ओखली: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 12: | Line 12: | ||
*[http://www.youtube.com/watch?v=ebeaY8pE0AY यू ट्यूब पर, फ़िल्मी गीत 'आंकी चली बांकी चली' (ओखली का विडियो)] | *[http://www.youtube.com/watch?v=ebeaY8pE0AY यू ट्यूब पर, फ़िल्मी गीत 'आंकी चली बांकी चली' (ओखली का विडियो)] | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भूले बिसरे शब्द}} | {{भूले बिसरे शब्द}}{{घरेलू उपकरण}} | ||
[[Category:भूला-बिसरा भारत]] | [[Category:भूला-बिसरा भारत]] | ||
[[Category:घरेलू उपकरण]] | [[Category:घरेलू उपकरण]] | ||
[[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 07:55, 4 June 2013
- ओखली धान आदि कूटने के लिए काठ या पत्थर का एक गहरा पात्र होता है।
- ओखली में धान आदि कूटने के लिए मूसल का प्रयोग होता है।
- ओखली हर परिवार, हर घर के आँगन में होती थी अब तो कुछ ही घर होंगे जिनके आँगन इससे सजे होंगे ओखली का हमारे जीवन में आदि काल से बहुत ही महत्त्व रहा है।
- जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे।
- ओखली के ऊपर कुछ कहावतें भी मशहूर है जैसे-
- ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना
- ओखली में सिर दिया तो मूसलों को क्या गिनना
- ओखली में सिर देना...
बाहरी कड़ियाँ
|
|
|
|
|