना की मांग की जाती रही।

छत्तीसगढ़ की महिला सरपंच के भाषण से प्रभावित हुए प्रधानमंत्री

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंचायत राज दिवस के राष्ट्रीय समारोह में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में छत्तीसगढ़ दुर्ग ज़िले की सरपंच श्रीमती शारदा सिंह ध्रुव (ग्राम पंचायत निकुम) के भाषण की जमकर तारीफ की। समारोह में महिला सरपंच श्रीमती ध्रुव देश के विभिन्न राज्यों से आए पंचायत प्रतिनिधियों की प्रशंसा का केन्द्र बन गयी। उल्लेखनीय है कि इस राष्ट्रीय समारोह में हजारों की संख्या में मौजूद पंचायत प्रतिनिधियों में से केवल छत्तीसगढ़ की महिला सरपंच श्रीमती धु्रव को ही मंच से प्रधानमंत्री के सामने भाषण देने का अवसर मिला। महिला सरपंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी ग्राम पंचायत निकुम और छत्तीसगढ़ में आने के लिए आमंत्रण भी दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने उदबोधन में छत्तीसगढ़ की महिला सरपंच के आत्मविश्वास और उनके द्वारा अपनी ग्राम पंचायत में किए गए कार्यो की जमकर प्रशंसा की। मोदी जी ने कहा कि यदि यदि महिला सरपंचों को कार्य करने का पूरा अवसर दिया जाएगा, तो वो भी श्रीमती शारदा सिंह की तरह पूरे आत्मविष्वास से कार्य कर सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह आत्मविश्वास का ही नतीजा है कि श्रीमती शारदा सिह धु्रव ने धारा प्रवाह भाषण दिया और कहा कि उन्हें अपनी ग्राम पंचायत में हुए और हो रहे विकास कार्यों की पूरी जानकारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके भाषण को गंभीरता से सुना। जब श्रीमती ध्रुव ने बताया कि किस प्रकार ग्राम पंचायत क्षेत्र की महिलाओं ने शराब के खिलाफ अपने स्व-सहायता समूह के माध्यम से अभियान चलाया और उसमें सफलता प्राप्त की, तो प्रधानमंत्री सहित समारोह में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने करतल ध्वनि से उनके इन प्रयासों को सराहा। केन्द्रीय पंचायत राज मंत्री वीरेन्द्र सिंह, छत्तीसगढ़ सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री, अजय चन्द्राकर और अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत भी इस मौके पर मौजूद थे।[1] प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर एक सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि "पंचायतों को पंचवर्षीय योजनाओं की आदत डालनी चाहिए, सिर्फ बजट से गांव की स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि गांवों में बच्चों का स्कूल छोड़ना चिंता का कारण है और हमें गांव के स्तर पर सोचना होगा। इसलिए हर सप्ताह 'अपना गांव अपना विकास' पर चर्चा हो"।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रायपुर : राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस (हिंदी) छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग। अभिगमन तिथि: 25 अप्रॅल, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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