शिव परिवार: Difference between revisions

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'''शिव परिवार''' [[शिव|भगवान शिव]] का परिवार संसार में उत्कृष्ट परिवार का उदाहरण प्रस्तुत करता हैं। भगवान शिव की पत्नी [[पार्वती देवी|माता पार्वती]] हैंं। शिव संसार में पुरुष और प्रकृति के संतुलन को परिभाषित करते हैंं, उनके जयेष्ठ पुत्र का नाम हैं [[कार्तिकेय]], जो संसार में आशूरी शक्तियों का विनाश कर धर्म की पुनः स्थापना करते हैंं कार्तिकेय दक्षिण में मुरुगन के नाम से भी जाने जाते हैं। शिव के दूसरे पुत्र का नाम हैं [[गणेश]], जो 'एकदंताय', 'गजानन', 'विघ्नहर्ता' जैसे कई नामों से जाने जाते हैंं। जिन्हें संसार में शुभता का प्रतीक माना जाता है।  
'''शिव परिवार''' [[शिव|भगवान शिव]] का परिवार संसार में उत्कृष्ट परिवार का उदाहरण प्रस्तुत करता हैं। भगवान शिव की पत्नी [[पार्वती देवी|माता पार्वती]] हैंं। शिव संसार में पुरुष और प्रकृति के संतुलन को परिभाषित करते हैंं, उनके जयेष्ठ पुत्र का नाम हैं [[कार्तिकेय]], जो संसार में आशूरी शक्तियों का विनाश कर धर्म की पुनः स्थापना करते हैंं कार्तिकेय दक्षिण में मुरुगन के नाम से भी जाने जाते हैं। शिव के दूसरे पुत्र का नाम हैं [[गणेश]], जो 'एकदंताय', 'गजानन', 'विघ्नहर्ता' जैसे कई नामों से जाने जाते हैंं। जिन्हें संसार में शुभता का प्रतीक माना जाता है।  



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thumb|300px|शिव परिवार शिव परिवार भगवान शिव का परिवार संसार में उत्कृष्ट परिवार का उदाहरण प्रस्तुत करता हैं। भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती हैंं। शिव संसार में पुरुष और प्रकृति के संतुलन को परिभाषित करते हैंं, उनके जयेष्ठ पुत्र का नाम हैं कार्तिकेय, जो संसार में आशूरी शक्तियों का विनाश कर धर्म की पुनः स्थापना करते हैंं कार्तिकेय दक्षिण में मुरुगन के नाम से भी जाने जाते हैं। शिव के दूसरे पुत्र का नाम हैं गणेश, जो 'एकदंताय', 'गजानन', 'विघ्नहर्ता' जैसे कई नामों से जाने जाते हैंं। जिन्हें संसार में शुभता का प्रतीक माना जाता है।

भगवान शिव आदि हैं, अनंत हैं, निर्गुण और निराकार हैंं, शिव को देवों के देव कहते हैंं, इन्हैंं 'महादेव', 'भोलेनाथ', 'शंकर', रुद्र, आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है। वैसे तो भगवान शिव वैरागी रूप में भी जाने जाते हैं जिसका मतलब हैं की वो सांसारिक बंधन से मुक्त हैं। लेकिन शिव और शक्ति दोनों एक ही पराशक्ति के रूप होने के कारण दोनों अलग नहीं किन्तु एक ही रूप में पूजे जाते हैं जिसका प्रमाण उनका अर्धनारीश्वर रूप हैं। इसी कारण भगवान शिव ने माता आदिशक्ति (माता पार्वती) से विवाह कर संसार के उद्धार का कार्य किया है। जो ये प्रमाण है की भगवान शिव ने वैराग्य भाव से सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह किया है।

हिन्दू संस्कृति के अनुसार कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से पूर्व भगवान श्री गणेश की आराधना अनिवार्य हैं जिससे उस कार्य में कोई भी विघ्न न आये। भगवान शिव की एक पुत्री भी थी जिनके बारे में बहुत काम लोगो को ज्ञात होगा। जिसका नाम अशोक सुंदरी था, जिसका विवाह राजा नहुष से संपन हुआ था। भगवान शिव के परिवार में उनके वाहन नंदी का भी महत्त्व हैं जो धर्म के रूप में भी माने जाते हैं और माता पार्वती एवं भगवान शिव के प्रिय भी हैंं। भगवान शिव का परिवार ही एकमात्र ऐसा परिवार हैं जहा स्वयं शिव से लेकर उनके वाहन नंदी तक सब पूजे जाते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भगवान शिव का परिवार (हिंदी) Someshwar Mahadev Temple। अभिगमन तिथि: 3 मई, 2016।

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