पहेली नवम्बर 2015: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 128: | Line 128: | ||
+[[कुशीनगर]] | +[[कुशीनगर]] | ||
||[[चित्र:Buddha-Head-Kushinagar.jpg|right|150px|बुद्ध मस्तक]]'कुशीनगर' [[प्राचीन भारत]] के तत्कालीन [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक एवं [[मल्ल महाजनपद|मल्ल राज्य]] की राजधानी था। यह [[बुद्ध]] के महापरिनिर्वाण का स्थान है। [[कनिंघम]] ने [[कुशीनगर]] को वर्तमान [[देवरिया|देवरिया ज़िले]] में स्थित 'कसिया' से समीकृत किया है। अपने समीकरण की पुष्टि में उन्होंने 'परिनिर्वाण मंदिर' के पीछे स्थित [[स्तूप]] में मिले ताम्रपत्र का उल्लेख किया है, जिस पर 'परिनिर्वाणचैत्य ताम्रपत्र इति' उल्लिखित है। भगवान बुद्ध से सम्बंधित कई ऐतिहासिक स्थानों के लिए कुशीनगर संसार भर में प्रसिद्ध है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुशीनगर]] | ||[[चित्र:Buddha-Head-Kushinagar.jpg|right|150px|बुद्ध मस्तक]]'कुशीनगर' [[प्राचीन भारत]] के तत्कालीन [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक एवं [[मल्ल महाजनपद|मल्ल राज्य]] की राजधानी था। यह [[बुद्ध]] के महापरिनिर्वाण का स्थान है। [[कनिंघम]] ने [[कुशीनगर]] को वर्तमान [[देवरिया|देवरिया ज़िले]] में स्थित 'कसिया' से समीकृत किया है। अपने समीकरण की पुष्टि में उन्होंने 'परिनिर्वाण मंदिर' के पीछे स्थित [[स्तूप]] में मिले ताम्रपत्र का उल्लेख किया है, जिस पर 'परिनिर्वाणचैत्य ताम्रपत्र इति' उल्लिखित है। भगवान बुद्ध से सम्बंधित कई ऐतिहासिक स्थानों के लिए कुशीनगर संसार भर में प्रसिद्ध है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुशीनगर]] | ||
{[[राजेन्द्र प्रसाद]] की [[महात्मा गाँधी]] से प्रथम भेंट किस स्थान पर हुई थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[भावनगर]] | |||
+चम्पारन | |||
-[[अहमदाबाद]] | |||
-[[अमृतसर]] | |||
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|right|150px|राजेन्द्र प्रसाद]]'राजेन्द्र प्रसाद' [[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। वे बेहद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्ति थे। भारत के वे एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने दो कार्यकालों तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया। बाबू राजेन्द्र प्रसाद की ख़्याति कि वह बहुत समर्पित कार्यकर्ता हैं, [[महात्मा गाँधी]] के पास पहुँच चुकी थी। गाँधी जी ने राजेन्द्र प्रसाद को चम्पारन की स्थिति बताते हुए एक तार भेजा और कहा कि वह तुरन्त कुछ स्वयंसेवकों को साथ लेकर वहाँ आ जायें। बाबू राजेन्द्र प्रसाद का गाँधी जी के साथ यह पहला सम्पर्क था। वह उनके अपने जीवन में ही नहीं बल्कि भारत की राष्ट्रीयता के इतिहास में भी एक नया मोड़ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजेन्द्र प्रसाद]] | |||
{'[[गुरु घासीदास विश्वविद्यालय]]' को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा कब मिला? | {'[[गुरु घासीदास विश्वविद्यालय]]' को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा कब मिला? |
Revision as of 12:33, 3 July 2016
वर्ष 2013 >> जुलाई 2013 • अगस्त 2013 • सितंबर 2013 • अक्तूबर 2013 • नवंबर 2013 • दिसंबर 2013
वर्ष 2014 >> जनवरी 2014 • फ़रवरी 2014 • मार्च 2014 • अप्रॅल 2014 • मई 2014 • जून 2014 • जुलाई 2014 • अगस्त 2014 • सितंबर 2014 • अक्टूबर 2014 • नवम्बर 2014 • दिसम्बर 2014
वर्ष 2015 >> जनवरी 2015 • फ़रवरी 2015 • मार्च 2015 • अप्रॅल 2015 • मई 2015 • जून 2015 • जुलाई 2015 • अगस्त 2015 • सितंबर 2015 • अक्टूबर 2015 • नवम्बर 2015 • दिसम्बर 2015
वर्ष 2016 >> जनवरी 2016 • फ़रवरी 2016 • मार्च 2016 • अप्रैल 2016 • मई 2016 • जून 2016 • जुलाई 2016 • अगस्त 2016 • सितंबर 2016 • अक्टूबर 2016 • नवंबर 2016 • दिसंबर 2016
वर्ष 2017 >> जनवरी 2017 • फ़रवरी 2017 • मार्च 2017 • अप्रैल 2017 • मई 2017 • जून 2017 • जुलाई 2017 • अगस्त 2017 • सितम्बर 2017 • अक्टूबर 2017 • नवम्बर 2017 • दिसम्बर 2017
वर्ष 2018 >> जनवरी 2018
right|120px
|
पहेली अक्टूबर 2015 | 40px|पिछली पहेली पर जाएँ|link=| | पहेली नवम्बर 2015 | अगली पहेली पर जाएँ|40px|link=| | पहेली दिसम्बर 2015 |
संबंधित लेख