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'''अभिश्लेषण''' (एग्लूटिनेशन) दो वस्तुओं का मिलना। भाषा विज्ञान में शब्दों के संमेलन को अभिश्लेषण कहते हैं। भाषा में पदों के द्वारा अर्थ का तथा परसर्ग आदि के द्वारा संबंध का बोध होता है। 'मेरे' शब्द में 'मैं' (अर्थ तत्व) और 'का' (संबंध तत्व) का अभिलेषण करके 'मेरे' शब्द बनाया गया है। इस अभिलेषण के आधार पर ही भाषाओं का आकृतिमूलक वर्गीकरण किया जाता है। चीनी भाषा में अभिश्लेषण नहीं है किंतु तुर्की भाषा अभिश्लेषण का अच्छा उदाहरण है।  
'''अभिश्लेषण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Agglutination'') से अभिप्राय है- 'दो वस्तुओं का मिलना'। भाषा विज्ञान में शब्दों के संमेलन को अभिश्लेषण कहते हैं। [[भाषा]] में पदों के द्वारा अर्थ का तथा परसर्ग आदि के द्वारा संबंध का बोध होता है। 'मेरे' शब्द में 'मैं' (अर्थ तत्व) और 'का' (संबंध तत्व) का अभिलेषण करके 'मेरे' शब्द बनाया गया है। इस अभिलेषण के आधार पर ही भाषाओं का आकृतिमूलक वर्गीकरण किया जाता है। चीनी भाषा में अभिश्लेषण नहीं है, किंतु तुर्की भाषा अभिश्लेषण का अच्छा उदाहरण है।
==== इसके तीन मुख्य भेद हैं- ====  
==मुख्य भेद==  
#प्रश्लिष्ट अभिश्लेषण (इनकारपोरेशन), इसमें दोनों तत्वों को अलग नहीं किया जा सकता।  
#प्रश्लिष्ट अभिश्लेषण (इनकारपोरेशन) - इसमें दोनों तत्वों को अलग नहीं किया जा सकता।  
#अभिश्लिष्ट अभिश्लेषण (सिंपुल एग्लूटिलेशन) में अभिश्लिष्ट तत्व पृथक्‌ दिखाई देते हैं।  
#अभिश्लिष्ट अभिश्लेषण (सिंपुल एग्लूटिलेशन) - इसमें अभिश्लिष्ट तत्व पृथक्‌ दिखाई देते हैं।  
#श्लिष्ट अभिश्लेषण (इनफ़्लेक्शन) में यद्यपि अर्थ तत्व में विकार हो जाता है फिर भी संबंध तत्व अलग मालूम होता है।
#श्लिष्ट अभिश्लेषण (इनफ़्लेक्शन) - इसमें यद्यपि अर्थ तत्व में विकार हो जाता है, फिर भी संबंध तत्व अलग मालूम होता है।
संस्कृत व्याकरण में अभिश्लेषण की प्रक्रिया को सामर्थ्य कहते हैं। वहाँ इसके एकार्थी भाव और व्यपेक्षा में दो भेद माने गए हैं। प्राचीन पाश्चात्य दर्शन में दो विचारों के समन्वय के लिए इसका प्रयोग हुआ है। चिकित्साशास्त्र में द्रव पदार्थ में बैक्टीरिया, सेल या जीवाणुओं के परस्पर संयोग के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=185 |url=}}</ref>
 
 


[[संस्कृत]] [[व्याकरण]] में अभिश्लेषण की प्रक्रिया को 'सामर्थ्य' कहते हैं। वहाँ इसके एकार्थी भाव और व्यपेक्षा में दो भेद माने गए हैं। प्राचीन पाश्चात्य दर्शन में दो विचारों के समन्वय के लिए इसका प्रयोग हुआ है। चिकित्साशास्त्र में द्रव पदार्थ में [[बैक्टीरिया]], सेल या [[जीवाणु|जीवाणुओं]] के परस्पर संयोग के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=185 |url=}}</ref>


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Latest revision as of 11:28, 9 December 2020

अभिश्लेषण (अंग्रेज़ी: Agglutination) से अभिप्राय है- 'दो वस्तुओं का मिलना'। भाषा विज्ञान में शब्दों के संमेलन को अभिश्लेषण कहते हैं। भाषा में पदों के द्वारा अर्थ का तथा परसर्ग आदि के द्वारा संबंध का बोध होता है। 'मेरे' शब्द में 'मैं' (अर्थ तत्व) और 'का' (संबंध तत्व) का अभिलेषण करके 'मेरे' शब्द बनाया गया है। इस अभिलेषण के आधार पर ही भाषाओं का आकृतिमूलक वर्गीकरण किया जाता है। चीनी भाषा में अभिश्लेषण नहीं है, किंतु तुर्की भाषा अभिश्लेषण का अच्छा उदाहरण है।

मुख्य भेद

  1. प्रश्लिष्ट अभिश्लेषण (इनकारपोरेशन) - इसमें दोनों तत्वों को अलग नहीं किया जा सकता।
  2. अभिश्लिष्ट अभिश्लेषण (सिंपुल एग्लूटिलेशन) - इसमें अभिश्लिष्ट तत्व पृथक्‌ दिखाई देते हैं।
  3. श्लिष्ट अभिश्लेषण (इनफ़्लेक्शन) - इसमें यद्यपि अर्थ तत्व में विकार हो जाता है, फिर भी संबंध तत्व अलग मालूम होता है।

संस्कृत व्याकरण में अभिश्लेषण की प्रक्रिया को 'सामर्थ्य' कहते हैं। वहाँ इसके एकार्थी भाव और व्यपेक्षा में दो भेद माने गए हैं। प्राचीन पाश्चात्य दर्शन में दो विचारों के समन्वय के लिए इसका प्रयोग हुआ है। चिकित्साशास्त्र में द्रव पदार्थ में बैक्टीरिया, सेल या जीवाणुओं के परस्पर संयोग के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 185 |

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