हरिदासी सम्प्रदाय: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:17, 21 March 2014
हरिदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक 'नरहरितीर्थ' तथा 'यादराम' थे। इनका आविर्भाव 15वीं शताब्दी में हुआ था। 'व्यासराय' भी इस सम्प्रदाय से सम्बद्ध थे, जिनका समय 16वीं शताब्दी माना जाता है और जो सर्वश्रेष्ठ भक्त कवि भी थे।
- व्यासराय के दो प्रमुख शिष्य थे- पुरन्दरदास और कनकदास। इन दोनो ने ही उच्च कोटि के 'भक्ति साहित्य' का सृजन किया था।
- हरिदासी सम्प्रदाय में हृदय की पवित्रता तथा निश्छलता को महत्त्व दिया जाता है।
- इस सम्प्रदाय के लोग 'विट्ठल' (श्रीकृष्ण) को अपना उपास्य देवता मानते है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हरिदासी सम्प्रदाय (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 अक्टूबर, 2012।