सदाशिवराव भाऊ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:34, 21 March 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
Jump to navigation Jump to search
  • सदाशिवराव भाऊ पेशवा बालाजी बाजीराव (1740-61 ई.) का चचेरा भाई था। वह शासन प्रबन्ध में बहुत ही कुशल था और मराठा साम्राज्य का समस्त शासन भार पेशवा ने उसी पर छोड़ दिया था।
  • सदाशिवराव ने मराठों की विशाल सेना को यूरोपियन सेना के ढंग पर व्यवस्थित किया।
  • उसके पास इब्राहीम ख़ाँ गार्दी नामक मुसलमान सेनानायक के अधीन विशाल तोपख़ाना भी था।
  • अपने इसी सैन्यबल के आधार पर सदाशिव भाऊ ने हैदराबाद के निज़ाम सलावतजंग को उदरगीर के युद्ध में हरा कर भारी सफलता प्राप्त की।
  • इस विजय से उसकी प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई कि उसे शीघ्र ही पंजाब प्रान्त में अहमदशाह अब्दाली की बढ़ती हुई शक्ति को नष्ट कर मराठों की सत्ता स्थापित करने के लिए भेजा गया।
  • सदाशिव भाऊ कूटनीति एवं युद्ध क्षेत्र दोनों में विफल रहा था। उसके दम्भी स्वभाव के फलस्वरूप जाट लोग विमुख हो गए तथा राजपूतों ने भी सक्रिय सहयोग नहीं दिया।
  • वह नवाब शुजाउद्दौला को भी अपने पक्ष में नहीं कर सका, हालाँकि मुग़ल बादशाह ने उसे अपना प्रतिनिधि बना रखा था।
  • वह रणनीति में भी अब्दाली से मात खा गया। उसने आगे बढ़कर अब्दाली की फ़ौजों पर हमला करने के बजाये स्वयं उसके हमले का इंतज़ार किया।
  • इस प्रकार उसकी विशाल सेना को पानीपत के मैदान में, जहाँ पर उसने अपनी मोर्चेबन्दी कर रखी थी, अब्दाली की फ़ौजों ने घेर लिया।
  • 15 जनवरी, 1761 ई. को सदाशिवराव भाऊ ने असाधारण वीरता दिखाई, किन्तु वह मारा गया।
  • इस युद्ध में पराजय से मराठा शक्ति को गहरा धक्का लगा और इसी आघात से पेशवा की भी मृत्यु हो गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-462

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः