चर्स

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:20, 22 November 2014 by गोविन्द राम (talk | contribs) (''''चर्स''' अथवा '''पुर''' प्राचीन समय में खेतों में सिंचाई ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

चर्स अथवा पुर प्राचीन समय में खेतों में सिंचाई के दौरान उपयोग होने वाला एक पात्र। प्राचीन भारत में सिंचाई के कुछ साधन ऐसे थे जो अब विद्यमान नहीं हैं और कुछ अब भी हैं। इन्हीं में से एक था 'चर्स' या 'पुर' द्वारा सिंचाई। यह एक जटिल और जोखिम का काम था इसमें दो बैल और दो आदमी लगते थे। जो 'न्हैचिया' पर चलते थे। न्हैचिया उस ढलान को कहते थे जिस पर चलकर बैल पानी खींचते थे। 'चर्स' या 'पुर' लगभग 7 मन पानी (लगभग पौने तीन सौ लीटर पानी) की क्षमता रखता था। यह चमड़े का बना होता था। जब पानी से भरा हुआ 'पुर' कुँए की मेड़ पर आता था तो एक व्यक्ति उसको अपनी तरफ़ खींचकर ख़ाली करता था। इस क्षण पर उसे ज़ोर से 'राम' कहना होता था, जिससे बैलों के साथ वाला व्यक्ति बैलों की रस्सी से 'किल्ली' (लकड़ी की मोटी कील) को निकाल देता था। 'पुर' आसानी से ख़ाली हो जाता था। जब कुँए पर बैठा व्यक्ति 'राम' कहना भूल जाता था तो आदत के अनुसार बैल वापस चल देते थे। इससे 'पुर' भरी हुई हालत में ही कुँए में वापस जाने लगता था। यह भयानक विपत्ति होती थी जिसके कारण कभी-कभी बैल भी कुँए में चले जाते थे।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतकोश संस्थापक श्री आदित्य चौधरी जी की फ़ेसबुक वॉल से उद्धृत

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः