राजस्थान का इतिहास

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राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी। 12वीं सदी तक राजस्थान के अधिकांश भाग पर गुर्जरो का राज्य रहा है। गुजरात तथा राजस्थान का अधिकांश भाग गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित देश) के नाम से जाना जाता था।[1][2][3]गुर्जर प्रतिहारो ने 300 सालों तक पूरे उत्तरी-भारत को अरब आक्रान्ताओ से बचाया था।[4]बाद में जब राजपूतों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना आधिपत्य जमा लिया तो यह क्षेत्र ब्रिटिशकाल में राजपूताना (राजपूतों का स्थान) कहलाने लगा। 12वीं शताब्दी के बाद मेवाड़ पर गुहिलोतों ने राज्य किया। मेवाड़ के अलावा जो अन्य रियासतें ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख रहीं, वे हैं - भरतपुर, जयपुर, बूँदी, मारवाड़, कोटा, और अलवर। अन्य सभी रियासतें इन्हीं रियासतों से बनी। इन सभी रियासतों ने 1818 में अधीनस्थ गठबंधन की ब्रिटिश संधि स्वीकार कर ली जिसमें राजाओं के हितों की रक्षा की व्यवस्था थी, लेकिन इस संधि से आम जनता स्वाभाविक रूप से असंतुष्ट थी।

वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद लोग स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी के नेतृत्व में एकजुट हुए। सन् 1935 में अंग्रेज़ी शासन वाले भारत में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के बाद राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए आंदोलन और तेज़ हो गया। 1948 में इन बिखरी हुई रियासतों को एक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो 1956 में राज्य में पुनर्गठन क़ानून लागू होने तक जारी रही। सबसे पहले 1948 में मत्स्य संघ बना, जिसमें कुछ ही रियासतें शामिल हुई। धीरे-धीरे बाकी रियासतें भी इसमें मिलती गई। सन् 1949 तक बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसी मुख्य रियासतें इसमें शामिल हो चुकी थीं और इसे बृहत्तर राजस्थान संयुक्त राज्य का नाम दिया गया। सन् 1958 में अजमेर, आबू रोड तालुका और सुनेल टप्पा के भी शामिल हो जाने के बाद वर्तमान राजस्थान राज्य विधिवत अस्तित्व में आया। राजस्थान की समूची पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान पडता है जबकि उत्तर में पंजाब, उत्तर पूर्व में हरियाणा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात है।


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संदर्भ

  1. Ramesh Chandra Majumdar (1977) The History and Culture of the Indian People: The classical age। Bharatiya Vidya Bhavan।
  2. (1984) Desa, videsa me? Gurjara kya hai? tatha kya the?: Gurjara itihasa। Akhila Bharatiya Gurjara Samaja Sudhara Sabha।
  3. Surajanasi?ha Shekhavata (1989) Sekhava?i pradesa ka pracina itihasa। Sri Sardula Ejyukesana ?ras?a।
  4. John Keay (2001) India: a history। Grove Press। ISBN 0-8021-3797-0, ISBN 978-0-8021-3797-5।

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