पुतलीबाई: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 10: Line 10:
|पाठ 3=दात्राल गाँव, [[जूनागढ़]]
|पाठ 3=दात्राल गाँव, [[जूनागढ़]]
|शीर्षक 4= मृत्यु
|शीर्षक 4= मृत्यु
|पाठ 4=[[1891]]
|पाठ 4=[[जनवरी]], [[1891]]
|शीर्षक 5=पति
|शीर्षक 5=पति
|पाठ 5= करमचंद गाँधी
|पाठ 5= करमचंद गाँधी
|शीर्षक 6= संतान
|शीर्षक 6= संतान
|पाठ 6= पुत्र- लक्ष्मीदास (कालदास), करसनदास (कृष्णदास) , मोहनदास; पुत्री रलियातबेन (गोकीबेन)
|पाठ 6= पुत्र- लक्ष्मीदास (कालदास), करसनदास (कृष्णदास), मोहनदास; पुत्री रलियातबेन (गोकीबेन)
|शीर्षक 7=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|पाठ 7=
Line 28: Line 28:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''पुतलीबाई''' (जन्म- 1839, दात्राल गाँव, [[जूनागढ़]]; मृत्यु- [[1891]])<ref>{{cite web |url=https://www.geni.com/people/Putlibai-Gandhi/6000000009016607497 |title=पुतलीबाई |accessmonthday= 14 अक्टूबर|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.geni.com |language=हिंदी }}</ref> [[मोहनदास करमचंद गाँधी|महात्मा गाँधी]] की माता तथा करमचंद गाँधी, जिन्हें कबा गाँधी के नाम से भी जाना जाता था, की चौथी पत्नी थीं।
'''पुतलीबाई''' (जन्म- 1839, दात्राल गाँव, [[जूनागढ़]]; मृत्यु- [[जनवरी]], [[1891]])<ref>{{cite web |url=https://www.geni.com/people/Putlibai-Gandhi/6000000009016607497 |title=पुतलीबाई |accessmonthday= 14 अक्टूबर|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.geni.com |language=हिंदी }}</ref> [[मोहनदास करमचंद गाँधी|महात्मा गाँधी]] की माता तथा करमचंद गाँधी, जिन्हें कबा गाँधी के नाम से भी जाना जाता था, की चौथी पत्नी थीं।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
पुतलीबाई का जन्म सन् 1839 में जूनागढ़ के पास दात्राल गाँव में हुआ था। वे एक निर्धन परिवार से सम्बंधित थीं। उनका विवाह करमचंद गाँधी के साथ हुआ था। पुतलीबाई उनकी चौथी पत्नी थीं।
पुतलीबाई का जन्म सन् 1839 में जूनागढ़ के पास दात्राल गाँव में हुआ था। वे एक निर्धन परिवार से सम्बंधित थीं। उनका विवाह करमचंद गाँधी के साथ हुआ था। पुतलीबाई उनकी चौथी पत्नी थीं।
Line 40: Line 40:
सबसे छोटे मोहनदास सभी के लाड़ले थे। पुतलीबाई भी उनसे बहुत लाड़ करती थीं। अपने सारे संस्कारों, अभिलाषाओं और भावनाओं का सिंचन उन्होंने मोहनदास में ही किया था। वस्तुत: गांधी जी का भक्तिभाव, नम्रता, मेहनत, सेवा-परायणता और अखंड धर्मनिष्ठा उनकी माँ की ही देन थे।
सबसे छोटे मोहनदास सभी के लाड़ले थे। पुतलीबाई भी उनसे बहुत लाड़ करती थीं। अपने सारे संस्कारों, अभिलाषाओं और भावनाओं का सिंचन उन्होंने मोहनदास में ही किया था। वस्तुत: गांधी जी का भक्तिभाव, नम्रता, मेहनत, सेवा-परायणता और अखंड धर्मनिष्ठा उनकी माँ की ही देन थे।
==निधन==
==निधन==
पुतलीबाई का निधन वर्ष 1891 को हुआ था।
पुतलीबाई का निधन वर्ष 1891 को जनवरी माह में हुआ था।





