दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में वो ज़िले में और हम तहसील में उसकी आराइश[1] की क़ीमत कैसे दूँ, दिल को तोला नाक की इक कील में कुछ रहीने मय[2] नहीं मस्ते ख़राम, सब नशा है सैण्डिल की हील में यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई, लड़कियों ने पाँव डाले झील में उम्र अदाकारी में सारी कट गई, इक ज़रा से झूठ की तावील[3] में आप कहकर देखिएगा तो हुज़ूर, सर है ह़ाज़िर हुक्म की तामील में सैकड़ों ग़ज़लें मुकम्मल हो गईं, इक अधूरे शेर की तकमील[4] में