गुरु नानक शाह -नज़ीर अकबराबादी

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गुरु नानक शाह -नज़ीर अकबराबादी
कवि नज़ीर अकबराबादी
जन्म 1735
जन्म स्थान दिल्ली
मृत्यु 1830
मुख्य रचनाएँ बंजारानामा, दूर से आये थे साक़ी, फ़क़ीरों की सदा, है दुनिया जिसका नाम आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
नज़ीर अकबराबादी की रचनाएँ

हैं कहते नानक शाह जिन्हें वह पूरे हैं आगाह गुरू ।
वह कामिल[1] रहबर[2] जग में हैं यूँ रौशन जैसे माह[3] गुरू ।
मक़्सूद मुराद[4], उम्मीद सभी, बर लाते हैं दिलख़्वाह गुरू ।
नित लुत्फ़ो करम से करते हैं हम लोगों का निरबाह गुरु ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत[5] के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।1।।

हर आन दिलों विच याँ अपने जो ध्यान गुरू का लाते हैं ।
और सेवक होकर उनके ही हर सूरत बीच कहाते हैं ।
गर अपनी लुत्फ़ो इनायत से सुख चैन उन्हें दिखलाते हैं ।
ख़ुश रखते हैं हर हाल उन्हें सब तन का काज बनाते हैं ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।2।।

जो आप गुरू ने बख़्शिश से इस ख़ूबी का इर्शाद[6] किया ।
हर बात है वह इस ख़ूबी की तासीर[7] ने जिस पर साद किया ।
याँ जिस-जिस ने उन बातों को है ध्यान लगाकर याद किया ।
हर आन गुरू ने दिल उनका ख़ुश वक़्त किया और शाद किया ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।3।।

दिन रात जिन्होंने याँ दिल बिच है याद गुरू से काम लिया ।
सब मनके मक़्सद[8] भर पाए ख़ुश वक़्ती का हंगाम[9] लिया ।
दुख-दर्द में अपना ध्यान लगा जिस वक़्त गुरू का नाम लिया ।
पल बीच गुरू ने आन उन्हें ख़ुश हाल किया और थाम लिया ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।4।।

याँ जो-जो दिल की ख़्वाहिश की कुछ बात गुरू से कहते हैं ।
वह अपनी लुत्फ़ो शफ़क़त[10] से नित हाथ उन्हीं के गहते हैं ।
अल्ताफ़[11] से उनके ख़ुश होकर सब ख़ूबी से यह कहते हैं ।
दुख दूर उन्हीं के होते हैं सौ सुख से जग में रहते हैं ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।5।।

जो हरदम उनसे ध्यान लगा उम्मीद करम की धरते हैं ।
वह उन पर लुत्फ़ो इनायत से हर आन तव्ज्जै[12] करते हैं ।
असबाब[13] ख़ुशी और ख़ूबी के घर बीच उन्हीं के भरते हैं ।
आनन्द इनायत करते हैं सब मन की चिन्ता हरते हैं ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।6।।

जो लुत्फ़ इनायत उनमें हैं कब वस्फ़[14] किसी से उनका हो ।
वह लुत्फ़ो करम जो करते हैं हर चार तरफ़ है ज़ाहिर वो ।
अल्ताफ़ जिन्हों पर हैं उनके सौ ख़ूबी हासिल हैं उनको ।
हर आन ’नज़ीर’ अब याँ तुम भी बाबा नानक शाह कहो ।

               इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरू ।
               सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरू ।।७।।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सम्पूर्ण
  2. अच्छा रास्ता दिखाने वाले
  3. चाँद
  4. इरादा की हुई
  5. प्रतिष्ठा
  6. धर्म गुरू का उपदेश
  7. असर लाना
  8. मुराद
  9. समय
  10. मेहरबानी
  11. मेहरबानी
  12. ध्यान देना
  13. भरपूर
  14. गुणगान, प्रशंसा

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