Latest revision as of 11:34, 15 October 2017

पुतलीबाई
पूरा नाम पुतलीबाई
जन्म 1839
जन्म स्थान दात्राल गाँव, जूनागढ़
मृत्यु जनवरी, 1891
पति करमचंद गाँधी
संतान पुत्र- लक्ष्मीदास (कालदास), करसनदास (कृष्णदास), मोहनदास; पुत्री रलियातबेन (गोकीबेन)
बाहरी कड़ियाँ पुतलीबाई करमचंद गाँधी की चौथी पत्नी थीं। इनके पुत्र मोहनदास गाँधी सबसे छोटे थे।

पुतलीबाई (जन्म- 1839, दात्राल गाँव, जूनागढ़; मृत्यु- जनवरी, 1891)[1] महात्मा गाँधी की माता तथा करमचंद गाँधी, जिन्हें कबा गाँधी के नाम से भी जाना जाता था, की चौथी पत्नी थीं।

जीवन परिचय

पुतलीबाई का जन्म सन् 1839 में जूनागढ़ के पास दात्राल गाँव में हुआ था। वे एक निर्धन परिवार से सम्बंधित थीं। उनका विवाह करमचंद गाँधी के साथ हुआ था। पुतलीबाई उनकी चौथी पत्नी थीं।

वैवाहिक जीवन

कबा और पुतलीबाई की आयु में दुगुने से भी अधिक का अंतर था, लेकिन जल्दी ही उन्होनें घर की पूरी ज़िम्मेदारी सँभाल ली। कबा का परिवार बहुत बड़ा था। दीवान होने के कारण उनके घर मेहमानों और रिश्तेदारों का आना-जाना लगा ही रहता था। घर में हर शाम 40-50 लोगों का भोजन बनता था। पुतलीबाई घर की अन्य महिलाओं के साथ स्वंय रसोई का काम सँभालती थीं। पुतलीबाई ने सौतेली संतानों से कभी भेदभाव नहीं किया। वास्तव में उनकी सौतेली संताने उम्र में उनसे बड़ी थीं, जिनके साथे उन्होंने सद्भावपूर्ण व्यवहार किया, उनकी सुख- सुविधाओं का बेहतर ख्याल रखा। बड़े सवेरे उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर वे पूजा-आराधना करतीं फिर रसोई के कार्य में जुट जातीं।

उनकी सादगी और निस्स्वार्थ सेवा की लोग प्रशंसा करते थे। कहते थे कि दीवान की पत्नी होकर भी उनमें लेशमात्र गर्व नहीं है। ऐसी पत्नी को पाकर कबा गर्व से फूले नहीं समाते थे।

संतान

पुतलीबाई के तीन पुत्र थे। सबसे बड़े लक्ष्मीदास उर्फ़ कालदास सन 1861 में पैदा हुए। उनके बाद सन् 1862 में एक पुत्री रलियातबेन उर्फ़ गोकीबेन पैदा हुई। सन् 1866 करसनदास (कृष्णदास) और 2 अक्टूबर, 1869 में मोहनदास का जन्म हुआ।

सबसे छोटे मोहनदास सभी के लाड़ले थे। पुतलीबाई भी उनसे बहुत लाड़ करती थीं। अपने सारे संस्कारों, अभिलाषाओं और भावनाओं का सिंचन उन्होंने मोहनदास में ही किया था। वस्तुत: गांधी जी का भक्तिभाव, नम्रता, मेहनत, सेवा-परायणता और अखंड धर्मनिष्ठा उनकी माँ की ही देन थे।

निधन

पुतलीबाई का निधन वर्ष 1891 को जनवरी माह में हुआ था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुतलीबाई (हिंदी) www.geni.com। अभिगमन तिथि: 14 अक्टूबर, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख