Difference between revisions of "गुरु नानक शाह -नज़ीर अकबराबादी"
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
अंशुल सुधाकर (talk | contribs) m (गुरू नानक शाह -नज़ीर अकबराबादी का नाम बदलकर गुरु नानक शाह -नज़ीर अकबराबादी कर दिया गया है) |
अंशुल सुधाकर (talk | contribs) |
||
Line 30: | Line 30: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | हैं कहते नानक शाह जिन्हें वह पूरे हैं आगाह | + | हैं कहते नानक शाह जिन्हें वह पूरे हैं आगाह गुरु । |
− | वह कामिल<ref>सम्पूर्ण</ref> रहबर<ref>अच्छा रास्ता दिखाने वाले</ref> जग में हैं यूँ रौशन जैसे माह<ref>चाँद</ref> | + | वह कामिल<ref>सम्पूर्ण</ref> रहबर<ref>अच्छा रास्ता दिखाने वाले</ref> जग में हैं यूँ रौशन जैसे माह<ref>चाँद</ref> गुरु । |
− | मक़्सूद मुराद<ref>इरादा की हुई</ref>, उम्मीद सभी, बर लाते हैं दिलख़्वाह | + | मक़्सूद मुराद<ref>इरादा की हुई</ref>, उम्मीद सभी, बर लाते हैं दिलख़्वाह गुरु । |
नित लुत्फ़ो करम से करते हैं हम लोगों का निरबाह गुरु । | नित लुत्फ़ो करम से करते हैं हम लोगों का निरबाह गुरु । | ||
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत<ref>प्रतिष्ठा</ref> के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत<ref>प्रतिष्ठा</ref> के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।1।। |
− | हर आन दिलों विच याँ अपने जो ध्यान | + | हर आन दिलों विच याँ अपने जो ध्यान गुरु का लाते हैं । |
और सेवक होकर उनके ही हर सूरत बीच कहाते हैं । | और सेवक होकर उनके ही हर सूरत बीच कहाते हैं । | ||
गर अपनी लुत्फ़ो इनायत से सुख चैन उन्हें दिखलाते हैं । | गर अपनी लुत्फ़ो इनायत से सुख चैन उन्हें दिखलाते हैं । | ||
ख़ुश रखते हैं हर हाल उन्हें सब तन का काज बनाते हैं । | ख़ुश रखते हैं हर हाल उन्हें सब तन का काज बनाते हैं । | ||
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।2।। |
− | जो आप | + | जो आप गुरु ने बख़्शिश से इस ख़ूबी का इर्शाद<ref>धर्म गुरु का उपदेश</ref> किया । |
हर बात है वह इस ख़ूबी की तासीर<ref>असर लाना</ref> ने जिस पर साद किया । | हर बात है वह इस ख़ूबी की तासीर<ref>असर लाना</ref> ने जिस पर साद किया । | ||
याँ जिस-जिस ने उन बातों को है ध्यान लगाकर याद किया । | याँ जिस-जिस ने उन बातों को है ध्यान लगाकर याद किया । | ||
− | हर आन | + | हर आन गुरु ने दिल उनका ख़ुश वक़्त किया और शाद किया । |
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।3।। |
− | दिन रात जिन्होंने याँ दिल बिच है याद | + | दिन रात जिन्होंने याँ दिल बिच है याद गुरु से काम लिया । |
सब मनके मक़्सद<ref>मुराद</ref> भर पाए ख़ुश वक़्ती का हंगाम<ref>समय</ref> लिया । | सब मनके मक़्सद<ref>मुराद</ref> भर पाए ख़ुश वक़्ती का हंगाम<ref>समय</ref> लिया । | ||
− | दुख-दर्द में अपना ध्यान लगा जिस वक़्त | + | दुख-दर्द में अपना ध्यान लगा जिस वक़्त गुरु का नाम लिया । |
− | पल बीच | + | पल बीच गुरु ने आन उन्हें ख़ुश हाल किया और थाम लिया । |
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।4।। |
− | याँ जो-जो दिल की ख़्वाहिश की कुछ बात | + | याँ जो-जो दिल की ख़्वाहिश की कुछ बात गुरु से कहते हैं । |
वह अपनी लुत्फ़ो शफ़क़त<ref>मेहरबानी</ref> से नित हाथ उन्हीं के गहते हैं । | वह अपनी लुत्फ़ो शफ़क़त<ref>मेहरबानी</ref> से नित हाथ उन्हीं के गहते हैं । | ||
अल्ताफ़<ref>मेहरबानी </ref> से उनके ख़ुश होकर सब ख़ूबी से यह कहते हैं । | अल्ताफ़<ref>मेहरबानी </ref> से उनके ख़ुश होकर सब ख़ूबी से यह कहते हैं । | ||
दुख दूर उन्हीं के होते हैं सौ सुख से जग में रहते हैं । | दुख दूर उन्हीं के होते हैं सौ सुख से जग में रहते हैं । | ||
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।5।। |
जो हरदम उनसे ध्यान लगा उम्मीद करम की धरते हैं । | जो हरदम उनसे ध्यान लगा उम्मीद करम की धरते हैं । | ||
Line 75: | Line 75: | ||
आनन्द इनायत करते हैं सब मन की चिन्ता हरते हैं । | आनन्द इनायत करते हैं सब मन की चिन्ता हरते हैं । | ||
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।6।। |
जो लुत्फ़ इनायत उनमें हैं कब वस्फ़<ref>गुणगान, प्रशंसा</ref> किसी से उनका हो । | जो लुत्फ़ इनायत उनमें हैं कब वस्फ़<ref>गुणगान, प्रशंसा</ref> किसी से उनका हो । | ||
Line 83: | Line 83: | ||
हर आन ’नज़ीर’ अब याँ तुम भी बाबा नानक शाह कहो । | हर आन ’नज़ीर’ अब याँ तुम भी बाबा नानक शाह कहो । | ||
− | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह | + | इस बख़्शिश के इस अज़मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु । |
− | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह | + | सब सीस नवा अरदास करो, और हरदम बोलो वाह गुरु ।।७।। |
Revision as of 13:27, 27 December 2012
| ||||||||||||||||||
|
haian kahate nanak shah jinhean vah poore haian agah guru . |
|
|
|
|
|