समुद्रनिष्कुट

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समुद्रनिष्कुट नामक स्थान का उल्लेख महाभारत, सभापर्व[1] में हुआ है-

'इन्द्रकृष्टैर्वर्तयन्ति धान्यैर्सेच नदीमुखैः समुद्रनिष्कुटेजाताः पारेसिंधु च मानवाः, ते वैरामाः पारदाश्च आभीराः कितवैः सह, विविधिं बलिमादाय रत्नानि विविधानि च।

अर्थात् "युधिष्ठिर की राजसभा में समुद्रनिष्कुट तथा सिंधु के पार रहने वाले मेघों के और नदी के जल से उत्पन्न धान्यों द्वारा जीविका प्राप्त करने वाले वैराम, पारद, आभीर तथा कितव कर के रूप में अनेक प्रकार की भेंट लेकर उपस्थित हुए।"[2]

  • 'समुद्रनिष्कुट' सम्भवतः कच्छ-काठियावाड़ (सौराष्ट्र) के छोटे से प्राय:द्वीप का नाम है।
  • निष्कुट गृहोद्यान का पर्याय है और सौराष्ट्र प्राय:द्वीप की समुद्र के भीतर स्थिति का परिचायक है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व 51,11
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 936 |

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