महेन्द्र पर्वत: Difference between revisions

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*माना जाता है कि [[पृथ्वी]] से [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] को नष्ट करने बाद [[परशुराम]] ने [[सप्तद्वीप]] युक्त पृथ्वी [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] को दान कर दी। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने देवराज इन्द्र के समक्ष अपने [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] त्याग दिये और [[सागर]] द्वारा उच्छिष्ट भूभाग 'महेन्द्र पर्वत' पर आश्रम बनाकर रहने लगे।
*माना जाता है कि [[पृथ्वी]] से [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] को नष्ट करने बाद [[परशुराम]] ने [[सप्तद्वीप]] युक्त पृथ्वी [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] को दान कर दी। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने देवराज इन्द्र के समक्ष अपने [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] त्याग दिये और [[सागर]] द्वारा उच्छिष्ट भूभाग 'महेन्द्र पर्वत' पर आश्रम बनाकर रहने लगे।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Latest revision as of 14:05, 15 September 2014

महेन्द्र पर्वत श्राद्ध के लिए एक अति पवित्र स्थान, जहाँ देवराज इन्द्र गए थे। यह एक बिल्व वृक्ष के लिए प्रसिद्ध है, जिसके नीचे श्राद्ध करने से दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वायुपुराण 77,17-18

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