नज़ीर अकबराबादी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:45, 25 December 2012 by गोविन्द राम (talk | contribs) (''''नज़ीर अकबराबादी''' (अंग्रेज़ी: ''Nazeer Akbarabadi'' जन्म: 1740 - मृत...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

नज़ीर अकबराबादी (अंग्रेज़ी: Nazeer Akbarabadi जन्म: 1740 - मृत्यु: 1830) उर्दू में नज़्म लिखने वाले पहले कवि माने जाते हैं। समाज की हर छोटी-बड़ी ख़ूबी नज़ीर साहब के यहां कविता में तब्दील हो गई। पूरी एक पीढ़ी के तथाकथित साहित्यालोचकों ने नज़ीर साहब को आम जनता की शायरी करने के कारण उपेक्षित किया। ककड़ी, जलेबी और तिल के लड्डू जैसी वस्तुओं पर लिखी गई कविताओं को ये सज्जन कविता मानने से इन्कार करते रहे। वे उनमें सब्लाइम एलीमेन्ट जैसी कोई चीज़ तलाशते रहे जबकि यह मौला शख़्स सब्लिमिटी की सारी हदें कब की पार चुका था। बाद में नज़ीर साहब के जीनियस को पहचाना गया और आज वे उर्दू साहित्य के शिखर पर विराजमान चन्द नामों के साथ बाइज़्ज़त गिने जाते हैं।

प्रमुख रचनाएँ

  • बंजारानामा
  • फ़क़ीरों की सदा
  • कौड़ी न रख कफ़न को
  • जब खेली होली नंद ललन
  • रीछ का बच्चा
  • रोटियाँ
  • बसंत (I), बसंत (II), बसंत (III)
  • हर हाल में ख़ुश हैं
  • होली की बहार
  • होली पिचकारी
  • दुनिया में नेकी और बदी
  • दूर से आये थे साक़ी
  • देख बहारें होली की
  • न सुर्खी गुंचा-ए-गुल में तेरे दहन की

नज़ीर की एक रचना

दूर से आये थे साक़ी

दूर से आये थे साक़ी सुनके मयख़ाने को हम । बस तरसते ही चले अफ़सोस पैमाने को हम ।। मय भी है, मीना भी है, साग़र भी है साक़ी नहीं। दिल में आता है लगा दें, आग मयख़ाने को हम।। हमको फँसना था क़फ़ज़ में, क्या गिला सय्याद का। बस तरसते ही रहे हैं, आब और दाने को हम।। बाग में लगता नहीं सहरा में घबराता है दिल। अब कहाँ ले जाके बेठाऐं ऐसे दीवाने को हम।। ताक-ए-आबरू में सनम के क्या ख़ुदाई रह गई। अब तो पूजेंगे उसी क़ाफ़िर के बुतख़ाने को हम।। क्या हुई तक़्सीर हम से, तू बता दे ए ‘नज़ीर’

ताकि शादी मर्ग समझें, ऐसे मर जाने को हम।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः