अनवर जलालपुरी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अनवर जलालपुरी''' (अंग्रेज़ी: ''Anwar Jalalpuri'', जन्म- 6 जुलाई...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - "तेजी " to "तेज़ी")
 
(7 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''अनवर जलालपुरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anwar Jalalpuri'', जन्म- [[6 जुलाई]], [[1947]], [[अम्बेडकर नगर ज़िला|अम्बेडकर नगर]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[2 जनवरी]], 2018) 'यश भारती' से सम्मानित [[उर्दू]] के मशहूर शायर थे। उन्होंने [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[गीता|श्रीमद्‌भागवत गीता]]' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे।
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=Anwar-Jalalpuri.jpg
|चित्र का नाम=अनवर जलालपुरी
|पूरा नाम=
|अन्य नाम=अनवर अहमद
|जन्म=[[6 जुलाई]], [[1947]]
|जन्म भूमि=जलालपुर, [[अम्बेडकर नगर ज़िला|अम्बेडकर नगर]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु=[[2 जनवरी]], [[2018]]
|मृत्यु स्थान=[[लखनऊ]]
|अभिभावक=
|पालक माता-पिता=
|पति/पत्नी=
|संतान=तीन पुत्र
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ='उर्दु शायरी में गीता', 'जोश-ए-आखिरत', 'उर्दु शायरी में गीतांजलि', 'जागती आँखें', 'हर्फे अब्जद', 'अदब के अक्षर' आदि।
|विषय=
|भाषा=
|विद्यालय=
|शिक्षा=
|पुरस्कार-उपाधि='इफ्तेखार-ए-मीर सम्मान' ([[2011]]), 'उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान' ([[2012]]), 'साम्प्रदायिक एकता सम्मान' ([[2015]]), 'यश भारती' ([[2016]]) आदि।
|प्रसिद्धि=[[उर्दू साहित्य]]
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=अनवर जलालपुरी का अहम कार्य '[[गीता]]' को उर्दू शायरी में ढालने का है। '[[गीता]]' के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''अनवर जलालपुरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anwar Jalalpuri'', जन्म- [[6 जुलाई]], [[1947]], [[अम्बेडकर नगर ज़िला|अम्बेडकर नगर]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[2 जनवरी]], [[2018]], [[लखनऊ]]) 'यश भारती' से सम्मानित [[उर्दू]] के मशहूर शायर थे। उन्होंने [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[गीता|श्रीमद्‌भागवत गीता]]' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने 'राहरौ से रहनुमा तक', 'उर्दू शायरी में गीतांजलि' तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण 'उर्दू शायरी में गीता' पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने 'अकबर द ग्रेट' धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे।
==परिचय==
==परिचय==
अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था। उन्होंने [[1966]] में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद [[1968]] में [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] से [[अंग्रेज़ी]] में और [[1978]] में अवध विश्वविद्यालय से [[उर्दू साहित्य]] में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे।
अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था। उन्होंने [[1966]] में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद [[1968]] में [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] से [[अंग्रेज़ी]] में और [[1978]] में अवध विश्वविद्यालय से [[उर्दू साहित्य]] में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे।
==उर्दू शायरी में ढली 'गीता'==
==उर्दू शायरी में ढली 'गीता'==
अनवर जलालपुरी का अहम कार्य '[[गीता]]' को उर्दू शायरी में ढालने का है। 'गीता' के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है। जलालपुरी जी कहते थे- "आज जब समाज में संवेदनाशीलता खत्म होती जा रही है, तब 'गीता' की शिक्षा बेहद प्रासंगिक है। मुझे लगता था कि शायरी के तौर पर इसे अवाम के सामने पेश करूँ तो एक नया पाठक वर्ग इसकी तालीम से फायदा उठा सकेगा।" इसकी बानगी कुछ इस प्रकार है-
अनवर जलालपुरी का अहम कार्य '[[गीता]]' को उर्दू शायरी में ढालने का है। 'गीता' के 701 [[श्लोक|श्लोकों]] को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है। जलालपुरी जी कहते थे- "आज जब समाज में संवेदनाशीलता खत्म होती जा रही है, तब 'गीता' की शिक्षा बेहद प्रासंगिक है। मुझे लगता था कि शायरी के तौर पर इसे अवाम के सामने पेश करूँ तो एक नया पाठक वर्ग इसकी तालीम से फायदा उठा सकेगा।" इसकी बानगी कुछ इस प्रकार है-
;गीता श्लोक
;गीता श्लोक
<blockquote><poem>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
<blockquote><poem>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संङ्‌गोऽस्त्वकर्मणि।</poem></blockquote>
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संङ्‌गोऽस्त्वकर्मणि।</poem></blockquote>
;अर्थ
;उर्दू शायरी अनुवाद
<blockquote>सतो गुन सदा तेरी पहचान हो/कि रूहानियत तेरा ईमान हो<br />
<blockquote>सतो गुन सदा तेरी पहचान हो/कि रूहानियत तेरा ईमान हो<br />
कुआं तू न बन, बल्कि सैलाब बन/जिसे लोग देखें वही ख्वाब बन<br />
कुआं तू न बन, बल्कि सैलाब बन/जिसे लोग देखें वही ख्वाब बन<br />
Line 18: Line 51:
परित्राणाय  साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
परित्राणाय  साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥</poem></blockquote>
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥</poem></blockquote>
;अर्थ
;उर्दू शायरी अनुवाद
<blockquote>फराएज से इंसा हो बेजार जब/हो माहौल सारा गुनाहगार जब बुरे लोगों का बोलबाला रहे/न सच बात को कहने बाला रहे कि जब धर्म का दम भी घुटने लगे/शराफत का सरमाया लुटने लगे तो फिर जग में होना है जाहिर मुझे/जहां भर में रहना है हाजिर मुझे बुरे जो हैं उनका करूँ खात्मा/जो अच्छे हैं उनका करूँ में भला धरम का जमाने में हो जाए राज/चले नेक रास्ते पे सारा समाज इसी वास्ते जन्म लेता हूँ मैं/नया एक संदेश देता हूँ मैं </blockquote>
<blockquote>फराएज से इंसा हो बेजार जब/हो माहौल सारा गुनाहगार जब बुरे लोगों का बोलबाला रहे/न सच बात को कहने बाला रहे कि जब धर्म का दम भी घुटने लगे/शराफत का सरमाया लुटने लगे तो फिर जग में होना है जाहिर मुझे/जहां भर में रहना है हाजिर मुझे बुरे जो हैं उनका करूँ खात्मा/जो अच्छे हैं उनका करूँ में भला धरम का जमाने में हो जाए राज/चले नेक रास्ते पे सारा समाज इसी वास्ते जन्म लेता हूँ मैं/नया एक संदेश देता हूँ मैं </blockquote>
==प्रकाशित रचनाएँ==
==इस तरह हुई शुरुआत==
अनवर जलालपुरी का कहना था कि- "पहले [[1982]] में '[[गीता]]' पर पीएचडी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जब अध्ययन करना शुरू किया तो लगा कि ये विषय बहुत बड़ा है। शायद मैं इसके साथ न्याय न कर सकूं। चूंकि मैं कवि था, इसलिए इसके श्लोकों का उर्दू में पद्य के रूप में अनुवाद करने की कोशिश करने लगा। पहले तो ये काम बहुत धीमी गति से चला, मगर पिछले 10 सालों में इसमें खासी तेज़ीआई और करीब तीन साल पहले ये काम मुकम्मल हो गया। इस ऊर्दू गीता को नामवर गायक अनूप जलोटा गा रहे हैं, जिसकी महज 20 प्रतिशत रिकॉर्डिंग ही शेष बची है। इसके बाद हमारा दुनिया के 20-22 इस्लामी देशों में 'गीता' का पैगाम पहुंचाने का मिशन है। [[पाकिस्तान]] में 'गीता' गाकर जलोटा जी ने इसकी शुरुआत कर दी है।"
 
उनका यह भी कहना था कि- "[[साहित्य]], [[दर्शन]] और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करना शुरू से मेरी आदत में शुमार था। 'गीता' मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि इसमें दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी भी है। इसकी तर्जुमानी के दौरान मैंने महसूस किया कि दुनिया की तमाम बड़ी किताबों में तकरीबन एक ही जैसा इंसानियत का पैगाम है। पूरी 'गीता' पढ़ने के बाद मैंने करीब 100 ऐसी बातें खोज निकालीं, जो [[क़ुरान]] और [[हदीस]] की हिदायतों से बहुत मिलती-जुलती हैं। मतलब साफ है कि अपने वक्त की आध्यात्मिक ऊंचाई पर रही शख्सियतों की सोच तकरीबन एक जैसी ही है। हम जिस मिले-जुले समाज में रह रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है। मगर दिक्कत ये है कि हम समझाने की कोशिश तो करते हैं, मगर सामने वाले वो बात समझना नहीं चाहते हैं।"<ref>{{cite web |url=https://naidunia.jagran.com/national-famous-urdu-poet-anwar-jalalpuri-passes-away-1482352 |title=उर्दू के नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का इंतकाल |accessmonthday=07 जनवरी |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=naidunia.jagran.com |language=हिंदी }}</ref>
====प्रकाशित रचनाएँ====
#उर्दु शायरी में गीता
#उर्दु शायरी में गीता
#जोश-ए-आखिरत
#जोश-ए-आखिरत
#उर्दु शायरी में गीतांजलि
#उर्दु शायरी में गीतांजलि
#जागती आंखें
#जागती आँखें
#हर्फे अब्जद
#हर्फे अब्जद
#अदब के अक्षर
#अदब के अक्षर
Line 36: Line 73:
*यश भारती - [[2016]]
*यश भारती - [[2016]]
==मृत्यु==
==मृत्यु==
अनवर जलालपुरी की मृत्यु [[2 जनवरी]], 2018 को हुई।
अनवर जलालपुरी की मृत्यु [[2 जनवरी]], [[2018]] को हुई। उनको [[28 दिसंबर]], [[2017]] को उनके घर में मस्तिष्क आघात के बाद [[लखनऊ]] स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहां सुबह करीब सवा नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु करीब 70 वर्ष थी। उनके [[परिवार]] में पत्नी और तीन बेटे हैं।
==अधूरी हसरत==
==अधूरी हसरत==
अनवर जलालपुरी पिछले काफ़ी दिनों से [[उर्दू]] में ढली 'गीता' की शायरियों की ऑडियो सीडी लगभग बनवा चुके थे, जिसे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने सुरों से सजाया है। आने वाले दिनों में [[नरेंद्र मोदी|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी]] के हाथों इसके विमोचन की कवायद भी चल रही थी।
अनवर जलालपुरी पिछले काफ़ी दिनों से [[उर्दू]] में ढली 'गीता' की शायरियों की ऑडियो सीडी लगभग बनवा चुके थे, जिसे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने सुरों से सजाया है। आने वाले दिनों में [[नरेंद्र मोदी|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी]] के हाथों इसके विमोचन की कवायद भी चल रही थी।
==मुशायरे का टीचर==
==मुशायरे का टीचर==
उनकी ज़िंदगी में यदि परेशानियां कुछ कम रही होतीं तो अदब की दुनिया में उन्होंने और भी बहुत कुछ किया होता। उनकी बेटी की मौत ने उन्हें बहुत परेशान किया था। वह घर में सबसे बड़े थे, तो नतीजे के तौर पर रो भी नहीं सकते थे और वह रोये भी नहीं। जो भी मिलने आता, उससे एक ही बात कहते कि 'पहली बार अंदाज़ा हुआ कि दुःख क्या होता है।' पर वह रोये नहीं। इस वाकये ने उनके ऊपर बेहद असर डाला था। वह बिल्कुल टूट गये थे। [[अहमद फ़राज़]] का एक मशहूर शेर है-
अनवर जलालपुरी की ज़िंदगी में यदि परेशानियां कुछ कम रही होतीं तो अदब की दुनिया में उन्होंने और भी बहुत कुछ किया होता। उनकी बेटी की मौत ने उन्हें बहुत परेशान किया था। वह घर में सबसे बड़े थे, तो नतीजे के तौर पर रो भी नहीं सकते थे और वह रोये भी नहीं। जो भी मिलने आता, उससे एक ही बात कहते कि 'पहली बार अंदाज़ा हुआ कि दुःख क्या होता है।' पर वह रोये नहीं। इस वाकये ने उनके ऊपर बेहद असर डाला था। वह बिल्कुल टूट गये थे। [[अहमद फ़राज़]] का एक मशहूर शेर है-


<blockquote><poem>ज़ब्त लाज़िम है पर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
<blockquote><poem>ज़ब्त लाज़िम है पर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
Line 46: Line 83:


उनके साथ यही हुआ कि वह रोये नहीं और मर गए। अनवर जलालपुरी की मौत से जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, वह ये कि मुशायरे का टीचर चला गया। एक टीचर के तौर पर वह हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न होने पाए। मुशायरा सांप्रदायिकता या अश्लीलता की तरफ न जाये। वह एक संचालक के बतौर नहीं बल्कि एक टीचर की तरह मुशायरे को चलाते थे। कभी किसी ने ख़राब शेर पढ़ा, गलत वाक्य बोला, तो वह टोक दिया करते थे।
उनके साथ यही हुआ कि वह रोये नहीं और मर गए। अनवर जलालपुरी की मौत से जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, वह ये कि मुशायरे का टीचर चला गया। एक टीचर के तौर पर वह हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न होने पाए। मुशायरा सांप्रदायिकता या अश्लीलता की तरफ न जाये। वह एक संचालक के बतौर नहीं बल्कि एक टीचर की तरह मुशायरे को चलाते थे। कभी किसी ने ख़राब शेर पढ़ा, गलत वाक्य बोला, तो वह टोक दिया करते थे।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 54: Line 90:
*[http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0_%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80 अनवर जलालपुरी]
*[http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0_%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80 अनवर जलालपुरी]
*[http://thewirehindi.com/30425/munawwar-rana-remembering-renowned-urdu-poet-anwar-jalalpuri/ अनवर जलालपुरी-मुशायरे का टीचर चला गया]
*[http://thewirehindi.com/30425/munawwar-rana-remembering-renowned-urdu-poet-anwar-jalalpuri/ अनवर जलालपुरी-मुशायरे का टीचर चला गया]
*[https://naidunia.jagran.com/national-famous-urdu-poet-anwar-jalalpuri-passes-away-1482352 उर्दू के नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का इंतकाल]
*[https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/others/thousands-of-people-gave-emotional-adieu-to-anwar-jalalpuri/articleshow/62354520.cms अनवर जलालपुरी को दी अंतिम विदाई]
*[http://zeenews.india.com/hindi/india/goodbye-anwar-jalalpuri-i-am-not-going-to-wait-for-me/362067 मैं जा रहा हूँ मेरा इंतजार मत करना]
*[https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/moradabad/story-famous-ghazals-of-anwar-jalalpuri-1726867.html अनवर जलालपुरी-मैं एक शायर हूँ मेरा रुतबा नहीं किसी भी वज़ीर जैसा]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{उर्दू शायर}}
{{उर्दू शायर}}
[[Category:उर्दू शायर]][[Category:कवि]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]]
[[Category:उर्दू शायर]][[Category:कवि]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:24, 10 February 2021

अनवर जलालपुरी
अन्य नाम अनवर अहमद
जन्म 6 जुलाई, 1947
जन्म भूमि जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 2 जनवरी, 2018
मृत्यु स्थान लखनऊ
संतान तीन पुत्र
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'उर्दु शायरी में गीता', 'जोश-ए-आखिरत', 'उर्दु शायरी में गीतांजलि', 'जागती आँखें', 'हर्फे अब्जद', 'अदब के अक्षर' आदि।
पुरस्कार-उपाधि 'इफ्तेखार-ए-मीर सम्मान' (2011), 'उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान' (2012), 'साम्प्रदायिक एकता सम्मान' (2015), 'यश भारती' (2016) आदि।
प्रसिद्धि उर्दू साहित्य
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अनवर जलालपुरी का अहम कार्य 'गीता' को उर्दू शायरी में ढालने का है। 'गीता' के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

अनवर जलालपुरी (अंग्रेज़ी: Anwar Jalalpuri, जन्म- 6 जुलाई, 1947, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 2 जनवरी, 2018, लखनऊ) 'यश भारती' से सम्मानित उर्दू के मशहूर शायर थे। उन्होंने हिन्दू धार्मिक ग्रंथ 'श्रीमद्‌भागवत गीता' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने 'राहरौ से रहनुमा तक', 'उर्दू शायरी में गीतांजलि' तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण 'उर्दू शायरी में गीता' पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने 'अकबर द ग्रेट' धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे।

परिचय

अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था। उन्होंने 1966 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद 1968 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में और 1978 में अवध विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे।

उर्दू शायरी में ढली 'गीता'

अनवर जलालपुरी का अहम कार्य 'गीता' को उर्दू शायरी में ढालने का है। 'गीता' के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है। जलालपुरी जी कहते थे- "आज जब समाज में संवेदनाशीलता खत्म होती जा रही है, तब 'गीता' की शिक्षा बेहद प्रासंगिक है। मुझे लगता था कि शायरी के तौर पर इसे अवाम के सामने पेश करूँ तो एक नया पाठक वर्ग इसकी तालीम से फायदा उठा सकेगा।" इसकी बानगी कुछ इस प्रकार है-

गीता श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संङ्‌गोऽस्त्वकर्मणि।

उर्दू शायरी अनुवाद

सतो गुन सदा तेरी पहचान हो/कि रूहानियत तेरा ईमान हो

कुआं तू न बन, बल्कि सैलाब बन/जिसे लोग देखें वही ख्वाब बन

तुझे वेद की कोई हाजत न हो/ किसी को तुझ से कोई चाहत ना हो।


गीता श्लोक

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत्।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मांन सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

उर्दू शायरी अनुवाद

फराएज से इंसा हो बेजार जब/हो माहौल सारा गुनाहगार जब बुरे लोगों का बोलबाला रहे/न सच बात को कहने बाला रहे कि जब धर्म का दम भी घुटने लगे/शराफत का सरमाया लुटने लगे तो फिर जग में होना है जाहिर मुझे/जहां भर में रहना है हाजिर मुझे बुरे जो हैं उनका करूँ खात्मा/जो अच्छे हैं उनका करूँ में भला धरम का जमाने में हो जाए राज/चले नेक रास्ते पे सारा समाज इसी वास्ते जन्म लेता हूँ मैं/नया एक संदेश देता हूँ मैं

इस तरह हुई शुरुआत

अनवर जलालपुरी का कहना था कि- "पहले 1982 में 'गीता' पर पीएचडी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जब अध्ययन करना शुरू किया तो लगा कि ये विषय बहुत बड़ा है। शायद मैं इसके साथ न्याय न कर सकूं। चूंकि मैं कवि था, इसलिए इसके श्लोकों का उर्दू में पद्य के रूप में अनुवाद करने की कोशिश करने लगा। पहले तो ये काम बहुत धीमी गति से चला, मगर पिछले 10 सालों में इसमें खासी तेज़ीआई और करीब तीन साल पहले ये काम मुकम्मल हो गया। इस ऊर्दू गीता को नामवर गायक अनूप जलोटा गा रहे हैं, जिसकी महज 20 प्रतिशत रिकॉर्डिंग ही शेष बची है। इसके बाद हमारा दुनिया के 20-22 इस्लामी देशों में 'गीता' का पैगाम पहुंचाने का मिशन है। पाकिस्तान में 'गीता' गाकर जलोटा जी ने इसकी शुरुआत कर दी है।"

उनका यह भी कहना था कि- "साहित्य, दर्शन और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करना शुरू से मेरी आदत में शुमार था। 'गीता' मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि इसमें दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी भी है। इसकी तर्जुमानी के दौरान मैंने महसूस किया कि दुनिया की तमाम बड़ी किताबों में तकरीबन एक ही जैसा इंसानियत का पैगाम है। पूरी 'गीता' पढ़ने के बाद मैंने करीब 100 ऐसी बातें खोज निकालीं, जो क़ुरान और हदीस की हिदायतों से बहुत मिलती-जुलती हैं। मतलब साफ है कि अपने वक्त की आध्यात्मिक ऊंचाई पर रही शख्सियतों की सोच तकरीबन एक जैसी ही है। हम जिस मिले-जुले समाज में रह रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है। मगर दिक्कत ये है कि हम समझाने की कोशिश तो करते हैं, मगर सामने वाले वो बात समझना नहीं चाहते हैं।"[1]

प्रकाशित रचनाएँ

  1. उर्दु शायरी में गीता
  2. जोश-ए-आखिरत
  3. उर्दु शायरी में गीतांजलि
  4. जागती आँखें
  5. हर्फे अब्जद
  6. अदब के अक्षर

पुरस्कार व सम्मान

उर्दू के प्रसिद्ध शायर अनवर जलालपुरी को पुरस्कार तथा मान-सम्मान आदि भी बहुत मिले-

  • इफ्तेखार-ए-मीर सम्मान - 2011
  • गजल संग्रह पुरस्कार - 2011
  • उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान - 2012
  • साम्प्रदायिक एकता सम्मान - 2015
  • बिहार उर्दू अकादमी सम्मान - 2015
  • यश भारती - 2016

मृत्यु

अनवर जलालपुरी की मृत्यु 2 जनवरी, 2018 को हुई। उनको 28 दिसंबर, 2017 को उनके घर में मस्तिष्क आघात के बाद लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहां सुबह करीब सवा नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु करीब 70 वर्ष थी। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटे हैं।

अधूरी हसरत

अनवर जलालपुरी पिछले काफ़ी दिनों से उर्दू में ढली 'गीता' की शायरियों की ऑडियो सीडी लगभग बनवा चुके थे, जिसे भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने सुरों से सजाया है। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसके विमोचन की कवायद भी चल रही थी।

मुशायरे का टीचर

अनवर जलालपुरी की ज़िंदगी में यदि परेशानियां कुछ कम रही होतीं तो अदब की दुनिया में उन्होंने और भी बहुत कुछ किया होता। उनकी बेटी की मौत ने उन्हें बहुत परेशान किया था। वह घर में सबसे बड़े थे, तो नतीजे के तौर पर रो भी नहीं सकते थे और वह रोये भी नहीं। जो भी मिलने आता, उससे एक ही बात कहते कि 'पहली बार अंदाज़ा हुआ कि दुःख क्या होता है।' पर वह रोये नहीं। इस वाकये ने उनके ऊपर बेहद असर डाला था। वह बिल्कुल टूट गये थे। अहमद फ़राज़ का एक मशहूर शेर है-

ज़ब्त लाज़िम है पर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा

उनके साथ यही हुआ कि वह रोये नहीं और मर गए। अनवर जलालपुरी की मौत से जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, वह ये कि मुशायरे का टीचर चला गया। एक टीचर के तौर पर वह हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न होने पाए। मुशायरा सांप्रदायिकता या अश्लीलता की तरफ न जाये। वह एक संचालक के बतौर नहीं बल्कि एक टीचर की तरह मुशायरे को चलाते थे। कभी किसी ने ख़राब शेर पढ़ा, गलत वाक्य बोला, तो वह टोक दिया करते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उर्दू के नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का इंतकाल (हिंदी) naidunia.jagran.com। अभिगमन तिथि: 07 जनवरी, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख