कूर्म अवतार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:19, 25 June 2013 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "श्रृंगार" to "शृंगार")
Jump to navigation Jump to search
संक्षिप्त परिचय
कूर्म अवतार
अन्य नाम कच्छप अवतार
अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में द्वितीय अवतार
धर्म-संप्रदाय हिंदू धर्म
प्राकृतिक स्वरूप कच्छप (कछुआ)
संदर्भ ग्रंथ भागवत पुराण, शतपथ ब्राह्मण, आदि पर्व, पद्म पुराण, लिंग पुराण
जयंती वैशाख की पूर्णिमा
अन्य जानकारी कूर्म पुराण में विष्णु ने अपने कच्छपावतार में ऋषियों से जीवन के चार लक्ष्यों (धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष) का वर्णन किया था।

कूर्म अवतार को 'कच्छप अवतार' (कछुआ अवतार) भी कहते हैं। कूर्म अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदर पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की। इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था।

धार्मिक मान्यता

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार 'कूर्म' विष्णु के द्वितीय अवतार का नाम है। प्रजापति ने सन्तति प्रजनन के अभिप्राय से कूर्म का रूप धारण किया था। इनकी पीठ का घेरा एक लाख योजन का था। कूर्म की पीठ पर मन्दराचल पर्वत स्थापित करने से ही समुद्र मंथन सम्भव हो सका था। 'पद्म पुराण' में इसी आधार पर विष्णु का कूर्मावतार वर्णित है।

पौराणिक उल्लेख

नृसिंह पुराण के अनुसार द्वितीय तथा भागवत पुराण (1.3.16) के अनुसार ग्यारहवें अवतार। शतपथ ब्राह्मण (7.5.1.5-10), महाभारत (आदि पर्व, 16) तथा पद्मपुराण (उत्तराखंड, 259) में उल्लेख है कि संतति प्रजनन हेतु प्रजापति, कच्छप का रूप धारण कर पानी में संचरण करता है। लिंग पुराण (94) के अनुसार पृथ्वी रसातल को जा रही थी, तब विष्णु ने कच्छप रूप में अवतार लिया। उक्त कच्छप की पीठ का घेरा एक लाख योजन था। पद्मपुराण (ब्रह्मखड, 8) में वर्णन हैं कि इंद्र ने दुर्वासा द्वारा प्रदत्त पारिजातक माला का अपमान किया तो कुपित होकर दुर्वासा ने शाप दिया, तुम्हारा वैभव नष्ट होगा। परिणामस्वरूप लक्ष्मी समुद्र में लुप्त हो गई। तत्पश्चात्‌ विष्णु के आदेशानुसार देवताओं तथा दैत्यों ने लक्ष्मी को पुन: प्राप्त करने के लिए मंदराचल की मथानी तथा वासुकि की डोर बनाकर क्षीरसागर का मंथन किया। मंथन करते समय मंदराचल रसातल को जाने लगा तो विष्णु ने कच्छप के रूप में अपनी पीठ पर धारण किया और देव-दानवों ने समुद्र से अमृत एवं लक्ष्मी सहित 14 रत्नों की प्राप्ति करके पूर्ववत्‌ वैभव संपादित किया। एकादशी का उपवास लोक में कच्छपावतार के बाद ही प्रचलित हुआ। कूर्म पुराण में विष्णु ने अपने कच्छपावतार में ऋषियों से जीवन के चार लक्ष्यों (धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष) का वर्णन किया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः